पंजाब सरकार को अदालतों में कार्यरत अनुसूचित जाति के जजों / अधिकारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने को लेकर नेशनल एससी कमीशन ने जारी किया निर्देश

VIJAY SAMPLA
ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅਨੁਸੂਚਿਤ ਜਾਤੀ ਕਮਿਸ਼ਨ ਨੇ ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸਕੱਤਰ, ਡੀਜੀਪੀ ਅਤੇ ਮੁੰਬਈ ਦੇ ਪੁਲਿਸ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ, ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰਾਲੇ ਦੇ ਕੌਮੀ ਸਕੱਤਰ ਨੂੰ 31 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਤਲਬ ਕੀਤਾ

नेशनल एससी कमीशन ने पंजाब सरकार से कोर्ट के जजों/ अधिकारियों के प्रमोशन में आरक्षण देने के दिए निर्देश

चंडीगढ़ , 16 सितंबर: पंजाब की अदालतों में नौकरी करते अनुसुचित जाति से संबंधित जूडिशल ऑफिसर्स / न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पदोन्नित में आरक्षण के मामले पर सुनवाई करते हुए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाती आयोग ने पंजाब सरकार को इसे तुरंत लागू करने का निर्णय सुनाया है।

गौरबतलब है कि 8 अप्रैल 2021 को प्रार्थी द्वारा आयोग को दी गई शिकायत अनुसार पंजाब की अदालतों में अनुसूचित जाति के जजों / अधिकारियों को पदोन्नति  में आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए नेशनल एससी कमीशन ने पाया कि पंजाब सरकार द्वारा पंजाब में एससी व ओबीसी जाति (सेवाओं में आरक्षण) एक्ट-2006 कानून पारित किया था जिसके तहत ग्रुप-ए और बी में एससी को 14 फीसदी और ग्रुप-सी और डी में एससी को 20 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रवाधान किया है, लेकिन न्यायिक सेवाओं व अदालती कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। यह संविधान में एससी कैटेगरी के लिए प्रदत्त प्रावधानों का भी उल्लंघन है। आयोग ने पंजाब सरकार को इसे तुरंत लागू करने को कहा है।

बता दें कि इससे पहले आयोग इस मामले में 4 बार सुनवाई (17/06/2021, 20/07/2021, 04/08/2021 और 25/08/2021) कर चुका है। लेकिन 15 सितंबर 2021 को हुई अंतिम सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की विशेष सचिव (गृह मामले व न्याय) बलदीप कौर, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल संजीव बेरी, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी अंजू राठी राणा हाजिर रहे। विशेष सचिव बलदीप कौर ने बताया कि पंजाब सरकार के कर्मचारियों के लिए एक्ट-2006 के अनुसार प्रमोशन में आरक्षण लागू है लेकिन न्यायपालिका के लिए यह व्यवस्था नहीं है।

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आयोग अध्यक्ष  विजय सांपला ने यह भी स्पष्ट किया है कि ‘बिहार सरकार व अन्य बनाम बाल मुकंद साहा व अन्य (2000)’ केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि बिहार राज्य की न्यायपालिका में कार्यरत जज / अधिकारी भी राज्य सरकार के ‘इस्टैब्लिशमेंट’ कैटेगरी में आते हैं। इसी प्रकार पंजाब के विभिन्न अदालतों में जजों / अधिकारियों की नियुक्ति भी राज्य सरकार की ‘इस्टैब्लिशमेंट’ श्रेणी में मानी जानी चाहिए।  इसलिए ये सभी आरक्षण लाभ के हकदार हैं।

विजय सांपला ने मामले की सुनवाई दौरान कहा कि पंजाब सरकार का गृह विभाग तुरंत आरक्षण नियमों के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करे। आयोग ने आगामी 2 सप्ताह में संबंधित अधिकारियों को एक्शन टेकन रिपोर्ट भी पेश करने को कहा।

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