भारत में हर वर्ष एक लाख 80 हजार मरीजों को किडनी ट्रांस्पलांट की जरूरत, पर 6000 ही ट्रांस्पलांट संभव: डा. एस.के.शर्मा
भारत में हर वर्ष किडनी के 2 लाख नए मरीज सामने आते हैं: डा. राजीव गोयल
लाइव किडनी डोनरों से किडनी ट्रांस्प्लांट में भारत दूसरे नंबर पर: डा. नीरज गोयल
अब अलग-अलग बल्ड ग्रुपों में किडनी ट्रांस्पलांट संभव : डा. चरणजीत लाल
चंडीगढ़, 20 अक्तूबर: किडनी की गंभीर बीमारियों तथा किडनी ट्रांस्प्लांट के बारे जागरूकता पैदा करने के लिए अल्केमिस्ट अस्पताल पंचकूला के डाक्टरों की टीम ने पत्रकारों को संबोधन किया। इस टीम में अस्पताल के किडनी विज्ञान विभाग के प्रमुख डा. एस.के.शर्मा, यूरोलॉजी तथा किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के सीनियर कंस्लटेंट डा. नीरज गोयल, डा. राजीव गोयल, नेफ्रोलॉजी के सीनियर कंस्लटेंट डा. रमेश कुमार व चरणजीत लाल शर्मा शामिल थे।
इस अवसर पर संबोधन करते हुए डा. एस.के. शर्मा ने कहा कि भारत में हर वर्ष एक लाख 80 हजार किडनी ट्रांस्प्लांट की जरूरत है, पर 6000 से अधिक किडनी ट्रांस्पलांट नहीं होते। उन्होंने कहा कि अल्केमिस्ट अस्पताल ने अब तक किडनी ट्रांस्पलांट के 100 केस कामयाबी से किए हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ चंडीगढ़, मोहाली तथा पंचकूला से ही नहीं बल्कि दूर-दराज के इलाकों जैसे जम्मू, श्रीनगर, बिहार, बठिंडा, सहारनपुर, जींद तथा देहरादून से मरीजों की किडनी ट्रांस्प्लांट की गई है।
डा. नीरज गोयल ने अपने विचार सांझे करते हुए कहा कि जिंदा किडनी डोनर्स से किडनी ट्रांस्पलांट करने में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है, जहां 95 प्रतिशत किडनी ट्रांस्पलांट जिंदा किडनी डोनर्स से की जाती है। उन्होंने बताया कि मनुष्य अंगों की मांग तथा सप्लाई में बहुत बड़ा अंतर है, जो दुर्घटनाओं या हादसों में होती मौतों (करीब 4 लाख सालाना) का शिकार हुए लोगों से दान द्वारा पूर्ति की जा सकती है।
डा. राजीव गोयल ने कहा कि अब नई तकनीकों तथा आधुनिक दवाईयों से अन्य बल्ड ग्रुपों के किडनी डोनर्स से भी किडनी ट्रांस्पलांट की जा सकती है।
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डा. चरनजीत लाल ने बताया कि शुगर, उच्च रक्तचाप (हाईपरटेंशन), संक्रमण, पेशाब नली में रूकावट तथा पत्थरी आदि किडनी के गंभीर रोगों का कारण बनते हैं, जिस कारण इसका इलाज नामुमकिन हो जाता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारियों के लगातार बने रहने के कारण किडनी फेल हो जाती है, जिसका इलाज किडनी ट्रांस्प्लांट या लगातार डायलसिस करवाना ही है। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में किडनी ट्रांस्पलांट ही सबसे उत्तम विकल्प है।
डा. रमेश कुमार ने गुर्दा ट्रांस्पलांट के फायदों के बारे बताते हुए कहा कि चाहे यह महंगा इलाज लगता है, पर लंबे समय के लिए यह डायलसिस या सीएपीडी से सस्ता पड़ता है तथा इससे मरीज की स्वास्थ्य एवं जीवन शैली में सुधार हो जाता है। उन्होंने बताया कि डायबिटिज तथा हाईपरटेंशन के मरीजों में तेजी से इजाफा होने के कारण देश में हर वर्ष किडनी फेल के 2 लाख नए केस सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश भर में लोगों में जागरूकता की कमी तथा किडनी डोनर्स की कमी के कारण, एक वर्ष में मुश्किल से 6000 किडनी ट्रांस्प्लांट ही संभव हो पाते हैं।
डा. नीरज गोयल ने अंग दान करने के बारे बताते हुए कहा कि आम तौर पर हम अपने स्वास्थ्य के बारे ज्यादा संदिगध हो जाते हैं, जब किसी को एक किडनी डोनेट करने के लिए कहा जाता है। हमको फिर समझने की जरूरत है कि एक किडनी डोनेट करने से हमारी शारीरिक समर्था पर कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि अब किडनी डोनर्स का आप्रेशन दूरबीन द्वारा किया जाता है, जो सुरक्षित व सरल है।
डा. राजीव गोयल ने बताया कि किडनी ट्रांस्पलांट के समय बहुत सारी कानूनी प्रक्रिया में से गुजरना पड़ता है। हमारे देश के कानून के अनुसार नजदीक का रिश्तेदार (भाई-बहन, मां-बाप, पति-पत्नी या पौत्रे) ही किडनी डोनेट कर सकता है। किसी दूसरे डोनर्स से किडनी लेने के समय राज्य सरकार, यदि विदेशी नागरिक हो तो दूतावास व एंबेसी की मंजूरी लाजमी है।