पशुओं से दूध का अधिक उत्पादन लेने के लिए सबसे जरूरी उनको वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा दें

Chaudhary Charan Singh Haryana Agricultural University to have information about e-resources available in Nehru Library through mobile app
पशुओं से दूध का अधिक उत्पादन लेने के लिए सबसे जरूरी उनको वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा दें
चण्डीगढ़, 21 जुलाई- हरियाणा के किसानों व पशुपालकों को अपने पशुओं को वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा मुहैया करवाने के लिए हरे चारे का साइलेज बनाकर रखना चाहिए, ताकि हरे चारे की उपलब्धता कम होने पर इस साइलेज का उपयोग पशुओं के आहार के तौर पर किया जा सके। यह जानकारी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के एक प्रवक्ता दी।
प्रवक्ता ने बताया कि पशुओं से दूध का अधिक उत्पादन लेने के लिए सबसे जरूरी है कि उनको वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा दिया जाए। उन्होंने कहा कि हरे-चारे के अभाव में पशु कमजोर हो जाते हैं तथा उनका दूध उत्पादन भी गिर जाता है। उन्होंने कहा कि यदि पशुओं को पौष्टिक हरा-चारा मिलता रहे, तो उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है तथा उनके आहार पर दाना भी कम खर्च होता है, इसलिए मानसून के मौसम में जब भी चारे का उत्पादन अधिक हो तो उसको संरक्षित करके रख लेना चाहिए ताकि वर्ष भर पौष्टिक चारा पशुओं को मिलता रहे।
उन्होंने बताया कि वर्ष में अप्रैल से जून व नवम्बर-दिसम्बर के महीनों में हरे-चारे की काफी कमी हो जाती है, इसलिए कुछ एहतियात पहले से ही बरतनी चाहिए ताकि पशुपालक अपने पशुओं को पूरे वर्ष हरा-चारा उपलब्ध करवा सकें। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम, खरीफ व रबी में पशु-पालकों के पास फालतू चारे उपलब्ध होते हैं, इसलिए इन दिनों में हरे-चारे को परिरक्षित( प्रिजर्वेशन) करके रखा जाना चाहिए जिसे कमी के समय पशुओं को खिलाया जा सके।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि किसानों के पास खरीफ के हरे-चारे, ज्वार, मक्का, बाजरा व लोबिया तथा रबी के मौसम में बरसीम, जई, लुर्सन (रिजका) होते हैं और परिरक्षण करते समय इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि चारे की गुणवत्ता पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े तथा परिरक्षित चारे का उपयोग उन महीनों में किया जा सके, जब हरा-चारा उपलब्ध न हो।
इसके अलावा, खरपतवार वाले पौधों का भी अच्छा साइलेज बन सकता है। उच्च नमी वाले चारे को वायु रहित वातावरण में परिरक्षित करना ही साइलेज होता है। उन्होंने बताया कि हरे चारे का अचार बनाना ही साइलेज है।
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