स्वयं थे वेंटिलेटर पर, पिता की हुई मौत, भाई था विदेश में ऐसे में सगे सम्बन्धियों ने की सेवा

पिता की मौत के बाद संस्कार से लेकर घर संभालने की भी निभाई जिम्मेदारी
कुरुक्षेत्र 21 मई,2021 अपनों का साथ हो तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार कर जाता है। जब इंसान पर कोई मुसीबत आती है तो वह सबसे पहले अपने सगे सम्बन्धियों से मदद की आशा रखता है। कोरोना संक्रमण से पूरे परिवार के ग्रसित होने पर मुनीष ने अपने साथ गुजरे हर लम्हे को सांझा करते हुए कहा कि वे स्वयं और उनके पिता दोनों ही कोविड की चपेट में आ गए थे। छोटा भाई आस्ट्रेलिया में था, घर में पत्नी व मां ही थी। कोविड के चलते ज्यादातर कहीं से भी सहयोग की आशा नहीं थी, लेकिन ऐसे में उनके जीजा और मामा आगे आए। उन्होंने लगातार 21 दिन तक अस्पताल में तिमारदारी की, बल्कि पिता की मौत के बाद उनके संस्कार से लेकर घर को संभालने का जिम्मा भी संभाले रखा।
दिल्ली वासी मुनीष 17 दिन कुरुक्षेत्र के कोरोना डेडिकेटिड आरोग्यम अस्पताल में एडमिट रहे। यहां डा. अनुराग कौशल व उनकी टीम के साथ साथ दोनों लगातार उनकी सेवा में रहे। उन्होंने कहा कि वे स्वयं व उनके पिता मोहननलाल अरोड़ा दोनों ही कोविड की चपेट में आए थे। चार दिन उन्हें दिल्ली के अस्पताल में रखा। वहां हालात बिगडते देख परिजन उन्हें कुरुक्षेत्र के आरोग्यम अस्पताल लेकर पहुंचे। दरअसल दिल्ली में उनके सेहत में ज्यादा रिकवरी नहीं हो रही थी और दूसरी जगह कहीं बेड खाली नहीं मिली। ऐसे में कुरुक्षेत्र में एक परिचित के सुझाव पर उन्हें यहां लेकर आए तथा 27 अप्रैल को दोनों को यहां एडमिट किया।
उन्होंने कहा कि उनका छोटा भाई आस्ट्रेलिया में रहता है, वह चाह कर भी भारत नहीं आ पाया। ऐसे में जीजा जितेंद्र व मामा जगदीश सहगल मददगार बने। दोनों उन्हें दिल्ली से आरोग्यम अस्पताल में लेकर आए और 28 अप्रैल को पहले पिता को वेंटिलेटर और बाद में उन्हें भी वेंटिलेटर की जरुरत पड़ गई। शाम को पिता का देहांत हो गया। लेकिन उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई, घर पर महिलाएं ही थी, ऐसे में दोनों रिश्तेदारों ने मिलकर उनके पिता के संस्कार का जिम्मा पूरा किया, घर वालों को भी ढांढस बंधाया, वे स्वयं 17 दिनों अस्पताल में रहे और अपने सगे सम्बन्धियों के सहयोग से कोरोना को हराने में सफल रहे। इसलिए कहा जा सकता है कि अगर अपनों का साथ हो तो बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी आसानी से खत्म किया जा सकता है।

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