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कहा – प्रदेश का माहौल खराब कर राष्ट्रपति साशन लागू कराने की है साजिश
चंडीगढ़,4 सितंबर 2021
संयुक्त किसान मोर्चा ने सुखबीर सिंह बादल द्वारा की गई राजनीतिक रैलियों को किसान आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास करार दिया, जिससे सीधे तौर पर साबित हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर बादल परिवार और अकाली दल किसानों के खिलाफ साजिश कर रहे हैं।’
यह बात आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब से विधायक और किसान विंग पंजाब के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने कही। संधवां ने कहा कि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को संयुक्त किसान मोर्चा और आम आदमी पार्टी को बदनाम करने से बचना चाहिए क्योंकि उन्होंने जो बीज बोए थे आज वहीं काट रहे हैं।
शनिवार को पार्टी कार्यालय से जारी एक बयान में कुलतार सिंह संधवां ने साफ किया कि सुखबीर सिंह बादल अपने आका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर पंजाब में माहौल खराब करने की बात कर रहे है ताकि पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सके। पंजाब का किसान और आम लोग सुखबीर बादल से उनके 10 साल के शासन के दौरान पंजाब को लूटने तथा काले कृषि कानूनों को लेकर विश्वासघात करने के बारे में सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन सुखबीर सिंह बादल मीडिया के सामने झूठी बयानबाजी कर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर अकाली दल की राजनीतिक रैलियों का विरोध करने का आरोप लगा रहे हैं।
संधवां ने कहा कि बादल परिवार के शासन में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई तथा बहबल कलां में न्याय की मांग करने वाले सिखों पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें दो सिख युवकों की मौत हो गई थी । पंजाब की जनता आज भी बादल के माफिया शासन को नहीं भूली है। ऊपर से बादल परिवार ने कृषि अध्यादेशों पर हस्ताक्षर कर पंजाब के लोगों को और नाराज़ किया है।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को ‘शरारती तत्व’ बताया और चेतावनियों देने ने आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि सुखबीर सिंह बादल किसानों को शरारती तत्व कहना बंद करें और किसानों के सवालों का जवाब दें क्योंकि बादल परिवार ने हमेशा खुद को किसानों और पंथ का हितैषी बताया है।
संधवां ने कहा कि सच तो यह है कि काले कृषि कानूनों के लिए भाजपा जनता पार्टी सहित अकाली दल और कांग्रेस समान रूप से जिम्मेदार हैं, क्योंकि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ही यह काले कानून तैयार किए थे जबकि भाजपा और अकाली दल की सरकार ने किसानों, मजदूरों तथा आम जनता विरोधी यह कानून लागू किए हैं।