काले  कानून रद्द कर एमएसपी की कानूनी गारंटी दें प्रधानमंत्री मोदी: भगवंत मान

BHAGWANT MANN
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-किसानी संकट को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री चन्नी से की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
-कुछ कॉरपोरेटों के हितों को देखते हुए लिए जा रहे हैं किसानों के खिलाफ फैसले: आप
-कहा, अन्नदाता के हक में एकजुट होकर सभी सियासी पार्टी मोदी पर दबाव बनाएं

चंडीगढ़, 3 अक्टूबर 2021

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक बार फिर कृषि संबंधी काले कानूनों की वकालत करने को हर तरह से गलत और तानाशाही करार दिया। इसके साथ ही मान ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से कृषि के मुद्दों पर तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल एकजुट होकर प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात करे और काले कानूनों को रद्द कराने का दबाव बनाए।

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रविवार को पार्टी मुख्यालय से जारी एक बयान में भगवंत मान ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्नदाता  के हितों की रक्षा के लिए तीन काले कानूनों पर लिए  अपने  फैसले से  यू-टर्न ले  लें , तो इससे उनकी छवि खराब नहीं होगी। क्योंकि  लोकतंत्र में जनहित में सरकारें अपने फैसले बदल भी लेती हैं।

भगवंत मान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जिस तर्कहीनता से कृषि विरोधी कानूनों में क्रांति लाने की कोशिश कर रहे हैं, उससे साबित होता है कि मोदी कॉरपोरेट घरानों के दबाव में अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर फैसले ले रहे हैं। नतीजतन, केंद्र सरकार को  विनाश में विकास नजर आ रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी की इस दलील पर असहमति जताते हुए भगवंत मान ने कहा कि उन्होंने  किसानों के हित को देखते हुए कृषि कानूनों पर कोई कड़ा फैसला नहीं लिया है। इसके विपरीत यह किसान विरोधी और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में लिया गया तानाशाही फैसला है। इसलिए प्रधानमंत्री को बिना किसी झिझक या और देरी के काले कानूनों को वापस लेना चाहिए तथा सभी फसलों की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी घोषित करनी चाहिए।

भगवंत मान ने कहा कि एक तरफ जहां मजदूर और किसान अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए पोह-माघ की ठंड  और  जेठ के महीने  की  तपती धूप में सड़कों पर धरने देने को मजबूर हैं, दूसरी तरफ बदले की भावना में मोदी सरकार इतनी कठोर हो चुकी है कि पंजाब और किसानों को परेशान करने के किसी भी मौके से चूकना  नहीं चाहती । उदाहरण के लिए सीसीएल को फसलों की खरीद से पहले लटका दिया जाता है। पंजाब की ग्राम मंडियों और लिंक सड़कों के लिए ग्रामीण विकास कोष को बंद कर दिया गया है।

बोरियां, यूरिया और डीएपी खाद की आपूर्ति ठप है। धान की खरीद के लिए ऊपरी सीमा सहित नमी और बदरंग दाने संबंधी नियमों व शर्तों को सख्त कर दिया गया है।

आढ़ती वर्ग को बिचौलिया बताकर मंडीकरण व्यवस्था से बाहर कर दिया जाता है। फसल बेचने के लिए फर्द की शर्त थोपी जाती है। धान की खरीद को आगे बढ़ाने का तुगलकी फरमान इसका ताजा उदाहरण है। हालांकि सियासी  दबाव तथा किसानों के विरोध के चलते मोदी सरकार को अपने इस फैसले पर यू-टर्न लेना पड़ा गया है।

भगवंत मान ने कहा कि इस तरह के सभी  मुद्दों को  राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल को एकता और सद्भाव से प्रधानमंत्री मोदी के सामने उठाना चाहिए। इसलिए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।

भगवंत मान ने कहा कि अगर यह दबाव मोदी सरकार पर शुरू से ही बनाया जाता तो बेहतर होता लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने वादे के बावजूद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री मोदी के दरवाजे तक नहीं ले जा सके। इससे सबक लेते हुए चन्नी को पक्षपात से ऊपर उठकर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।

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