नशा छोड़ने वालों की जिंदगी में ओट क्लीनिक के साथ-साथ नशा मुक्ति केंद्र लाए अहम बदलाव

अंधेरे से रौशनी का सफ़र
नशा छोड़ने के बाद गुज़ार रहे हैं सम्मानजनक जिंदगी
पटियाला ज़िलो के 12 ओट क्लीनिक नशा मुक्ति के लिए बने प्रेरक
पटियाला, 24 जून 2021
किसी समय नशों की ग़ुलामी झेलने वाले युवा आज सरकार की तरफ से नशा मुक्ति मुहिम के अंतर्गत चलाए जा रहे ओट क्लीनिकों व नशा मुक्ति केन्द्रों द्वारा फिर से सम्मानजनक ज़िंदगी जीने लगे हैं।
पटियाला ज़िले में काम कर रहे 12 ओट क्लीनिक नशों की लत का शिकार हुए लोगों को नशा छुड़वाकर समाज की मुख्यधारा में वापिस लाने का एक बेहतर जरिया साबित हो रहे हैं। अपना नाम प्रकाशित न करवाने की शर्त पर शहर के एक ओट क्लीनिक में इलाज के लिए आए व्यक्ति ने कहा कि परिवार में रह कर नशे से मुक्ति पाना बेहद सकूनभरा था। जबकि क्लीनिक में भर्ती होकर नशा छोड़ने का अनुभव उतना बेहतर नहीं था। अपने अनुभव का हवाला देते हुए इस व्यक्ति ने नशे की लत का शिकार अन्य युवाओं को अपील की कि यदि वह किसी भी तरह के नशे से छुटकारा पाना चाहते हैं तो देर नकर ओट क्लीनिक का सहारा लें।
अपनी आप बीती बताते हुए उसने कहा कि वह किसी न किसी कारण करके नशों की दलदल में फंस तो गए परंतु इसके बाद नशा छोड़ना कठिन हो गया। इस लिए उन्होंने पंजाब सरकार की तरफ से शुरू किए ओट कलीनिक (ओ. ओ. ए. टी) में ओट ले ली और यहां धीरे- धीरे नशा मुक्ति का जरिया बन गए। नशे को छोड़ने में सफल रहे इस व्यक्ति का कहना है कि क्लीनिक में भर्ती हुए बिना ओट क्लीनिक से नशा छुड़वाने का उपचार करवाकर व्यक्ति अपने रोजाना के कामकाज भी आसानी से कर सकता है, जो किसी क्लीनिक या अस्पताल में भर्ती होकर संभव नहीं है।
अपना नाम पता गुप्त रखते हुए एक अन्य मरीज ने बताया कि वह अपना इलाज तो करवाना चाहते थे परन्तु घरेलू मजबूरियों के कारण नशा मुक्ति केन्द्रों में दाख़िल नहीं हो सकते थे। ओट सैंटर से नशे की लत को छुड़वाने का उपचार शुरू किया और उसका जबरदस्त परिणाम निकला।
ओट सैंटरें के नोडल आफिसर डा. साजीला ख़ान ने बताया कि कोविड महामारी दौरान भी ओट सैंटरें की तरफ से मरीजों के साथ पूरा संपर्क रखा गया और सेंटर काउंसलर की तरफ से दवा संबंधी पूरी जानकारी देकर उन्हें 14 दिनों की दवा नियमित रूप से दी गई।
सी.एस.सी घनौर में बने ओट क्लीनिक में अपना इलाज करवाने वाले 50 वर्षीय एक मरीज़ ने अपना ओट क्लीनिक का तजुर्बा सांझा करते हुए कहा कि वह अफ़ीम समेत ओर कई नशे करता था, लेकिन इससे छुटकारा पाने के लिए किसी अस्पताल या क्लीनिक में भर्ती नहीं होना चाहता था। परिवार का पालन करने के लिए वह अपना काम-काज नहीं छोड़ सकता था। ओट क्लीनिक से नशा छुड़वाने की दवा लेकर वह अपने आपको और परिवार को फिर से खुशियां दे सका है।
सी.एच.सी घनौर के अस्पताल के ओट क्लीनिक के डा. जसजोत सिंह दयोल ने कहा कि इन क्लीनिकों में आने वाले मरीजों का पेशाब टेस्ट करके नशों की किस्म की मात्रा का पता लगाकर उसके हिसाब सी दवाई दी जाती है। मरीज़ के आधार कार्ड के साथ आन लाइन आई.डी. बना कर उसको एक नंबर जारी किया जाता है, जिसके साथ मरीज़ पंजाब में किसी भी ओट क्लीनिक में जा कर दवा ले सकता है।
डा. जसजोत सिंह ने बताया कि इन क्लीनिकों में अफ़ीम की श्रेणी के नशे, हैरोइन, भुक्की और स्मैक आदि के मरीज़ आते हैं, जिनको माहिर डाक्टरों, पैरा मैडीकल स्टाफ और काउंसलर से इलाज करवाने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा मरीज़ नशा त्याग कर दवा लेने लग जाता है और कुछ समय बाद उसके शरीर की जांच करने के बाद उसका इलाज पूरा होने के बाद मरीज़ नशा मुक्त हो जाता है।
डिप्टी कमिशनर पटियाला कुमार अमित ने बताया कि साकेत अस्पताल, केंद्रीय जेल पटियाला, सिवल अस्पताल नाभा, समाना, राजपुरा समेत सी.एच.सी. मॉडल टाऊन, त्रिपड़ी, कालोमाजरा, भादसों, घनौर, दूधनसाधां और पातड़ा में यह 12 क्लीनिक चल रहे हैं, जहाँ अब तक 4932 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन करवाई है और इनमें से काफ़ी मरीज़ ठीक होकर अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी अच्छी तरह व्यतीत कर रहे हैं।
पटियाला ज़िले के ओट कलीनिकों की ओट लेकर अंधेरे से रौशनी की तरफ बढ़ने वालों की तस्वीर।

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