चंडीगढ़, 18 नवम्बर:
पंजाब सरकार की ‘मान और शुकराने की नौकरी देने’ की नीति में छूट देते हुये पंजाब मंत्रीमंडल ने गलवान घाटी के तीन अविवाहित जंगी शहीदों के विवाहित भाइयों को प्रांतीय सेवाओं में नौकरियाँ देने के लिए नियमों में संशोधन करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
यह फ़ैसला सिपाही गुरतेज सिंह, सिपाही गुरबिन्दर सिंह और लांस नायक सलीम ख़ान के लामिसाल बलिदानों को मान्यता देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार द्वारा लिया गया।
मौजूदा नियमों के मुताबिक जंगी शहीदों के निर्भर पारिवारिक सदस्यों या अगले वारिसों को ही नौकरी के लिए योग्य माना जाता परन्तु इन तीन सैनिकों के मामले में इस समय पर कोई भी पारिवारिक मैंबर निर्भर नहीं है जिस कारण इनके विवाहित भाइयों को नौकरियां देने के लिए नियमों में छूट देने का फ़ैसला किया गया है।
यह प्रगटावा करते हुये मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि सिपाही गुरतेज सिंह (अविवाहित) का भाई गुरप्रीत सिंह, सिपाही गुरबिन्दर सिंह (अविवाहित) का भाई गुरप्रीत सिंह और लांस नायक सलीम ख़ान (अविवाहित) का भाई नियामत अली ने ‘जंगी नायकों के निर्भर सदस्यों’ की परिभाषा के दायरे में न आने के बावजूद प्रांतीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि तारीख़ 24 सितम्बर, 1999 की ‘जंगी नायकों’ के परिवारों के निर्भर सदस्यों को ‘मान और शुकराने की नौकरी देने’ की नीति के अंतर्गत क्लास 1 और क्लास 2 में नौकरी जबकि तारीख़ 19 अगस्त, 1999 की ‘जंगी नायकों’ के परिवारों के निर्भर सदस्यों को क्लास -3 और क्लास -4 में ‘मान और शुकराने की नौकरी देने’ की नीति के अंतर्गत ‘जंगी नायक’ की विधवा या निर्भर मैंबर को प्रांतीय सेवा में नौकरी की पेशकश की जाती है।
प्रवक्ता ने बताया कि उपरोक्त नीतियों में पारिभाषित किया जंगी नायक का निर्भर मैंबर ‘विधवा या पत्नी या निर्भर पुत्र या निर्भर अविवाहित बेटी या गोद लिया निर्भर पुत्र या गोद ली अविवाहित बेटी’ है। प्रवक्ता ने बताया कि इस नीति के अंतर्गत हालाँकि, यदि जंगी नायक अविवाहित है परन्तु उस पर अन्य मैंबर निर्भर थे, तो अविवाहित भाई या अविवाहित बहन को इस नीति के अंतर्गत नौकरी के लिए विचारने के लिए योग्य माना जायेगा।
जि़क्रयोग्य है कि चीन की पीपलज़ लिबरेशनज़ आर्मी की तरफ से किये हमले के दौरान जून, 2020 में लद्दाख़ सैक्टर में शहीदी देने वालों में पाँच फ़ौजी पंजाब से सम्बन्धित थे। ऐसी मौतों को आम तौर पर फ़ौज के मुख्यालय की तरफ से जंगी शहीद घोषित किया जाता है और ऐसे सैनिकों के अगले वारिस को वित्तीय सहायता देने के अलावा राज्य सरकार की ‘मान और शुकराने की नौकरी देने’ की नीति के मुताबिक हर शहीद के निर्भर पारिवारिक मैंबर को नौकरी भी दी जाती है। परन्तु इन पाँच फौजियों के मामले में तीन सैनिक शहादत के मौके अविवाहित थे। यहाँ तक कि इन तीनों ही शहीद सैनिकों का कोई भी पारिवारिक मैंबर उपरोक्त नीतियों में ‘जंगी नायकों के निर्भर सदस्यों’ की परिभाषा के दायरे के तहत नहीं आता जिनके परिवारों में बुज़ुर्ग माता-पिता और अन्य पारिवारिक मैंबर हैं जिस कारण राज्य सरकार ने इन शहीदों के मान और शुकराने के सत्कार के तौर पर नियमों में ढील देने का फ़ैसला किया है।