शिरोमणी अकाली दल ने मीडिया आउटलेटस् पर आईटी छापे मारने की निंदा की

“Govt slamming the door shut on farmers face “- Sukhbir Singh Badal

एनडीए सरकार मीडिया से धक्केशाही कर रही, क्योंकि उसने पेगासेस स्पाईवेयर के माध्यम से कोविड कुप्रबंधन और सरकारी निगरानी का पर्दाफाश कियाः सरदार सुखबीर सिंह बादल
कहा कि किसानों के खिलाफ प्रतिशोध की भावना का पालन किया जा रहा, एनडीए सरकार को अपने रवैये में सुधार लाना चाहिए
चंडीगढ़/22 जुलाई 2021 शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज मीडिया आउटलेटस पर आयकर विभाग द्वारा मारे गए छापे की निंदा करते हुए कहा कि ,कोविड महामारी में एनडीए सरकार के कुप्रबंधन को उजागर करने के लिए , इसके अलावा इजरायली कंपनी के पेगासर स्पाईवेयर के माध्यम से राजनेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर केंद्र सरकार की निगरानी के बारे सवाल पूछने के लिए सताया जा रहा है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनडीए सरकार ने दैनिक भास्कर और भारत संचार समूह पर निशाना साधा , क्योंकि उन्होने पत्रकारिता के उच्च मानकों को ध्यान में रखते हुए सरकार के समक्ष कड़े सवाल खड़े किए थे। ‘‘ केंद्र सरकार को इस तरह से प्रेस की आजादी पर नकेल डालने की कोशिश नही करनी चाहिए। अकाली दल इस संकट की घड़ी में मीडिया के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है’’।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि केंद्र को कोविड कुप्रबंधन जैसे संवेदनशील मुददों पर आलोचना पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए, क्योंकि उन्होने देश के नागरिकों की भावनाओं को दर्शाया था। उन्होने कहा कि दैनिक भास्कर ने इस बात का पर्दाफाश किया कि कंद्र के साथ साथ कई राज्यों ने कोविड महामारी को गलत तरीके से इस्तेमाल किया। ‘‘ इसने पेगासेस स्पाइवेयर के माध्यम से कई राजनेताओं के साथ साथ पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की निगरानी को भी बड़े पैमाने पर कवर किया था, जो एनडीए सरकार की पंसद के अनुसार नही था’’। सरदार बादल ने कहा कि यह भी देखने में आया कि दैनिक भास्कर के कर्मचारियों के मोबाइल फोन का जब्त कर लिया गया तथा नाइट शिफ्ट कर्मियों को उनके कार्यालय छोड़ने से रोक दिया गया था। उन्होने कहा कि चैथे स्तंभ का इस तरह से उत्पीड़न लोकतंत्र के लिए शुभ नही है’।
एनडीए सरकार से अपने कामकाज में सुधार लाने के बारे में पूछते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि सरकार किसानों और किसान आंदोलन के प्रति प्रतिशोध रवैया अपना रही है, क्योंकि उन्होने उनकी नीतियों के बारे सवाल उठाए थे। ‘‘ किसानों ने तीनों खेती कानूनों को लाने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया , जो केवल कारपोरेटस की मदद करते हैं, जिसके कारण देश में खेती का कारपोरेटाइजेशन होगा। किसानों की बात सुनने और उनकी शिकायतों का समाधान करने के बजाय सरकार उनके प्रति गलत रवैया अपना रही है। उन्होने खेती मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस तर्क पर सवाल उठाया जिसमें कहा गया था कि सरकार तीनों खेती कानूनों को निरस्त नही करेगी तथा इनमें संशोधन नही किया जाएगा, तथा किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। उन्होने जोर देकर कहा कि ‘‘ सरकार को पहले तीनों खेती कानूनों को निरस्त करना चाहिए’’।

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