कैप्टन सरकार के अधिवक्ताओं ने सीबीआई और हरियाणा पुलिस से जांच वाले दो विकल्पों को नकार कर, नई एसआईटी बनाने का विकल्प चुना- भगवंत मान
कैप्टन ने एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के करियर को कलंकित किया, अब उस अधिकारी की रिपोर्ट की तारीफ करने का ड्रामाकर रहे हैं
कुंवर विजय प्रताप का इस्तीफे से कैप्टन-बादल की सांठगांठ का खुलासा हुआ, अधिकारी ने बता दिया कि ऐसे माहौल में काम नहीं किया जा सकता
मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि बादल के साथ कैप्टन की मिलीभगत है, कैप्टन से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती : भगवंत मान
पटियाला, 14 अप्रैल 2021
बहबल कलां और कोटकपूरा गोलीकांड की जांच के बाद भी अभी तक पीडि़तों को न्याय नहीं मिलने का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य भगवंत मान ने कहा कि हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह ने इस्तीफा दे दिया जो मामलों की जांच कर रही एसआईटी का नेतृत्व कर रहे थे। इस घटना से कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल के बीच की मिलीभगत साबित हो गई है। बुधवार को यहां बुलाई गई एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भगवंत मान ने कहा कि 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बरगाड़ी में बेअदबी में हुई, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग, आंसू गैस के गोले और पानी की तोपों का इस्तेमाल किया, जिसमें दो लोग शहीद हो गए थे और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसकी जांच भी करवाई, लेकिन अभी तक कोई सार्थक निष्कर्ष निकला। इस मौके उनके साथ प्रदेश महासचिव हरचंद सिंह बरसट, प्रदेश सचिव गगनदीप सिंह चढ्डा, प्रदेश खजांची नीना मित्तल, जिला प्रधान (शहरी) जसवीर सिंह गांधी व ग्रामीण प्रधान मेघ चंद शेरमाजरा आदि नेतागण उपस्थित थे।
मान ने कहा, 2015 से 2017 तक वे क्या मांग कर सकते थे, क्योंकि उस समय जो आरोपी थे, वे सरकार में थे। उन्होंने कहा कि पहले रिटायर्ड जस्टिस जोरा सिंह द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को नकार दिया गया। इसके बाद न्यायमूर्ति रंजीत सिंह के नेतृत्व में एक आयोग का गठन उस मामले की जांच के लिए किया गया। आज एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है उस आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश हुए। फिर बाद में आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसने कड़ी मेहनत की और सभी स्थानों पर जाकर सबूत इक_े किए और यह रिपोर्ट तैयार की।
उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अज्ञात पुलिस के संबंध में दर्ज मामलों को भी हटा लिया। एक गृह मंत्री और एक एसएसपी को अच्छी तरह से पता होता है कि उनकी पुलिस कहां जा रहा है या क्या कर रही है। एसआईटी ने अदालत में 9 चालान पेश किए लेकिन तीन साल बाद अचानक सभी को डंप कर दिया गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल पर आरोप लगाते हुए मान ने कहा, मैं यह लंबे समय से कह रहा हूं कि कैप्टन और बादल मिले हुए हैं। अब इस बात का कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी सांठगांठ सामने आ गई है।
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पंजाब सरकार के अधिवक्ताओं से पूछा था कि क्या वे चाहते हैं कि सीबीआई या हरियाणा पुलिस से इसकी जांच कराई जाए या कुंवर विजय प्रताप के बिना एक नई एसआईटी बनाई जाए? तो यह बेहद चौंकाने वाला था कि कैप्टन सरकार के अधिवक्ताओं ने अदालत द्वारा दी गई सीबीआई और हरियाणा पुलिस वाले दो विकल्पों को नकार कर नई एसआईटी बनाने का विकल्प चुना। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार अब हाईकोर्ट के फैसले को कैसे चुनौती दे सकती है, जब यह उनकी सहमति के बाद किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर सरकार मामले को टालना चाहती है। अब सुप्रीम कोर्ट में एक साल और नई एसआईटी में और चार साल लगेंगे। फिर मामला ऐसे ही खत्म हो जाएगा। मान ने कहा, क्या दो सिखों के जीवन का कोई मूल्य नहीं है, जो शहीद हो गए?
मान ने कहा कि अब कैप्टन कह रहे हैं कि उन्हें कुंवर विजय की जांच रिपोर्ट पर पूरा भरोसा है तोफिर उन्होंने अदालत में रिपोर्ट पर कोर्ट में बहस करने के लिए अच्छे वकील क्यों नहीं रखे? उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों के समय जांच रिपोर्ट में सुखबीर बादल का नाम सामने आ रहा था इसीलिए उन्होंने उनका तबादला करवा दिया। अब, उन्होंने फिर से एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के करियर को दागदार कर दिया है, जिन्हें कई मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
उन्होंने कहा कि कैप्टन ने एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के करियर को कलंकित किया है और अब उनकी जांच रिपोर्ट की तारीफ कर उसपर भरोसा जताने का ड्रामा कर रहे हैं। कुंवर विजय प्रताप का इस्तीफा कैप्टन-बादल की सांठगांठ का सबूत है। अधिकारी ने दिखाया है कि इस तरह के माहौल में जांच करना मुमकिन नहीं है। मान ने कहा कि पंजाब का हर बच्चा जानता है कि मामले में दोषी कौन हैं, लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने आरोपियों को बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बादल ने भी कैप्टन के खिलाफ सिटी सेंटर घोटाले और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के मामलों को वापस ले लिया था और अब कैप्टन उस कर्ज को ब्याज के साथ चुका रहे है।