- खरड़ वासियों के साथ बदलाव नहीं बदले की राजनीती कर रही है आप

Vineet Joshi at Kharar
AAP playing ‘politics of revenge’ instead of ‘politics of change’ with Kharar residents
आप ने भगोड़े विधायक के बाद उत्तारी पैराशूट बाहरी कैंडिडेट
आप ने मनसा से लाकर खरड़ वासियों के सिर पर बैठायी बाहरी उम्मीदवार

खरड़, नवंबर 25 2021

हल्का खरड़ के वासियों के साथ बदले की राजनीती कर रही है आम आदमी पार्टी, यह आरोप भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने लगाए | वीरवार को मंडल प्रधान भाजपा खरड़ पवन मनोचा की हाजरी में पत्रकारों से बात-चित करते हुए जोशी ने आप पार्टी से सवाल किया कि खरड़ के लोगों ने अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान का क्या बिगाड़ा था कि आप का शीर्ष नेतृत्व खरड़ विधानसभा के नागरिकों के साथ बदले की भावना से बाहरी लोगों को खरड़ से अपना प्रत्याक्षी बना रहे हैं |

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पहले 2017 में आम आदमी पार्टी ने स्थानीय नेताओं को रोंदते हुए कँवर संधू नाम के एक ऐसे शख्श को अपना उमीदवार बनाया जो चुनाव जितने के बाद अपनी जिमेवारी से भगोड़ा हो गया | खरड़ वासी आपने विधायक को समस्याएं सुनाना तो दूर लोग उसकी शकल देखने को भी तरस गए हैं, इसके लिए जिम्मेवार कौन है ? जोशी ने पूछा |
स्वयं उत्तर देते हुए जोशी  ने कहा इसके लिए जिमेवार खरड़ के भोले भाले मतदाता नहीं बल्कि अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान हैं जिन्होंने खरड़ के लोगों को बदलाव की राजनीती का नारा दे कर गुमराह किया और चुनाव जितने के बाद पीठ में छूरा घोंप दिया | क्या केजरीवाल की यह ड्यूटी नहीं बनती थी कि खरड़ के विधायक को लोगों की सेवा में हर पल हाजिर रखें |

जोशी और मनोचा ने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी खरड़ के लोगों के साथ बदलाव की नहीं वास्तव में बदले की राजनीती कर रही है , यही कारण  है कि  भगोड़े विधायक के बाद अब यहाँ मानसा से एक गायिका खरड़ से प्रत्याक्षी बनाई गयी है | अनमोल गगन मान और इसके परिवार ने  मानसा क्यों छोड़ा और आप ने उसे खरड़ से ही क्यों प्रत्याक्षी बनाया इसका जवाब आप और अनमोल गगन को देना होगा और यह भी बताना होगा की अनमोल का आप से कितना पुराना रिश्ता है |

उन्हें बताना होगा की उनकी पार्टी के पास स्थानीय नेतृत्व में से कोई एक भी ऐसा स्थानीय नेता और  कार्यकर्त्ता नहीं है कि  उन्हें मनसा से एक गायिका को खरड़ में लाना पड़ा , जिसका खरड़ और खरड़ के  लोगों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं |   क्या स्थानीय नेताओं और कार्यकताओं में इतनी क़ाबलियत नहीं थी की उन्हें 2017 की तरह इस बार भी नकार दिया गया |

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