10 वर्षों से पराली को आग न लगाकर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा ोत बना गांव कालेवाल का प्रगतिशील किसान जसविंदर सिंह

10 ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਪਰਾਲੀ ਨੂੰ ਅੱਗ ਨਾ ਲਗਾਕੇ ਹੋਰ ਕਿਸਾਨਾਂ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਸਰੋਤ ਬਣਿਆ ਪਿੰਡ ਕਾਲੇਵਾਲ ਦਾ ਅਗਾਂਹਵਧੂ ਕਿਸਾਨ ਜਸਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ

– हैप्पी सीडर की मदद से धान की कटाई कर खड़ी पराली में ही कर देता है गेहूं की बिजाई
– गांव के अन्य किसानों ने भी प्रेरित होकर हैप्पी सीडर तकनीक को अपनाया  
होशियारपुर, 20 अक्टूबर:
जिले के ब्लाक गढ़शंकर के अंतर्गत आते गांव कालेवाल का प्रगतिशील किसान जसविंदर सिंह अपनी प्रगतिशील सोच के कारण जिले के किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है। आधुनिक तरीके से की गई खेती में जहां वह मुनाफा कमा रहहा है वहीं वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए भी अपना पूरा योगदान दे रहा है। जसविंदर सिंह पिछले 10 वर्षों से कृषि विभाग से जुड़ा है और इसने तब से लेकर अब तक फसलों के अवशेषों व धान की पराली को आग नहीं लगाई। वह पिछले 4 वर्षों से हैप्पी सीडर तकनीक से गेहूं की फसल की बिजाई कर रहा है व बिना पराली को आग लगाए अपनी गेहूं की फसल की पूरा झाड़ पा रहा है।
किसान जसविंदर जहां इस तकनीक का प्रयोग कर वातावरण को प्रदूषित होने से बचा रहा है वहीं उसने खेत की बहाई का खर्च भी कम किया है, क्योंकि हैप्पी सीडर तकनीक से धान की फसल की कटाई के बाद धान की खड़ी पराली में ही गेहूं की फसल की बिजाई हो जाती है। उसकी इस तकनीक से बीजी गई फसल को देखने साथ के गांवों के काफी किसान आते हैं। काफी किसानों से पिछले वर्षों में जसविंदर से प्रभावित होकर हैप्पी सीडर तकनीक को अपनाया है। इसके अलावा जसविंदर 10 से 15 खेत आलू के भी लगाता है। इन खेतों को वह मल्चर, एम.बी. पलाओ, रोटावेटर व तवो का प्रयोग कर तैयार करता है। उनका कहना है कि वे उसने पराल का खेतों में ही प्रबंधन कर नदीन नाशकों, स्प्रे व खाद के खर्चे को भी कम किया है। जसविंदर के अनुसार मौजूदा कोविड-19 बीमारी के प्रकोप के चलते बाकी किसानों को भी पराली को आग लगाने से बचना चाहिए व वातावरण की संभाल में अपना योगदान देना चाहिए।
मुख्य कृषि अधिकारी डा. विनय कुमार ने बताया कि धान की पराली व फसलों के अवशेषों को आग लगाने से रोकने के लिए कृषि विभाग की ओर से जिले भर के समूह गांवों में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की ओर से अलग-अलग गांवों में जाकर किसानों को धान की पराली को आग न लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है व किसानों को अवशेषों को आग लगाने से होने वाले नुकसानों संबंधी जागरुक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के इन प्रयासों को किसानों की ओर से भरपूर सहयोग मिल रहा है।

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