राज्य सरकार हरियाणा के कृषि-व्यवसाय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगी : दुष्यंत चौटाला

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चंडीगढ़, 24 जुलाई- हरियाणा के उप मुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राज्य सरकार हरियाणा के कृषि-व्यवसाय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगी, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। नई ‘हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन नीति-2020’ में भी खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित उद्योगों को विशेष रियायतें व सहूलियतें दी जाएंगी ताकि किसानों को अपनी उपज के दाम और बेहतर मिल सकें।

उप मुख्यमंत्री आज यहां ‘भारतीय उद्योग परिसंघ’ द्वारा ‘भारतीय कृषि में वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने’ के विषय पर आयोजित वैबिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर ‘ब्रिटिश डिप्टी हाई कमीशन’ के डिप्टी हाई कमीश्नर श्री एंड्रयू आयरे, हरियाणा बागवानी विभाग के निदेशक श्री अर्जुन सिंह सैनी समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि हरियाणा सरकार ने ‘हरियाणा एग्री-बिजनेस एंड फूड प्रोसेसिंग पॉलिसी’ भी बनाई है ताकि कृषि क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश हो सके।

उन्होंने बताया कि सरकार फसलों के विविधिकरण पर जोर दे रही है ताकि किसान परंपरागत फसलों के अलावा अन्य ज्यादा आमदनी वाली फसलें उगा सकें। राज्य सरकार बागवानी, मत्स्य व अन्य कृषि क्षेत्रों में गुणवत्ता लाकर निर्यात बढ़ाना चाहती है ताकि प्रदेश का किसान आर्थिक रूप से और अधिक सक्षम बन सके। एग्री-बिजनेस को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिघंम के साथ कृषि क्षेत्र में तकनीक, शिक्षा का आदान-प्रदान व प्रशिक्षण कार्यक्रम पर एक समझौता भी किया है ताकि प्रदेश का कृषि-व्यवसाय उन्नत हो सके।

उप मुख्यमंत्री ने देश में कृषि क्षेत्र में हरियाणा की अहम भूमिका बताते हुए कहा कि राष्टï्रीय स्तर पर जो बासमती चावल निर्यात किया जाता है उसमें 60 प्रतिशत हरियाणा का योगदान होता है। जमीन की उर्वरा शक्ति के अनुसार प्रदेश में 393 ‘क्रॉप-कलस्टर’ बनाए गए हैं। अभी तक 452 ‘किसान उत्पादक संगठन’ पंजीकृत किए गए हैं जबकि इस वर्ष 1000 का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में  510 करोड़ रूपए की लागत के 140 प्राइमरी व सैकेंडरी प्रोसेसिंग सैंटर बनाए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि हरियाणा में  किसानों को उनकी सब्जियों के उचित भाव दिलाने के लिए ‘भावांतर भरपाई योजना’ शुरू की गई है। इससे किसानों को काफी फायदा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में टमाटर, आलू , किनू व मौसमी के उत्पादन को देखते हुए इनकी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

उप मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के दौरान फसलों की खरीद के लिए किए गए प्रबंधों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कृषि, बागवानी, पशुपालन आदि के क्षेत्र में शिक्षा देने व अनुसंधान के लिए भी विश्वविद्यालय खोले गए हैं। राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना चाहती है। किसानों के अधिक से अधिक उत्पादों का निर्यात करने के लिए सरकार द्वारा हर संभव अतिरिक्त सहायता की जा रही है।

इस अवसर पर ‘भारतीय उद्योग परिसंघ’ के उत्तर क्षेत्रीय चेयरमैन श्री निखिल साहनी, भारत कृषक समाज के चेयरमैन श्री अजयवीर जाखड़ समेत कृषि व्यवसाय एवं उद्योग से जुड़े विशिष्टï व्यक्तियों ने भी अपने-अपने विचार रखे।

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