यूथ अकाली दल ने पीयू से उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट वापिस लेने की मांग की यां फिर 12 जुलाई को विरोध प्रदर्शन करेंगे

यूथ अकाली दल मालवा बेल्ट में पंजाब के सात जिलों के 200 काॅलेजों की मान्यता रदद करके विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अधिकार में कमी बर्दाश्त नही करेगा: सरदार परमबंस सिंह रोमाणा
सीनेट तथा सिंडिकेट के लिए तत्काल चुनाव की मांग की
कहा कि पंजाब गर्वनर को यूनिवर्सिटी का चांसलर बनाया जाए
आरएसएस-भाजपा के एजेंडे को लागू करने के लिए वीसी डाॅ. राजकुमार की निंदा की
चंडीगढ़/09जुलाई 2021 यूथ अकाली दल के अध्यक्ष सरदार परमबंस सिंह रोमाणा ने कहा कि आज पंजाब विश्वविद्यालय को चांसलर की उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट वापिस लेने की मांग की, जिसका उददेश्य विश्वविद्यालय को आरएसएस-भाजपा गठबंधन को सौंपा गया है, तथा साथ ही इसके लोकतांत्रिक और एच्छिक स्वरूप को समाप्त किया गा है, जिसके लिए यूथ अकाली दल तथा स्टूडेंट्स आॅर्गनाइजेशन आॅफ इंडिया (एसओआई) 12 जुलाई को वाईस चांसलर के कार्यालय के सामने भारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पीयू स्टूडेंटस कांउसिल के अध्यक्ष चेतन चैधरी के साथ यहां यूथ अकाली दल अध्यक्ष ने कहा , ‘‘ हम ‘मालवा बेल्ट’ में राज्य के सात जिलों में फैले लगभग 200 काॅलेजों को असंबद्ध करके उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा प्रस्तावित केंद्र शासित प्रदेश के बाहरी इलाके में विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार में कमी करने के लिए उठाया गया कोई भी कदम बर्दाश्त नही करेंगे’।
सरदार परमबंस सिंह रोमाणा ने विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट के तत्काल चुनाव कराने की मांग की है। उन्होने कहा कि वाईस चांसलर डाॅ. राजकुमार पंजाब, हरियाणा और हिमाचल सरकारों को पत्र भेजकर चुनाव कराने के लिए हाईकोर्ट के निर्देशों को टालने की कोशिश कर रहे हैं। ‘ हरियाणा और हिमाचल दोनों में भाजपा की सरकारें हैं, और हम जानते हैं कि वाईस चांसलर की इच्छाओं के अन ुसार काम करेंगें, जो दो स्वायत निकायों के चुनाव को जानबूझकर सीधे आरएसएस-भाजपा के नियंत्रण में लाने का काम कर रहे हैं’।
यूथ अकाली दल ने मांग की है कि चूंकि पहले विश्वविद्यालय के चासंलर पंजाब के राज्यपाल हुआ करते थे, और अंतरिम आदेश पर यह चार्ज उपराष्ट्रपति को दिया था, इसे रदद किया जाना चाहिए।
इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए सरदार रोमाणा ने कहा कि वाईस चांसलर डाॅ. राजकुमार सीधे तौर पर आरएसएस और भाजपा के साथ मिलीभगत कर विश्वविद्यालय का रूप बदलने के लिए जिम्मेदार हैं। ‘यह स्पष्ट है कि आरएसएस के एजेंडे के अनुसार क्षेत्र के युवाओं का ब्रेनवाश करके वह इस्तेमाल करना चाहते हैं’। उन्होने कहा कि इसी बात को ध्यान में रखकर सीनेट और सिंडीकेट दोनों के रूप केा उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा बदलने का प्रस्ताव किया गया है। ‘ नए प्रस्ताव के तहत सीनेट, जो पंजीकृत स्नातकों के हलके से चुने गए सदस्यों का का पंद्रह सदसय निकाय है , के चार सदस्य हटा दिए गए हैं , जिनमें सभी कुलपति द्वारा मनोनीत किए जाएंगे। इसी तरह सिंडिकेट मामले में , जो विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, नए प्रस्तावों का उददेश्य दस मनोनीत

 

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