चंडीगढ़, 29 जून – राज्य के विभिन्न राजस्व सम्पदाओं के ‘आबादी देह’ (लाल डोरा) में स्वामित्व योजना को कानूनी और वैधानिक मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से हरियाणा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने तीन विभिन्न अधिनियमों में आवश्यक संशोधनों व समावेश का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया है।
योजना को वैधानिक मजबूती प्रदान करने की पहल उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला द्वारा उपायुक्तों के साथ हुई समीक्षा बैठक के दौरान की गई थी।
इस समिति की अध्यक्षता विकास एवं पंचायत विभाग के महानिदेशक श्री रमेश चंद्र बिढान करेंगे। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक श्री अशोक कुमार मीणा, जींद के उपायुक्त श्री आदित्य दहिया, निदेशक, भू-अभिलेख सुश्री आमना तसनीम, करनाल के उपायुक्त श्री निशांत कुमार यादव, हरियाणा लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट के मिशन निदेशक ले. जनरल (सेवानिवृत्त) गिरीश कुमार, डीडी एवं एसआईओ, एनआईसी श्री दीपक बंसल, विकास एवं पंचायत विभाग के संयुक्त निदेशक श्री एमएल गर्ग, श्री आरएस सोडी, डीडी, लीगल, श्री उत्तम ढालिया, डीडी, विकास एवं पंचायत विभाग और श्री आर. के. गर्ग, राजस्व सलाहकार, एफसीआर कार्यालय इस समिति के सदस्य होंगे।
समिति में विभिन्न विभाग जैसे राजस्व, विकास एवं पंचायत विभाग और शहरी स्थानीय निकाय विभाग शामिल हैं, जो योजना को कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए पंजाब कॉमन लैंड्स (रेगुलेशन) एक्ट 1961, हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट, 1973 और हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में संशोधन एवं समावेश का मसौदा तैयार करेंगे। यह 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
इस संबंध में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्त आयुक्त श्री संजीव कौशल द्वारा आदेश जारी किए गए हैं।
अपने आदेश में श्री कौशल ने कहा है कि सभी राजस्व सम्पदाओं के हरियाणा लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट (एचएएलएसएमपी) और सभी राजस्व सम्पदाओं (गांवों) में ‘आबादी देह’ (लाल डोरा) में स्वामित्व योजना के कार्यान्वयन के साथ योजना को कानूनी पृष्ठभूमि और क़ानून मजबूती प्रदान करना अनिवार्य हो गया था।
हालांकि ‘आबादी देह’ का नक्शा तैयार करने के संबंध में हरियाणा पंचायती राज नियम, 1995 की धारा 14 के साथ पठित हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 26 में प्रावधान है फिर भी विभिन्न निवासियों द्वारा संपत्ति के साथ-साथ ‘पंचायत देह’ के स्वामित्व वाले सार्वजनिक निगमों, जो उक्त अधिनियम के तहत गठित हैं, के शीर्षक के निर्धारण का कोई विवरण नहीं है।
यह भी देखा गया है कि शहरी स्थानीय निकायों के विभिन्न कानूनों में, विशेष रूप से पंचायत क्षेत्रों, जो बाद में नगरपालिका क्षेत्रों में विलय/शामिल हो गए, के पुराने लाल डोरा क्षेत्रों में स्थित संपत्तियों की स्थिति का निर्धारण के संबंध में कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं।
वर्तमान में, स्वामित्व योजना के तहत, उपरोक्त उल्लिखित प्रावधानों और नियमों का व्यापक रूप से पालन करते हुए ‘आबादी देह’ के नक्शे तैयार करने की पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाकर आपत्तियां आमंत्रित करके और उन पर निर्णय लेते हुए निवासियों और संबंधित पंचायत देह की स्वामित्व वाले विभिन्न सार्वजनिक निगमों के पक्ष में टाइटल डीड पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत किए जा रहे हैं।
श्री कौशल ने कहा कि 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में किए गए अंतिम समझौते, राजस्व अभिलेखों में ‘आबादी देह’ को केवल एक खसरा नंबर दिया गया था अर्थात मिस्ल हकियात (निपटान के बाद पहली जमाबंदी) बिना किसी आंतरिक स्वामित्व के विवरण के और इसे पंजाब भूमि राजस्व अधिनियम, 1887 के दायरे से बाहर रखा गया था, जैसा कि उक्त अधिनियम की धारा 4 में प्रदान किया गया है।
इसके अलावा, लाल डोरा क्षेत्रों में संपत्ति के निवासियों/ मालिकों के बीच किसी भी विवाद और दावों एवं आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रिया को कानूनी पृष्ठभूमि प्रदान करने के अतिरिक्त इस तरह के निर्धारण की प्रक्रिया को कानूनी मान्यता प्रदान करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, लाल डोरा क्षेत्रों में पंचायतों के स्वामित्व वाली संपत्ति की भी पहचान होनी चाहिए और उसका पंजीकरण होना चाहिए, जिसके लिए वैधानिक मजबूती की आवश्यकता है। भारत सरकार भी इस महत्वपूर्ण स्वामित्व योजना को कानूनी और वैधानिक मजबूती प्रदान करना चाहती है ताकि भविष्य में कानूनी जटिलताओं से बचा जा सके।
श्री कौशल ने कहा कि इसलिए, वांछित उद्देश्यों को सही ढंग से प्राप्त करने के लिए तीन अधिनियमों में उपयुक्त संशोधन व समावेश किया जाना उचित होगा।