जयपुर, 28 अप्रेल। राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्र्स्ट राज्य की पांच परियोजनाओं
में लाईमस्टोन, गारनेट और आयरन ओर के भण्डारों की खोज करवाएगा वहीं प्रदेश में खनिज
एक्सप्लोर गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए ड्र्लििंग कार्य के लिए ड्र्लििंग मशीन व उपकरणों सहित
आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेटंोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में
आरएसएमईटी की कार्यकारी परिषद की वर्चुअल प्लेटफार्म पर बुधवार को आयोजित पहली बैठक में
यह निर्णय किया गया। बैठक में वर्चुअल प्लेटफार्म पर कार्यकारी समिति के सदस्य एमईसीएल के
सीएमडी श्री रंजीत रथ, जीएसआई पश्चिम क्षेत्रा निदेशक डॉ. एसके कुलश्रेष्ठ, आईबीएम के श्री बीएल
कोटडीबाल, आरएसएमएमएल के एफए श्री टीआर अग्रवाल, निदेशक माइंस श्री केबी पण्ड्या, जेएस
नीतू बारुपाल ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्राी श्री अशोक गहलोत की पहल पर प्रदेश में
सितंबर, 20 में खनन गतिविधियों को विस्तारित करने के लिए इस ट्र्स्ट का गठन किया गया।
मुख्यमंत्राी श्री गहलोत का मानना है कि राजस्थान में अपार खनिज संपदा मौजूद है। खनन के क्षेत्रा में
आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान को पूरी प्रतिवद्धता, तकनीक का बेहतर उपयोग, कार्यशैली में
पारदर्शिता और इंवेस्टमेंट फ्रैण्डली के रुप में काम करना होगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्राी श्री
गहलोत की पहल और दिशा-निर्देशों को आगे बढ़ाते हुए ट्र्स्ट की कार्यकारी समिति की पहली बैठक
में ही महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि आरएसएमईटी में एकत्रित राशि से राज्य में खनन
खोज गतिविधियों को गतिशील किया जाएगा। इसके लिए पहले चरण में पांच परियोजनाओं में लाईम
स्टोन के भण्डारों की खोज का कार्य कोटा जिले की नीमाना-धुनिया, बारां जिले के शाहबाद और
जोधपुर जिले के बिलाडा तहसील के भगासनी ब्लॉक, अजमेर के पीसांगन के सरसड़ी में गारनेट और
झुन्झुनू के उदयपुरवाटी के पचलंगी पापड़ा में आयरन ओर के भण्डारों के एक्सप्लोर का कार्य इस
ट्र्स्ट के सहयोग से करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह से माइंस विभाग की प्रयोगशाला
को उच्च स्तरीय बनाने के लिए उसे आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही एनएबीएल से प्रमाणित संस्था बनाया जाएगा जिससे संेपलों के विश्लेषण का कार्य स्तरीय और त्वरित
हो सके।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि विभाग में ड्र्लििंग कार्य को गति देने के लिए इस ट्र्स्ट से नई
ड्र्लििंग मशीन व आवश्यक उपकरण, आवश्यकता पड़ने पर आउटसोर्सिंग और प्रोत्साहन आधारित
एक्सन प्लान क्रियान्वित किया जाएगां। उन्होंने बताया कि अभी विभाग के पास ड्र्लििंग के लिए पुरानी
मशीनरी और प्रर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण साल में 2500-2600 मीटर ही ड्र्लििंग हो पाती है।
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इस ट्र्स्ट के माध्यम से विभाग की एक्सपलोरेशन
गतिविधियों में तेजी लाई जाएगी। उन्होंने बताया कि ट्र्स्ट की बैठक प्रति तीसरे माह और आवश्यकता
पड़ने पर पहले भी की जा सकेगी ताकि इसके सहयोग से राज्य में खनन खोज व खनन कार्य
गतिविधियों में तेजी लाई जा सके।
मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन के सीएमडी श्री रंजीत रथ ने राज्य सरकार द्वारा ट्र्स्ट के
गठन की सराहना की और एमईसीएल के माध्यम से हरसंभव सहयोग का विश्वास दिलाया। उन्होंने
नागपुर मुख्यालय का विजिट करने का आग्रह किया और कहा कि इससे देशभर की खनन खोज
गतिविधियों का अनुभव साझा हो सकेगा।
निदेशक माइंस श्री केबी पण्ड्या ने बताया कि ट्र्स्ट का मुख्यालय जयपुर में होगा। उन्होंने
बताया कि ट्र्स्ट की गतिविधियों का संचालन हेतु गठित कोष में रायल्टी से 2 प्रतिशत राशि प्राप्त
होगी। एक मोटे अनुमान के अनुसार इस कोष में सालाना 25 से 30 करोड़ की राशि प्राप्त होगी।
वर्चुअल बैठक में जीएसआई के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र कुलश्रेष्ठ, आईबीएम के बीएल
कोटडीवाल, आरएसएमएमएल के वित्तीय सलाहकार टीआर अग्रवाल आदि ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
बैठक में तकनीकी वित्तीय समिति बनाने का भी निर्णय किया गया। बैठक में उपसचिव नीतू बारुपाल,
अतिरिक्त निदेशक भूविज्ञान श्री प्रदीप अग्रवाल, ओएसडी श्री आलोक जैन आदि ने भी हिस्सा लिया।