’एमसीएम में चार दिवसीय रचनात्मक लेखन कार्यशाला का सफल आयोजन

चंडीगढ़ 15 जून 2021 

मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर वुमन के क्रिएटिव राइटिंग क्लब ने छात्रों के रचनात्मक लेखन कौशल को सुधारने के प्रयास में ‘एक्सपेंडिंग द क्रिएटिव होराइजन्स’ शीर्षक से चार दिवसीय ऑनलाइन रचनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन किया। डॉ० उषा बंदे (एक प्रसिद्ध आलोचक और लेखक), सुश्री सकून सिंह (उपन्यास : इन द लैंड ऑफ द लवर्स के लेखक), डॉ० अंकित नरवाल (युवा आलोचक पुरस्कृत हिंदी लेखक) सुश्री बसुधारा रॉय (एक प्रशंसित कवि और स्टिचिंग ए होम की लेखिका) और डॉ. बलजिंदर नसराली (पंजाबी उपन्यासकार और लघु कथाकार), कार्यशाला के लिए मुख्य वक्ता रहे । कार्यशाला के लिए 500 से अधिक प्रतिभागियों के पंजीकरण के साथ, कार्यशाला को सफल बनाने में देश भर से उत्साही शामिल हुए। प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव ने कार्यशाला का उद्घाटन किया, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों को साहित्य के विशाल महासागर में डुबकी लगाकर अपने लेखन कौशल को समृद्ध करने के लिए प्रेरित किया और बताया कि रचनात्मक लेखन की बारीकियों और तकनीकों को समझने के लिए व्यापक रूप से पढ़ना अनिवार्य है। यह प्रदर्शित करते हुए कि रचनात्मक लेखन कौशल में रचनात्मकता, भावना, कल्पना और नवीनता किस प्रकार शामिल होती है, डॉ भार्गव ने अपनी कुछ स्वयं रचित कविताओं का पाठ किया जो विभिन्न विषयों पर उनके गहन विचारों की अभिव्यक्ति थीं।
पहले और दूसरे दिन की प्रमुख वक्ता डॉ. उषा बंदे थीं, जिन्होंने ‘स्टोरीज़ आर एवरीवेयर, राइट एंड एन्जॉय’ शीर्षक पर आयोजित सत्र में अपनी बात रखी। प्रतिभागियों को कहानी लेखन की प्रक्रिया से परिचित कराते हुए डॉ. बंदे ने प्रतिभागियों को अपने आसपास की दुनिया के प्रति संवेदनशील होने और अपने आसपास की कहानियों को बुनने के लिए उनकी कल्पना का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। दूसरे दिन डॉ. बंदे ने कहानी लेखन की प्रक्रिया में प्रतिभागियों को चरण-दर-चरण यात्रा पर ले गए। उन्होंने कहानियों के प्रकार और उन बातों के बारे में विस्तार से बात की जिन्हें एक लेखक को ध्यान में रखना चाहिए। कार्यशाला के तीसरे दिन में 2 सत्र थे, पहले सत्र में सुश्री सकून सिंह और दूसरे सत्र में डॉ०अंकित नरवाल ने अपनी लेखनी पर विचार साझा किए। अपने उपन्यास इन द लैंड ऑफ द लवर्स पर चर्चा करते हुए सुश्री सकून ने प्रतिभागियों को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पड़ावों से परिचित करवाया । डॉ०अंकित नरवाल ने नॉन-फिक्शन लेखन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की और अपनी पुरस्कृत पुस्तक अनल पाखी के लेखन यात्रा को साझा किया और बताया कि लक्षित पाठकों की नब्ज को मापना बेहद आवश्यक है । कार्यशाला के समापन दिवस को दो सत्रों में विभाजित किया गया था जिसमें पहला सत्र सुश्री बसुधारा रॉय द्वारा और दूसरे सत्र का संचालन डॉ. बलजिंदर नसराली द्वारा किया गया था। सुश्री बसुधरा ने ‘द पोइज़ ऑफ़ पोएट्री: नेविगेशन एंड अराइवल’ पर एक आकर्षक व्याख्यान दिया। उन्होंने कई कविताओं के साथ अपने व्याख्यान की पुष्टि की क्योंकि और कविता को एक रचनात्मक प्रक्रिया के रूप में बताया जिसे पाठकों के संपादन के लिए पॉलिश किया जाना चाहिए। ‘कलम दा सफर’ सत्र में डॉ. बलजिंदर ने उपाख्यानों को सुनाकर और उन्हें अपने विषय के ताने-बाने में बुनकर एक बेहद दिलचस्प व्याख्यान दिया। उन्होंने समृद्ध और विविध संस्कृति के बारे में बात की जो हमारे देश में रचित कविता में कई रंग जोड़ती है। डॉ० बलजिंदर ने अपनी पुस्तक ‘अंबर परियां’ में निहित अंतर्दृष्टि को भी साझा किया और प्रतिभागियों को लेखन के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यशाला को प्रतिभागियों द्वारा खूब सराहा गया । प्रतिभागियों ने प्रमुख वक्ताओं के विचारों से स्वयं को समृद्ध महसूस किया।

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