सरदार सुखबीर सिंह बादल ने गृहमंत्री अमित शाह से चंडीगढ़ यू.टी के लिए एक पूर्ण प्रशासक नियुक्त करने के भारत सरकार के फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया

SUKHBIR SINGH BADAL
ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ ਵੱਲੋਂ ਆਪਸੀ ਸਹਿਮਤੀ ਨਾਲ ਦੋ ਸੀਟਾਂ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ।

कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब की हिस्सेदारी किसी भी तरह से कम नही होनी चाहिए, चंडीगढ़ को जल्द से जल्द पंजाब ट्रांसफर करने की मांग की
चंडीगढ़/12अगस्त 2021 शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने गृहमंत्री अमित शाह से अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार के इस आरोप के पंजाब के राज्यपाल का विनिवेश कर केंद्र शासित प्रदेश के लिए पूर्ण प्रशासक नियुक्त करने के फैसले की समीक्षा करें।
कल शाम गृहमंत्री से मुलाकात के दौरान राजधानी में पंजाब के दावे को कमजोर करने की कोशिश बताते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का अविभाज्य हिस्सा था और इसे जल्द से जल्द मूल राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने गृहमंत्री को बताया कि राज्य के बाहर से केंद्र शासित प्रदेश के लिए पूर्ण प्रशासक नियुक्त करने का कोई कारण नही है। ‘‘ प्रशासक नियुक्ति तब तक नही करनी चाहिए जब तक कि केंद्र शासित प्रदेश को पंजाब में स्थानांतरित नही किया जाता है , इसीलिए अधिकारी मूल राज्य से होना चाहिए। पहले भी चंडीगढ़ के चीफ कमिशनर भी पंजाब के रहने वाले थे’’।
सरदार बादल ने गृहमंत्री को बताया कि पंजाब के पुनगर्ठन के समय लिए गए सभी फैसलों का एक के बाद एक उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में अधिकारियों की तैनाती के लिए 60ः40 का अनुपात का पालन नही किया जा रहा है, जिसमें अधिकांश अधिकारी पंजाब से होने चाहिए। ‘‘ केंद्र शासित प्रदेश में पंजाब सेवा के अधिकारियों की संख्या कम करने के लिए अलग कैडर बनाए गए हैं, और अब 60ः40 फामूर्ले का घोर उल्लंघन करते हुए एजीएमयूटी अधिकारियों को भी प्रमुख पदों पर तैनात किया जा रहा है’’।
सरदार बादल ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में पंजाब की भूमिका को कमजोर करने का फैसला किया है। उन्होने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनडीए सरकार पंजाब विरोधी कदम लागू करने का प्रस्ताव देकर कांग्रेस सरकार के रास्ते पर चल रही है, जो संविधान की भावना के भी खिलाफ है।
सरदार बादल ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल ने इससे पहले भी पंजाब के राज्यपाल को इस आरोप में विनिवेश करते हुए 2016 में चंडीगढ़ के लिए अलग प्रशासक नियुक्त करने के कदम का विरोध किया था। ‘‘ हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक आंदोलन शुरू करेंगें कि इस तरह की कार्रवाई दोबारा न हो’’। उन्होने कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी अनुरोध किया कि वे केंद्र सरकार के साथ इस मामले को सख्ती से आगे बढ़ाएं और केंद्र द्वारा पंजाब विरोधी कोई फैसला न लिया जाना सुनिश्चित करें ।
सरदार बादल ने यह भी खुलासा किया कि पंजाब का चंडीगढ़ पर पहला अधिकार था, क्योंकि पंजाब से संबंधित गांवों के लागों को उजाड़कर केंद्र शासित प्रदेश की स्थापना की गई थी। उन्होने कहा कि भले ही चंडीगढ़ अभी भी पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी थी, लेकिन किसी न किसी बहाने केंद्र शासित प्रदेश में उसकी हिस्सेदारी को कमजोर करने की कोशिशें चल रही हैं। ‘‘ केंद्र सरकार ने पंजाबी की जगह अंग्रेजी की जगह चंडीगढ़ की राजभाषा के रूप में जगह दी है, भले ही इस क्षेत्र में अंग्रेजी बोलने वाले लोग न हों। इसी तरह केंद्र शासित प्रदेश से वसूले गए करों में मूल राज्य को हिस्सेदारी से वंचित किया जा रहा

 

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