पिछड़े वर्ग के लिए भी घातक है कृषि विरोधी कानून : भगवंत मान

BHAGWANT MANN
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आप ने संसद में पिछड़े वर्गों पर संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन किया
कृषि कानूनों के खिलाफ भगवंत मान संसद में 11वीं बार लाए काम रोको प्रस्ताव
नई दिल्ली/चंडीगढ़,10अगस्त 2021
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान ने मंगलवार को संसद में पेश किए गए पिछड़ा वर्ग (बीसी) पर संविधान संशोधन विधेयक 2021 का समर्थन करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) दबे कुचले वर्गों सहित सभी पिछड़े वर्गों के उत्थान और उनके विकास के लिए आवाज उठाती आई है। भारत सरकार जब भी दलितों के अधिकारों के लिए ऐसा कानून लाएगी, हम उसका समर्थन करेंगे। मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध नहीं करती है।
मंगलवार को पार्टी कार्यालय से जारी एक बयान में भगवंत मान ने कहा कि आप ने पिछड़ा वर्ग पर संवैधानिक संशोधन विधेयक का समर्थन किया है, लेकिन साथ ही केंद्र सरकार को यह भी स्पष्ट कर दिया कि कृषि प्रधान देश होने के साथ भारत का ९० प्रतिशत पिछड़ा वर्ग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा अन्नदाता पर थोपे जा रहे तीनों कृषि कानूनों को निरस्त या वापस न लेने पर किसान सहित खेती पर निर्भर पिछड़े वर्गों का अस्तित्व भी खतरे में है। इसलिए मोदी सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इन कृषि विरोधी काले कानूनों को वापस ले।
सांसद भगवंत मान ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसान ही नहीं बचेगा तो खेती बाड़ी के लिए ट्रैक्टर व कंबाइन बनाने वाला रामगढ़िया समुदाय भी खत्म हो जाएगा। ऐसे में यहां इन उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों का रोजगार कैसे बचेगा। क्योंकि कॉरपोरेट घराने हजारों एकड़ खेत में खेती करेंगे, जहां पंजाब या अन्य राज्यों के मिस्त्री-मैकेनिक द्वारा बनाए गए औजारों और छोटे ट्रैक्टरों की जरूरत नहीं होगी।
इसलिए पिछड़ा वर्ग भी किसानों के साथ शामिल होकर उनके आंदोलन को सहयोग दे रहा है। भगवंत मान ने कहा कि मंगलवार को संसद में चल रहे मानसून सत्र के दौरान मान ने 11वां “काम रोको प्रस्ताव” पेश किया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस समय संसद में कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई काम नहीं होना चाहिए।
मान ने कहा, देश आने वाली 15 अगस्त को आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा है, लेकिन आज भी हमारे लोगों को मानसिक, आर्थिक और शैक्षणिक आजादी नहीं मिली है। अगर असल में आजादी मिली होती तो आज सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीबों और आम घरों के बच्चे भी अधिकारी बन जाते और सरकारी दफ्तर भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाते।

 

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