कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा जगमेल सिंह की विधवा को ग्रुप-डी की नौकरी, बच्चों को मुफ़्त शिक्षा और परिवार को 20 लाख रुपए देने के आदेश

मृतक के परिवार ने रोष प्रदर्शन ख़त्म किया 
ए.डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी को जांच सौंपी
एक सप्ताह में चालान पेश करने के आदेश
चंडीगढ़, 18 नवंबर:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के निर्देशों पर कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार ने संगरूर जिले के गाँव चंगाली वाला में मारे गए दलित व्यक्ति के परिवार को 20 लाख रुपए का मुआवज़ा देने का ऐलान किया है।
इस फ़ैसले का ऐलान तीन कैबिनेट मंत्रियों और अन्य सीनियर अधिकारियों की मृतक की विधवा मनजीत कौर और बाकी पारिवारिक सदस्यों के साथ हुई मीटिंग के बाद किया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई मीटिंग में सरकार द्वारा कैबिनेट मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा, चरनजीत सिंह चन्नी, विजय इंदर सिंगला और मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव कैप्टन संदीप संधू ने नुमायंदगी की।
मीटिंग के बाद परिवार ने पूर्व मुख्यमंत्री रजिन्दर कौर भ_ल के पैतृक गाँव लहरा स्थित उनकी रिहायश के बाहर लगाऐ धरने को ख़त्म कर दिया।
मीटिंग में यह फ़ैसला किया गया कि मृतक की विधवा को उसकी शैक्षिक योग्यता में ढील देकर उसे घर के नज़दीक ही ग्रुप-डी की नौकरी दी जायेगी। मीटिंग के दौरान परिवार को छह महीनों के लिए मुफ़्त राशन भी मुहैया करवाने का फ़ैसला किया गया है। मृतक के भोग का समूचा ख़र्च भी राज्य सरकार की तरफ से वहन किया जायेगा।
इसी तरह राज्य सरकार द्वारा जगमेल सिंह के घर की मुरम्मत के लिए भी 1.25 लाख रुपए दिए जाएंगे। सरकार ने मृतक के नौवीं, छठी और पहली कक्षा में पढ़ते बच्चों को ग्रेजुएशन स्तर तक मुफ़्त शिक्षा मुहैया करवाने का भी फ़ैसला किया है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस कत्ल केस की व्यापक जांच ए.डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी से करवाने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस को एक सप्ताह में इस केस का चालान पेश करने के आदेश दिए। दोषियों को तीन महीनों के अंदर सख्त सज़ा दिलाने को यकीनी बनाने के लिए भी हर संभव यत्न किये जाएंगे।
ए.डी.जी.पी. को यह भी आदेश दिए गए हैं कि इस मामले में यदि किसी पुलिस अधिकारी के स्तर पर कोई लापरवाही हुई है तो इसकी जांच करके जि़म्मेदारी तय की जाये।
प्रवक्ता ने बताया कि डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने इस जांच का जि़म्मा ए.डी.जी.पी. गुरप्रीत दियो को सौंपा है जिनकी तरफ से जांच के साथ-साथ सिफारिशों की सूची भी सौंपी जायेगी जिससे भविष्य में ऐसी दूर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ और मामला दर्ज करने में किसी किस्म की देरी को रोका जा सके। डी.जी.पी. ने कहा कि जांच अधिकारी की जि़म्मेदारी तय की जानी चाहिए जिससे कसूरवार अधिकारियों के खि़लाफ़ अनुशासनीय कार्यवाही अमल में लाई जा सके।