उपराष्ट्रपति ने आगाह किया “अगर आप थोड़ा झुकेंगे, तो झुकने का सिलसिला कभी नहीं रुकेगा”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीएसटी प्रणाली की शुरुआत ‘नियति के साथ साक्षात्कार’ से ‘आधुनिकता के साथ साक्षात्कार’ है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” ने हमारे विकास पथ को आगे बढ़ाया है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय हित में सीएसआर निधि का व्यवस्थित तरीके से उपयोग होना चाहिए
“काशी विश्व की आध्यात्मिक नगरी, भारत का आध्यात्मिक हृदय, हर उत्कृष्ट वस्तु का मुख्य केंद्र है”
अनुच्छेद- 370 को हटाना, कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने आज वाराणसी में 51वें राष्ट्रीय कंपनी सचिव सम्मेलन को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति ने काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रार्थना की
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कंपनी सचिवों को प्रबंधन उद्देश्यों से अलग होने और वैधानिक अनुपालन पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जररूत पर जोर दिया। उन्होंने अपने मार्ग से थोड़ा भी हटने के संभावित परिणामों को लेकर चेतावनी दी। उपराष्ट्रपति ने कहा, “अगर आप थोड़ा सा झुकते हैं, तो झुकने का सिलसिला कभी बंद नहीं होगा।” इसके अलावा उन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए पेशेवरता के उच्चतम मानकों और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
उपराष्ट्रपति ने वाराणसी को “भारत का आध्यात्मिक हृदय” बताया। उन्होंने कहा कि यह शहर पूरे विश्व के लिए नीति, नैतिकता और आध्यात्मिकता में ज्ञान का एक कालातीत स्रोत रहा है। इसके अलावा उन्होंने एक कुशल न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि हर व्यक्ति जनवरी, 2024 में इसके उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि अनुच्छेद- 370 समाप्त करना कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वाराणसी शहर से प्रधानमंत्री के चुनाव के बाद हुआ।
उपराष्ट्रपति ने जीएसटी प्रणाली की शुरुआत को ‘आधुनिकता के साथ साक्षात्कार’ के रूप में सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने ‘नियति के साथ साक्षात्कार’ से एक लंबी यात्रा पूरी की है और सकारात्मक सरकारी नीतियों के कारण पारदर्शिता, जवाबदेही व कुशल शासन नए मानक बन गए हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” ने हमारे विकास पथ को प्रोत्साहित किया है, जो अब कई गुना बढ़ गया है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, “हमारे प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता, उत्साह और मिशन के कारण हमारा अमृत काल, हमारा गौरव काल बन गया है।”
“केवल रिकॉर्ड- रक्षक” से “कारपोरेट प्रशासन के संरक्षक” तक कंपनी सचिवों की भूमिका के विकास को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब वे “कारपोरेट भारत में पारदर्शिता, नैतिकता और जवाबदेही के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए, संगठनों के भीतर शासन व अनुपालन के प्रमुख स्तंभों” में रूपांतरित हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रभावी शासन को मान्यता देना, जवाबदेह संपत्ति सृजन व न्यायसंगत संपत्ति वितरण की नींव तैयार करता है। उपराष्ट्रपति ने आगे हर घर में शौचालय, नि:शुल्क गैस कनेक्शन, स्वच्छ जल, गरीबों के लिए आवास और महिला सशक्तिकरण जैसी प्रमुख पहलों को रेखांकित किया, जिन्होंने राष्ट्र के विकास को बढ़ावा देने में प्रभावशाली परिणाम प्रदान किए हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अमृतकाल एक ऐसी अवधि है, जब भारत “विश्व के लिए एजेंडा तय करने वाला” बन गया है। उन्होंने देश की प्रगति में आर्थिक राष्ट्रवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कच्चे माल का मूल्य बढ़ाना, आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे कराधान लाभ और रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय हित में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधि के उपयोग और चैनलाइजेशन का उल्लेख किया। उन्होंने एक ऐसे विकास तंत्र की जरूरत को रेखांकित किया, जो सीएसआर को “पूरी तरह से जवाबदेह, दिशात्मक और संरक्षण व पक्षपात से पूरी तरह से निष्प्रभावी” बनाए।
व्यापार और व्यवसायों के विकास में बाधा के रूप में ‘विरोधात्मक संबंध’ का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने मौजूदा ‘वैकल्पिक विवाद निवारण’ तंत्र के विकल्प के रूप में समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए ‘सौहार्दपूर्ण विवाद समाधान’ के विकास का आह्वाहन किया।
उपराष्ट्रपति ने बुद्धिमान और जागरूक व्यक्तियों द्वारा ‘लोगों की अज्ञानता का पूंजीकरण’ को ‘समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा’ बताया। उन्होंने सभी से चुप न रहने और सोशल मीडिया की शक्ति का उपयोग करके ऐसे तत्वों को उचित जवाब देने का अनुरोध किया।
उपराष्ट्रपति ने आईसीएसआई सम्मेलन के बाद पवित्र काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा किया और पूरे देश की खुशहाली और कल्याण के लिए प्रार्थना की।