…किसानों की जीत ने साबित किया कि भारत में तानाशाही नहीं चल सकती – भगवंत मान
…. बॉर्डर पर बैठे सभी किसान योद्धा है, आने वाली पीढ़ी उनके जीत के जज्बे से प्रेरणा लेगी – भगवंत मान
…. लोकतंत्र में जीत हमेशा जनता की ही होती है, सरकार को जनता से जीतने की कोशिश नहीं करनी चाहिए
…. अगर यूपी चुनाव नहीं होता तो मोदी सरकार अभी भी किसानों से बेरहमी से ही पेश आती
चंडीगढ़, 9 दिसंबर 2021
आम आदमी पार्टी(आप) पंजाब ने देश के अन्नदाताओं द्वारा अपने अस्तित्व को बचाने व देश के संघीय ढांचे की सुरक्षा के लिए दिल्ली की सीमाओं पर साल भर से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन की जीत और विजयी होकर आंदोलन को समाप्त करने व किसानों की घर वापसी पर खुशी जताई और देश के सभी किसानों व किसान संगठनों को बधाई दी। पार्टी ने कहा कि किसानों की जीत ने साबित किया है कि लोकतंत्र में तानाशाही की कोई जगह नहीं है।
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पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में आम आदमी पार्टी पंजाब के प्रधान और सांसद भगवंत मान ने कहा कि धरने पर बैठे किसानों और मजदूरों ने सिर्फ मोदी सरकार से जंग ही नहीं जीती है बल्कि उन्होंने पंजाब व पूरे देश के लोगों का दिल भी जीता है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में शामिल सभी किसान योद्धा है। योद्धा किसानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी, लेकिन मोदी सरकार के अहंकार आगे नहीं झुकी। किसानों की कुर्बानी को पंजाब हमेशा याद रखेगा और इतिहास में किसान आंदोलन सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगा। देश की आने वाली पीढ़ी किसानों की जीत के जज्बे से प्रेरणा लेगी और सरकार की तानाशाही को लोकतांत्रिक तरीके से हराएगी।
मान ने कहा कि किसान आंदोलन की जीत ने साबित किया है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तानाशाही का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, इमरजेंसी के वक्त इंदिरा गांधी तानाशाही पर उतर आई थी और कृषि कानून पास करने के बाद मोदी सरकार तानाशाही करने पर उतारू थे। लेकिन देश की आम जनता, किसानों और मजदूरों ने दोनों तानाशाह को सबक सिखाया। इससे साबित होता है कि भारत में तानाशाही ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को लोकतंत्र की मर्यादा का पालन करना चाहिए और आगे से किसी भी आंदोलन को कुचलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। लोकतंत्र में जीत हमेशा जनता की ही होती है इसलिए किसी भी सरकार को जनता से जीतने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
मोदी सरकार की आलोचना करते हुए मान ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी कॉरपोरेटों के गुलाम हैं। प्रधानमंत्री के अंदर किसानों के प्रति सहानुभूति का भाव नहीं है। अगर उनके पास किसानों के प्रति सहानुभूति होती तो यह आंदोलन इतना लंबा नहीं चलता और इतने किसानों की जान नहीं जाती। उन्होंने कहा यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में हार के डर से बीजेपी ने तीनों काले कृषि कानून रद्द करने का फैसला किया। अगर यूपी चुनाव नहीं होता तो आज भी मोदी सरकार और भाजपा के नेता किसानों के साथ उतनी ही बेरहमी से पेश आते।