
कहा कि बजट एम.एस.पी पर कानूनी गारंटी देने में विफल रहा, न तो खेती का कर्जा माफ कया गया और न ही विविधीकरण को वास्तविकता बनाने के लिए फंड निर्धारित किए गए
चंडीगढ़, 01फरवरी 2025
शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज कहा है कि यह बेहद निंदनीय है कि केंद्रीय बजट 2025 राष्ट्र के समावेशी विकास के लिए न करके चुनावी राज्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया गया है। उन्होने कहा कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने और किसानों का कर्जा माफ करने सहित किसानों की सभी मांगों की अनदेखी करके कृषि अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल दिया गया है।
बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा,‘‘ यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां इस बजट में बिहार और असम पर ध्यान केंद्रित किया गया, जहां इस साल चुनाव होने वाले हैं जबकि पंजाब जैसे महत्वपूर्ण राज्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।’’ उन्होने कहा कि सरकार चाल साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के लिए फंड आवंटित करने में नाकाम रही है। उन्होने कहा कि इसी तरह व्यापक खेती के कर्ज के लिए कोई फंड आवंटित नही किया गया है, जबकि खेती संकट को ध्यान में रखते हुए पूरे देश को इसकी जरूरत है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को फिर से तैयार करने और इसके लिए अधिक धन निर्धारित करने के लिए कोई प्रयास नही किया गया ताकि किसान इस योजना का लाभ उठा सकें।
अकाली नेता ने कहा कि पंजाबियों को धान की खेती छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करके विविधीकरण को वास्तविकता बनाने के लिए फंडों के आवंटन की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होने कहा,‘‘ बड़े दुख की बात है कि सरकार ऐसा करने में विफल रही है।’’ उन्होने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि पंजाब यां किसी भी प्रमुख संस्थान के लिए कोई बुनियादी ढ़ांचा परियोजना निर्धारित नही की गई है। उन्होने कहा,‘‘ पंजाब को अपनी नहर सिंचाई प्रणाली की बहाली के लिए फंडों की आवश्यकता है लेकिन राज्य को इससे भी वंचित कर दिया गया है।’’ उन्होने कहा कि राज्य को बाॅर्डर क्षेत्र में उद्योग के लिए विशेष पैकेज से भी वंचित कर दिया गया है, जबकि वाघा-अटारी सीमा से पाकिस्तान के के साथ व्यापार को फिर से खेालने का कोई आश्वासन नही दिया गया है।
सरदार बादल ने कहा कि केंद्रीय बजट जीएसटी संग्रह को सरल बनाने में नाकाम रहा है। उन्होने कहा कि व्यापार और उद्योग जगत जीएसटी संग्रह को सरल और तर्कसंगत बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस मांग को भी नजरअंदाज कर दिया गया है। उन्होने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षा, परिवहन और ग्रामीण विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों के बजट में कटौती की गई है, जबकि नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करके बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए कुछ भी नही किया गया है।