पराली प्रबंधन के लिए पंजाब की 1200 करोड़ की मांग ठुकराने पर ‘आप’ ने की केन्द्र सरकार की निंदा

सांसद मलविंदर कंग ने कहा – मोदी सरकार पंजाब के साथ लगातार भेदभाव कर रही, हजारों करोड़ के फंड रोक रखी है, जनहितैषी मांगों को भी जानबूझकर ठुकरा रही है

मान सरकार के सार्थक कदमों की बदौलत इस बार पराली जलाने की संख्या में काफी कमी आई है, केन्द्र को भी सहयोग करना चाहिए – कंग

चंडीगढ़, 5 नवंबर 2024 

केंद्र सरकार द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार की 1,200 करोड़ रुपये देने की मांग ठुकराने पर आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा नीत केन्द्र सरकार की तीखी आलोचना की है और केन्द्र पर पंजाब के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है।

मंगलवार को पार्टी कार्यालय चंडीगढ़ में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ‘आप’ सांसद और पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि मोदी सरकार पंजाब के साथ लगातार भेदभाव कर रही है। वह पहले से ही पंजाब के रूरल डेवलपमेंट फंड, मंडी डेवलपमेंट फंड और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे कई फंड रोक रखी है, जो 10 हजार के करीब है। पिछले दिनों चावल की लिफ्टिंग में जानबूझकर समस्या पैदा की। अब पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को प्रोत्साहित राशि देने से भी मुकर रही है। यह बेहद निंदनीय है।

कंग ने कहा कि मान सरकार पराली जलाने से रोकने के लिए लगातार किसानों को जागरुक और सहयोग कर रही है। पिछले ढाई सालों के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए सार्थक कदमों की बदौलत इस बार पराली जलाने की संख्या में काफी कमी आई है।

कंग ने कहा कि भाजपा अक्सर बोलती है कि वह पंजाब के किसानों के साथ है, लेकिन जब भी उनकी मदद की बात आती है तो अपनी जिम्मेदारी से भाग जाती है या तरह-तरह की रूकावटें डालती है। भाजपा की केंद्र सरकार का पंजाब के प्रति रवैया बेहद भेदभाव वाला और बदले की भावना वाला है। यह देश की संघीय व्यवस्था को भी कमजोर करने वाला है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह अहसास होना चाहिए कि पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मेहनत से अनाज उपजाकर पूरे देश का पेट भरते हैं। उनके साथ इस तरह का व्यवहार शर्मनाक है। आम आदमी पार्टी इसकी घोर भर्त्सना करती है।

पंजाब सरकार 2022 से ही केंद्र को लिख रही पत्र, पिछले साल दिल्ली सरकार ने भी हिस्सा देने की घोषणा की थी

पंजाब सरकार ने 2022 में ही केंद्र को पत्र लिखकर किसानों को प्रति एकड़ 2500 रू देने की अपनी योजना से अवगत कराया था।पिछले साल दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस योजना में दिल्ली सरकार की तरफ से भी योजना के लिए पैसे देने की घोषणा की थी क्योंकि दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर पराली के धुआं से वायु प्रदूषण काफी बढ़ में जाता है।

पिछले महीने इस साल के लिए पंजाब सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर इस साल के लिए योजना का 60 प्रतिशत रकम जो 1200 करोड़ रुपए बनता है, देने का आग्रह किया था।पंजाब में इस बार करीब 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। सभी किसानों को 2500 रूपए प्रति एकड़ देने के लिए करीब 2000 करोड़ खर्च होगा। कुल खर्च का 40 प्रतिशत दिल्ली और पंजाब सरकार मिलकर देगी। 400 करोड़ पंजाब सरकार और 400 करोड़ दिल्ली सरकार देगी। लेकिन केंद्र सरकार दो सालों से लगातार यह प्रस्ताव ठुकरा रही है।

अपने प्रस्ताव में पंजाब सरकार ने कहा था कि पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन देना ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी सामानों का उपयोग बेहद महंगा है। इससे संबंधित अन्य खर्च भी होते हैं। ज्यादा खर्च से बचने के लिए ही किसान पराली जलाते हैं।

Spread the love