कोरोना, तालाबन्दी और बेरोजगारी के कारण पैदा हुई आर्थिक तंग के कारण हुई मौतों के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह जिम्मेदार-भगवंत मान

पंजाब के लोगों को बेसहारा छोड़ पहाड़ों में सो रही कैप्टन सरकार ने लोगों की ओर नहीं दिया ध्यान
कारोबारियों को काम करने और बिजली बिलों समेत कर्जे की किश्तों में राहत दी जाए
चंडीगढ़, 1 जून 2021
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के प्रधान और सांसद भगवंत मान ने कोरोना के बाद कैप्टन सरकार ने प्रदेश में लागू किया लॉकडाउन आम लोगों की जान ले रहा है। पंजाब के लोगों को बेसहारा छोड़ पहाड़ों में सो रही कैप्टन सरकार ने लोगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने दोष लगाया कि कोरोना, तालाबन्दी और बेरोजगारी के कारण पैदा हुई आर्थिक तंग के कारण हुई मौतों के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह जिम्मेदार हैं।
मंगलवार को पार्टी के मुख्य दफ्तर से जारी बयान में भगवंत मान ने कहा कि प्रदेश में फैली कोरोना महामारी भले ही कुदरती आफत है, परन्तु महामारी और आफत के कारण हुए बुरे हलातों से निपटने की जिम्मेदारी प्रदेश की सत्ताधारी कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की है। उन्होंने दोष लगाया कि कैप्टन सरकार कोरोना महामारी और इसके कारण पैदा हुए बुरे हलातों में प्रदेश वासियों की सुरक्षा करने में नाकाम सिद्ध हुई है। बल्कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपना सारा जोर तालाबन्दी लागू करने और लोगों की मारपीट करने पर ही लगाए रखा है। कैप्टन सरकार की पुलिस कहीं सब्जी वाले की रेहड़ी पर टांगें मारती फिरती है और कहीं लोगों के चालान काटने और पीटने पर लगी हुई है।
भगवंत मान ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार ने कोरोना महामारी के दौर में प्रदेश वासियों की कोई मदद नहीं की। लोगों के रोजगार बंद हो कर रह गए। उन्होंने बताया कि संगरूर में एक परिवार की तीन पीड़ीया खत्म हो गई और लुधियाना में जिम्म का कारोबार बंद होने के कारण परेशान कारोबारी नौजवान ने अपनी जीवन लीला खत्म कर ली। कैप्टन की तरफ से तालाबन्दी के कारण व्यापार बंद हो कर रह गए, परन्तु दुकानों और अन्य स्थानों के किराए, खर्च किए और बिजली के बिल उसी तरह चल रहे हैं।
मान ने पंजाब सरकार से मांग की है कि प्रदेश के कारोबारियों को अपने अपने काम करने की इजाजत दी जाए और बिजली बिल और अन्य बिलों समेत कर्जे की किश्तों में राहत दी जाये, जिससे तालाबन्दी के कारण बर्बाद हुए कारोबारी अपने पैरों पर खड़े हो सकें। उन्होंने यह भी मांग की है कि गांवों शहरों में रहते दैनिक वेतन वाले गरीब परिवारों और कोरोना के कारण बेसहारा हुए परिवारों को आर्थिक मदद भी दी जाये।

 

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