चंडीगढ़ ने पंजाब की 2298 एकड़ जमीन अवैध रूप से हड़पी, ले बापिस पंजाब सरकार
पंजाब सरकार सुखना ई.ऍस.ज़ेड. की घोषणा कर, चंडीगढ़ द्वारा पंजाब की हड़पी 2298 एकड़ जमीन को जायज़ ठहरा रही
चंडीगढ़, नवंबर 2024
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने पंजाब राज्य की 2298 एकड़ जमीन अवैध रूप से हड़प ली है और अब इस पर पंजाब सरकार का शासन नहीं चलता है, पंजाब सरकार को इसे तुरंत वापस ले, यह मांग है पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने की जो की आज चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे ।
“मुझे इस चौंकाने वाले तथ्य के बारे में तब पता चला जब मैंने सुखना वन्य जीव अभ्यारण्य के लिए पंजाब सरकार द्वारा प्रस्तावित 3 किलोमीटर के बजाय 100 मीटर के इको सेंसिटिव जोन के लिए आंदोलन शुरू किया”, जोशी ने कहा ।
विस्तृत जानकारी देते हुए जोशी ने कहा कि चंडीगढ़ प्रदेश ने पंजाब के जिला मोहाली के अंतर्गत काँसल गाँव की 2298 एकड़ ज़मीन को गैर कानूनी तरीके फॉरेस्ट घोषित करने के उपरांत साथ ही साथ उसे गैर कानूनी तरीके सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी घोषित कर पंजाब की 2298 एकड़ ज़मीन पर कब्जा कर लिया है, और पंजाब सरकार के अफसरों की नालायकी देखो पंजाब की जमीन पर अपना हक बापिस लेने की बजाय वे इस हड़पी जमीन के लिए सुखना ई.ऍस.ज़ेड. की घोषणा कर चंडीगढ़ के नाजायज कब्जे को मान्यता दे जायज ठहरा रहे हैं ।
चंडीगढ़ द्वारा पंजाब की जमीन के कब्जे के उपरांत अब काँसल गाँव पंजाब से कट कर एक टापू बन गया जो की चारों तरफ से चंडीगढ़ से घिरा हुआ है ।
एक तरफ तो पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार चंडीगढ़ द्वारा 10 एकड़ जमीन हरियाणा को नई विधानसभा निर्माण हेतु दिए जाने का विरोध कर रही है और दूसरी तरफ सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के इको सेंसिटिव जोन (ईएसजड) की घोषणा कर उस अपना अधिकार छोड़ रही है । इस एक फैसले से नयागांव, कांसल, करोरां और नाडा में लाखों निम्न-मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के घर तोड़े जाएंगे, जिन्होंने अपनी जीवन भर की बचत से छोटे छोटे घर बनाए हैं ।
पंजाब रिआर्गेनाईजेशन एक्ट 1966, इंडियन फॉरेस्ट ऐक्ट 1927, वाइल्ड लाइफ ऐक्ट 1972, डिलिमिटेशन एक्ट 1962 व लैंड एक्वीजीशन एक्ट 1894 सॉइल कान्सर्वैशन की धाराओं का उल्लंघन करते हुए चंडीगढ़ ने पंजाब की 2298 एकड़ जमीन अवैध रूप से हड़प ली है।
साधारण भाषा में समझे कि वाइल्ड लाइफ ऐक्ट 1972 के अनुसार वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी सिर्फ इंडियन फॉरेस्ट ऐक्ट 1927 के अनुसार घोषित फॉरेस्ट में ही की जा सकती है । इसी फॉरेस्ट ऐक्ट 1927 के अनुसार फॉरेस्ट उसी जमीन पर घोषित हो सकता है जिसकी मलकीयत सरकार के पास हो तो इस हिसाब से चंडीगढ़ पंजाब की 2298 एकड़ जमीन को फॉरेस्ट घोषित नहीं कर सकता क्यूँकी उसकी मलकीयत पंजाब के पास है । सबसे महत्वपूर्ण जमीन जिस कार्य हेतु एक्वायर की जाती है उसी के लिए प्रयोग की जानी होती है तो यह जमीन तो सॉइल कान्सर्वैशन के लिए अधिग्रहित की गई थी तो इस पर फॉरेस्ट की घोषणा करना भी गेर कानूनी है ।