जयपुर6 जुलाई, 2021
मां बाड़ी योजना-राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही ऐसी योजना है, जिसमें हमारे समाज के अनुसूचित जनजाति वर्ग के उत्थान के लिए प्रभावी कदम उठाया जा रहा है। वर्ष 2007 में प्रारम्भ की गई यह योजना स्वच्छ परियोजना के माध्यम से संचालित की जा रही है, जिसे विशेष रूप से अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत अनुसूचित जनजाति व बारां जिले के सहरिया परिवारों के बालक एवं बालिकाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस योजना के तहत इन केन्द्रों पर आने वाले बच्चों को उनके गॉव एवं ढ़ाणी में ही बेहतर शिक्षा के साथ-साथ मूलभूत सुविधाएं एवं स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।
जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग की आयुत सुश्री प्रज्ञा केवलरमानी ने बताया कि इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन मां-बाड़ी केन्द्रों पर कार्यरत कार्मिक भी स्थानीय निवासी ही होते है तथा अधिकांश अनुसूचित जनजाति के ही है। इसका सीधा सा प्रभाव ये पड़ता है कि ये अपने ही समाज से आने वाले बच्चों की जीवनशैली और समस्याओं से भली भंाति परिचित होते हैं। ऐसे में इनके लिए इन बच्चों की आवश्यकताओं को समझना तथा शिक्षा आदि के क्षेत्र में इनको आने वाली समस्याओं का निराकरण भी आसानी से किया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत लाभान्वित होने वाले बच्चों की आयु सीमा 6 से 12 वर्ष निर्धारित की गई है। इस आयुवर्ग के जिन बच्चों को प्राथमिक शिक्षा पाने के लिए अपने घर से दूर जाना पड़ता था, अब उन्हें इस योजना के तहत उन्हीं के क्षेत्र, गांव में मां-बाड़ी केन्द्रों में बेहतर शिक्षा उपलध कराई जा रही है।
आयुत टीएडी ने बताया कि सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना में प्रत्येंक मां बाडी केन्द्र पर शिक्षा से वंचित 30 बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा के लिए नामांकित किया जाता है और इनमें से बालिकाओं को वरीयता प्रदान कर उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है।
इन केन्द्रो पर नामांकित बच्चों को सरकार द्वारा मां बाड़ी केन्द्रों में नि:शुल्क भोजन, अल्पाहार, ड्रेस और पढऩे लिखने के लिए जरूरी किताबें उपलध कराई जा रही हैं। जिससे एक तो इनके ज्ञान और शैक्षिक स्तर में वृद्घि हो रही है और साथ ही साथ इन्हें बेहतर पोषण भी मिल पा रहा है।
इसके अलावा इन केन्द्रों का उदे्ेश्य जनजाति वर्ग की महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के लिए जागरूक करना भी है। इस योजना के तहत इन केन्द्रों में अध्यनरत बच्चों की माताओं को ही इन केन्द्रो पर होने वाली गतिविधियों से जोडक़र उन्हें रोजगार भी उपलध करवाया जा रहा है। इन माताओं को सरकार द्वारा इस योजना के तहत भोजन तैयार करने के लिए उचित मानदेय और भोजन भी केन्द्र पर ही उपलध करवाया जा रहा है। इसके साथ ही अनुसूचित क्षेत्र की जनजातीय और बारां जिले की कथौड़ी सहरियां महिलाओं को प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से भी इन केन्द्रों से जोडक़र शिक्षित और सशक्त बनाया जा रहा है। वहीं, सरकार को अपनी इस योजना में विश्वव्यापी संगठन यूनिसेफ का भी सहयोग मिल रहा है, जो कि इन मां बाड़ी केन्द्रों में कार्यरत शिक्षा सहयोगियों को नए पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण मुहैया करवा रही है, जिससे कि ये शिक्षक छात्रों का बेहतर और नवीन ढंग से ज्ञानवर्धन कर सकें। वर्तमान समय में प्रदेश में कुल 1728 मां बाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। जिनमें से उदयपुर में 357, डूंगरपुर में 325, बांसवाड़ा में 416, प्रतापगढ में 324, आबूरोड में 22, पाली में 59, राजसमंद में 12, पिंडवाड़ा में 34, बारां में 14 और जयपुर में 165 संचालित हैं।
मां बाड़ी शिक्षा सहयोगी बनने के लिए कम से कम 8वीं पास होना आवश्यक हैं। 51840 आदिवासी बालक और बालिकाओं को वर्तमान में इस योजना का लाभ मिल रहा है। वहीं राज्य में इस योजना के तहत 811 डे केयर सेंटर का भी संचालन किया जा रहा है, जिसमें 24330 बालक एवं बालिकाऐं लाभान्वित हो रहे है।
वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा में भी राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा 250 नए मां बाड़ी केन्द्रों की स्थापना की घोषणा की गई है। विभाग द्वारा इन केन्द्रो को खोलने के लिये स्थान चयन की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा चुकी है।
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