कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा कोरोनावायरस की जांच के लिए निजी अस्पतालों और लैबों को भी अधिकृत करने की वकालत

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प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कान्फ्ऱेंस के दौरान मुख्यमंत्री उठाऐंगे मुद्दा
स्थिति गंभीर होने के ख़तरे के कारण ज़रूरतमंदों को 20 मिलियन टन अनाज बाँटने की इजाज़त माँगी
चंडीगढ़, 19 मार्च:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा कोरोनावायरस के कारण देश में स्थिति और गंभीर होने का अंदेशा प्रकट करते हुए केंद्र सरकार से अपील की है कि निजी अस्पतालों और लैबों को इस वायरस की जांच करने की मंज़ूरी दी जाये जिससे लोगों को किसी भी संदिग्ध मामले में जांच करवाने के लिए दिक्कतों का सामना न करना पड़े। जि़क्रयोग्य है कि इस वायरस से पंजाब के अंदर आज एक व्यक्ति की मौत हो गई है।
इस ख़तरनाक वायरस के विरुद्ध युद्ध स्तर पर लडऩे का न्योता देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह निजी अस्पतालों और लैबों को कोरोनावायरस की जांच की इजाज़त देने सम्बन्धी मसला कल प्रधानमंत्री द्वारा सभी मुख्य मंत्रियों के साथ होने वाली वीडियो कान्फ्ऱेंस के दौरान उठाऐंगे।
अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने सम्बन्धी एक सम्मेलन के दौरान बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के अंदर सभी बड़े शहरों और कस्बों में निजी लैबें हैं, जिस कारण इस बात का कोई अर्थ नहीं बनता कि कोरोना से प्रभावित किसी संदिग्ध व्यक्ति को अपनी जांच के लिए चंडीगढ़ या किसी अन्य जगह पर जाना पड़े।
उन्होंने कहा कि वह बहुत आशावादी व्यक्ति हैं, परन्तु जिस तरीके से सारे विश्व में कोरोनावायरस ने पैर पसारे हैं, उसके अनुसार भारत को कठिन समय के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वायरस अभी भारत में दाखि़ल हुआ है, परन्तु दूसरे देशों में इसके फैलाव के पैमाने के मद्देनजऱ इसके और तेज़ी से फैलने का अंदेशा है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को यह परामर्श भी दिया कि कोरोनावायरस के कारण रोज़ी रोटी के मुहताज गरीब वर्ग के लोगों की सहायता के लिए पंजाब के गोदामों में पड़ा अनाज बाँटने की मंज़ूरी दी जाये। उन्होंने कहा कि क्योंकि यह अनाज केंद्र सरकार का है और केंद्रीय खाद्य निगम द्वारा पंजाब में से 20 मिलियन टन अनाज उठाया जाना बाकी है, जिस कारण इस कठिन समय में ज़रूरतमंदों की मदद के लिए अनाज बाँटने का फ़ैसला केंद्र सरकार पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि यह अनाज न केवल पंजाब बल्कि सभी देश में ज़रूरत के अनुसार बाँटा जा सकता है, जिससे गरीब वर्ग के लोगों का पेट भरा जा सकता है।
मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब के एक 70 वर्षीय व्यक्ति, जोकि जर्मनी से बारस्ता इटली होता हुआ 7 मार्च को भारत पहुँचा था, का कोरोनावायरस के कारण मौत के बाद निजी लैबों के द्वारा टेस्टिंग की इजाज़त देने की माँग उठाई गई है। मृतक व्यक्ति शुगर और उच्च तनाव से पीडि़त था और उसकी मौत के बाद ही उसके कोरोनावायरस से पीडि़त होने संबंधी पता लगा है।
कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए अन्य गंभीर और सख्त कदम उठाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा अनेकों एहतियाती फ़ैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कमज़ोर वित्तीय हालत को कोरोनावायरस के विरुद्ध लड़ाई में रुकावट नहीं बनने दिया जायेगा और लोगों की स्वास्थ्य जांच, एकांत में रखने और इलाज सहूलतों के पुख्ता प्रबंध किये गए हैं।
गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थानों पर भीड़ संबंधी मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पहले ही धार्मिक संस्थाओं /नेताओं से अपील कर चुके हैं कि किसी भी जगह पर 50 से ज़्यादा लोगों का जलसा न किया जाये। उन्होंने आशा जताई कि सभी धार्मिक प्रमुख मानवता की ख़ातिर इस फ़ैसले के साथ सहमति जताते हुए इसकी पालना करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदम केवल और केवल लोगों की भलाई के लिए हैं।
प्रदूषण की समस्या संबंधी बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पराली जलाने की जगह खेतों में ही निपटाने के लिए सभी यत्न किये गए हैं परन्तु इसके लिए केंद्र सरकार के सहयोग की भी ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि वह किसानों को पराली और अन्य अवशेष के निपटारे के लिए 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने सम्बन्धी केंद्र सरकार से अनेकों बार माँग रख चुके हैं परन्तु केंद्र सरकार द्वारा अभी तक कोई साकारात्मक स्वीकृति नहीं दी गई है।
उन्होंने केंद्र सरकार को कहा कि वह पंजाब के गोदामों में पड़े अनाज को उठाने के साथ-साथ पराली और नाड़ के प्रबंधन के लिए 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का ऐलान करे जिससे छोटे किसानों को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों की सहायता के लिए पंजाब सरकार द्वारा कजऱ् मुक्ति योजना लागू की गई है। उन्होंने भूजल के स्तर में तेज़ी से हो रही गिरावट को गंभीर करार देते हुए कहा कि पंजाब अपने इस अकेली प्राकृतिक संपदा को अन्य राज्यों को देने का समर्थ नहीं है। उन्होंने याद करवाया कि हरियाणा राज्य के गठन के समय पर पानी के बिना सभी स्रोतों में पंजाब को 60 प्रतिशत हिस्सा दिया गया था, जिस कारण पानी की कमी के कारण किसानी को बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है।

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