पिछले पांच वर्षों से पराली को बिना आग लगाए वातावरण सरंक्षण का संदेश दे रहा है नौजवान किसान दलेर सिंह

Hoshiarpur farmer

– 35 वर्षीय दलेर सिंह अपनी 70 एकड़ भूमि पर आधुनिक तरीके से करता है कृषि
– गांव व आस पास के अन्य किसानों को भी पराली न जलाने के लिए करता है प्रेरित
– डिप्टी कमिश्रर ने दलेर सिंह की प्रशंसा करते हुए अन्य किसानों को भी आधुनिक तकनीक अपनाने की अपील की
होशियारपुर, 05 अक्टूबर
पंजाब सरकार की ओर से प्रदेश को स्वस्थ व तंदुरु स्त बनाने के लिए शुरु  किए गए बेहतरीन प्रयास मिशन तंदुरु स्त पंजाब को बढ़ावा देते हुए माहिलपुर के गांव कोटला का 35 वर्षीय किसान दलेर सिंह पिछले पांच वर्षोंं से बिना पराली को आग लगाए अपनी 70 एकड़ जमीन पर खेती कर रहा है।
नौजवान किसान दलेर सिंह की ओर से वातावरण सरंक्षण के लिए गांव के अन्य किसानों को भी पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया गया है। यही कारण है कि इस गांव में कोई भी किसान पराली को आग नहीं लगाता है। नौजवान किसान दलेर सिंह की ओर से धान की पराली को जलाने की बजाए सीधी गेहूं की बिजाई कर न सिर्फ पर्यावरण को साफ सुथरा रखने की पहल की गई वहीं जमीन की उपजाऊ शक्ति  भी बरकरार रखी जा रही है। दलेर सिंह की ओर से उठाए गए कदमों के कारण उसकी आलोचना कर रहे किसानों ने भी इस प्रगतिशील तकनीक को अपना लिया है। अब गांव कोटला के अलावा नजदीकी गांवों के किसान भी धान की पराली को आग न लगा कर सुपर एस.एम.एस के माध्यम से धान की कटाई करने के उपरांत हैप्पी सीडर की मदद से गेहूं की सीधी बिजाई करते हैं।
डिप्टी कमिश्रर अपनीत रियात ने दलेर सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि बाकी किसान भी आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए पराली न जलाएं। उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेष को आग लगाने से वातावरण दूषित होता है और इससे कई बीमारियां पैदा होती है। इसके अलावा जमीन की उपजाऊ शक्ति  भी कम होती है, क्योंकि जमीन के मित्र कीड़े आग लगाने से मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि मिशन तंदुरु स्त पंजाब के अंतर्गत धान की पराली को आग न लगा कर वातावरण को शुद्ध रखा जा सकता है।
दलेर सिंह ने बताया कि रबी 2017 दौरान पहली बार उसने धान की पराली में गेहूं की सीधी बिजाई 70 एकड़ जमीन में सफलतापूर्वक की थी। उसने बताया कि सुपर एस.एम.एस(स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) कंबाइन से धान की कटाई करने के उपरांत हैप्पी सीडर तकनीक से गेहूं की बिजाई का तरीका बहुत ही आसान है। उन्होंने कहा कि हैप्पी सीडर तकनीक विधि से गेहूं की बिजाई से बहाई का खर्चा कम होने के साथ-साथ नदीनों की समस्या से भी निजात मिल जाती है। उन्होंने बताया कि शुरु आत में हैप्पी सीडर की बिजाई से गेहूं की बिजाई को देख कर उसके साथी किसान आलोचना करते थे, पर बाद में धान की पराली में गेहूं के पैदा होने पर आलोचना करने वाले किसान हैरान रह गए और इस विधि को अपनाने के लिए प्रेरित हुए। उन्होंने बताया कि उनके पास हैप्पी सीडर, सुपर सीडर के अलावा दो कंबाइनें हैं, जिस पर एस.एम.एस लगा हुआ है। इसके अलावा वह अपने गांव व आसपास के गांवों में भी सुपर एस.एम.एस(कंबाइन पर लगने वाला यंत्र) कंबाइन से धान की कटाई करता है।

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