चंडीगढ़, 21 सितम्बर:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने संसद में नये कृषि बिलों के पास होने से न्युनतम समर्थन मूल्य ख़त्म होने संबंधी किसानों में बढ़ रहे शंकाओं के दरमियान गेहूँ और रबी की अन्य पाँच फसलों के भाव में किये निगुनी वृद्धि को भद्दा मज़ाक करार दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह बेरहम कदम है। केंद्र ने कृषि बिलों पर किसानों के रोष प्रदर्शनों की खिल्ली उड़ायी है। यह कृषि बिल आखिर में न्युनतम समर्थन मूल्य का अंत करने और भारतीय खाद्य निगम के ख़ात्मे के लिए रास्ता साफ़ कर देंगे।’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यदि भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार यह सोचती है कि वह इस तुच्छ वृद्धि के साथ सडक़ों पर उतरे किसानों को शांत कर लेगी तो वह ज़मीनी हकीकत से पूरी तरह अनजान है। उन्होंने केंद्र सरकार को कहा, ‘आप ऐसे व्यक्ति को खुश करने की चालबाजियों नहीं चल सकते जो आपके शर्मनाक कदमों के नतीजे के तौर पर अपनी रोज़ी-रोटी खो जाने की कगार पर है।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की तरफ से तो यह माँग की जा रही है कि उनको इस बात की लिखित गारंटी दी जाये कि न्युनतम समर्थन भाव के साथ छेड़छाड़ नहीं की जायेगी परन्तु बावजूद इस केंद्र सरकार उनके लिए ऐसी निकम्मी पेशकशें लेकर आ रही है। उन्होंने कहा कि इससे एक बार फिर यह सिद्ध हो जाता है कि भाजपा और उसके शिरोमणि अकाली दल जैसे सहयोगी किसानों और उनकी समस्याओं को कितनी अच्छी तरह जानते हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि जब किसान और यहाँ तक कि पूरे मुल्क को इस बात का यकीन नहीं कि न्युनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था कायम रहेगी और कितना समय रहेगी तो उस मौके केंद्र की तरफ से कुछ फसलों के भाव में मामूली सा विस्तार करके उनके जज़्बातों के साथ खेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने लिखित वायदों और वचनबद्धता को लागू करने में नाकाम रही हो, उस सरकार के जुबानी भरोसे और वायदे बेमायना हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को कहा कि ऐसी नौटंकिययां करने की बजाय किसानों की चिंताओं की तरफ ध्यान देकर इनका सार्थक हल निकालने के लिए ज़रुरी कदम उठाए जाएँ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय पर किसान अपने और परिवारों के भविष्य को लेकर चिंता में डूबे हुए हैं और वह बिना किसी हेरा-फेरी के स्पष्ट रूप में यह चाहते हैं कि कम से -कम यकीनन कीमत पर ए.पी.एम.सी. मंडियों में उनकी फ़सल की खरीद जारी रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपने जीवन निर्वाह को सुरक्षित बनाना चाहते हैं जो पिछले छह सालों में केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की तरफ से धान की पराली न जलाने वाले किसानों को धान की पराली के प्रबंधन के लिए 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का ऐलान करने में एक बार फिर नाकाम रहने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया।