चंडीगढ़, 18 मई: यूफो रबिए सी परिवार का यह पौधा इनडोरप्लांट के रूप में खासा लोकप्रिय है। इसका वैज्ञानिक नाम कोडियाम है। क्रोटन की उत्पति मलेशिया से हुई है। यह पौधा इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी प्रशांत महासागर के द्वीपों में बहुतायत में पाया जाता है। इसमें हवा शुद्ध करने की अद्भूत क्षमता होती है और हानिकारक तत्वों को सोख लेता है।
प्रजातियां :
क्रोटन की विधिवत को निर्धारित करना आसान नहीं है। इसकी पत्तियां उम्र बढऩे के साथ अपना रंग बदलती है। नई पत्तियां मुख्य रूप से पीले व हरे रंग की होती है और वयस्क लाल व गुलाबी में बदल जाती है। इसकी लोकप्रिय किस्मों में नोर्मा, एप्पल लीफ, औक्यूबिफोलियम, ब्रावो, गोल्ड फिंगर, गोल्ड मून, पेट्रा, जूलियट्टा है। क्रोटेन का पौधा बीज से उगाने के अलावा नर्सरी से भी खरीदा जा सकता है।
कैसे लगाएं:
क्रोटन की टहनी या फिर पत्ती से भी नया पौधा तैयार किया जा सकता है। क्रोटन की पत्तियों को पानी में रखने से उसमें जड़े आने लगती है, लेकिन इसमें 60 से 80 दिन तक लग सकते हैं। आपको पत्तियों का पानी भी लगातार बदलते रहना होगा। टहनी की कटिंग से पौधा तैयार करना आसान है। मानसून के मौसम में क्रोटन की कटिंग लगाई जा सकती है।
देखभाल के टिप्स:
- क्रोटन का पौधा सूर्य की सीधी रोशनी में खत्म हो जाता है। इस पौधे को नमी भरे वातावरण की आवश्यकता होती है।
- ज्यादा पानी देने से भी क्रोटन का पौधा पत्तियां छोडऩे लगता है।
- क्रोटन के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श होता है। सर्दियों में इसे ऐसे स्थान पर जहां का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से कम न हो। गर्मियों के मौसम में महीने में एक बाद पौधे को लिक्विड फर्टीलाइजर जरूर दें।