राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और भारतीय वन्यजीव संस्थान की कार्यशाला आयोजित

स्वच्छ गंगा अभियान में सुनिश्चित हो प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता
-प्रमुख शासन सचिव, वन एवं पर्यावरण

जयपुर, 26 जुलाई। भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से सोमवार को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और भारतीय वन्यजीव संस्थान प्रोजे€ट के तहत इससे जुड़े हितधारकों के लिए गंगा नदी बेसिन में जलीय प्रजातियों के संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के रख-रखाव के लिए योजना और प्रबंधन विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें वक्ताओं ने गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए आवश्यक जैव विविधता के संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

राजस्थान फॉरेस्ट्री एंड वाइल्ड लाइफ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यशाला में वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा कि गंगा नदी के संरक्षण में वन विभाग और राजस्थान की ओर से पूरा सहयोग दिया जाएगा। स्वच्छ गंगा अभियान में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान में पर्यावरण और नदियों के साथ-साथ जलीय जीवों के संरक्षण की दिशा में भी लंबे समय से कार्य जारी हैं। प्रदेश की चंबल नदी को तुलनात्मक रूप से साफ बताते हुए उन्होंने कहा कि इसी वजह से उसमें रहने वाले जलीय जीवों की संख्या बढ़ रही है। राजस्थान की जैव विविधता में वनस्पति के साथ-साथ वन्यजीवों और जलीय जीवों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। वन विभाग संपूर्ण पर्यावरण को ध्यान में रखकर सकारात्मक कार्य कर रहा है। चंबल घडिय़ाल अभयारण्य का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि व्यापक जैव विविधता संरक्षण के प्रयत्नों की वजह से ही चंबल बेसिन क्षेत्र में लगातार वन्य और जलीय जीवों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) श्रीमती श्रुति शर्मा ने चंबल घडिय़ाल अभयारण्य का जिक्र करते हुए बताया कि भारत सरकार की पुनर्वास योजना के तहत घडिय़ालों एवं मगरमच्छों के अंडों से बच्चे तैयार कर उन्हें फिर से नदी में छोड़ा गया। यह नदी घडिय़ालों के लिए बेहतर प्राकृतिक आवास है। इसके साथ ही नदी में उदबिलाव, डॉल्फिन और मगरमच्छ भी पाए जाते हैं।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के डायरे€टर जनरल श्री राजीव रंजन मिश्रा ने स्वच्छ गंगा मिशन के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों में रहने वाले विभिन्न जल-जीवों के संरक्षण पर जोर देते हुए इस दिशा में कार्य करने हेतु सुझाव दिए। उन्होंने राजस्थान की चंबल नदी को गंगा बेसिन की एक महत्वपूर्ण नदी बताया। चंबल में जल के नियमित और निरंतर प्रवाह को भी महत्वपूर्ण बताया।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. धनंजय मोहन ने गंगा नदी की जैव विविधता के वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता प्रतिपादित की।

भारतीय वन्यजीव संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. रुचि बडोला ने प्रोजे€ट की जानकारी देते हुए विस्तार से इसकी रूपरेखा बताई। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरने वाली गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की स्थापना की गई है। मिशन की ओर से लगातार इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। चंबल नदी इसकी महत्वपूर्ण कड़ी है।

मिशन प्रोजे€ट से जुड़े संरक्षण जीव विज्ञानी श्री सौरव गावां और रणथंभोर टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक व फील्ड डायरे€टर श्री टीसी वर्मा ने चंबल नदी के संरक्षण और मैनेजमेंट पर विचार व्यक्त किए।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक) श्री मोहन लाल मीणा ने स्वागत उद्बोधन दिया जबकि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में कृषि, पशुपालन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पंचायती राज, पर्यटन, बायोडायवर्सिटी बोर्ड सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। कार्यशाला का संचालन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के डायरे€टर श्री केसीए अरुण प्रसाद ने किया।

 

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