केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए प्रारूप दिशानिर्देशों पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं

News Makhani (1)
S. Arjun Singh Grewal
प्रारूप दिशानिर्देश कोचिंग में लगे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा सफलता दर, चयन की संख्या आदि के बारे में झूठे दावों को रोकने के लिए होगा

प्राधिकरण ने 30 दिनों के भीतर 16 मार्च, 2024 तक इन दिशानिर्देशों पर सार्वजनिक टिप्पणियां/सुझाव मांगे हैं

दिल्ली, 16 FEB 2024 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए प्रारूप दिशानिर्देशों पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं। ये प्रारूप दिशानिर्देश उपभोक्ता मामलों के विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और लिंक

(https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file uploads/latestnews/Public%20Comments%20Letter%202.pdf).) के माध्यम से यहां पहुंचा जा सकता है।)

इस संबंध में सार्वजनिक टिप्पणियां/सुझाव/प्रतिक्रिया मांगी गई हैं, जिन्हें 30 दिनों के भीतर (16 मार्च, 2024 तक) केंद्रीय प्राधिकरण को मुहैया कराया जा सकता है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने 8 जनवरी, 2024 को कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों पर हितधारकों के साथ परामर्श करने के लिए एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), शिक्षा मंत्रालय, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) दिल्ली, फिटजी, खान ग्लोबल स्टडीज और इकिगाई लॉ ने भाग लिया। इस बैठक में इस बात पर आम सहमति बनी कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश लाने चाहिए।

कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए प्रारूप दिशानिर्देश कोचिंग संस्थानों, कानूनी फर्मों, सरकार और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों (वीसीओ) सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है और अब इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा जा रहा है। ये प्रस्तावित दिशानिर्देश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 18 (2) (l) के अंतर्गत जारी किए जाएंगे।

ये प्रारूप दिशानिर्देश “कोचिंग” को किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रदान किए गए ट्यूशन, निर्देश या अकादमिक समर्थन या शिक्षण कार्यक्रम या मार्गदर्शन के रूप में परिभाषित करते हैं। गाइडलाइंस के तहत भ्रामक विज्ञापन के लिए शर्तें रखी गई हैं। कोई भी व्यक्ति जो कोचिंग से जुड़ा हुआ है, उसे भ्रामक विज्ञापनों में संलग्न माना जाएगा, यदि वह निम्नलिखित में से किसी भी कार्य को अपनाता है-

ए. सफल उम्मीदवार द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के नाम (चाहे मुफ़्त हो या उसके लिए भुगतान किया गया हो) और पाठ्यक्रम की अवधि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी या कोई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी छिपाएं, जो उपभोक्ता के अपनी सेवाओं को चुनने के निर्णय को प्रभावित कर सकती है।

बी. सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना, किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में छात्रों की सफलता दर, चयन की संख्या या रैंकिंग के संबंध में झूठे दावे करते हुए पकड़े जाएं।

सी. छात्रों के व्यक्तिगत प्रयासों को स्वीकार किए बिना, यह जूठ फैलाना कि छात्रों की सफलता पूरी तरह से कोचिंग की वजह से हुई है। उनकी सफलता में कोचिंग की भागीदारी की सीमा स्पष्ट रूप से बताएं।

डी. अत्यावश्यकता का झूठा बोध कराना और यह डर पैदा करना कि अगर यह छूट जाएगा तो वे असफल लोगों में शुमार होंगे, ऐसा करने से छात्रों के अंदर और उनके अभिभावकों की चिंताएं बढ़ सकती हैं।

ई. कोई भी ऐसा अन्य काम जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकती है या उनकी स्वायत्तता और पसंद को क्षतिग्रस्त कर सकती है।

कोचिंग से जुड़े हर व्यक्ति पर ये दिशानिर्देश लागू किए जाएंगे। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों से बचाना है। इस प्रकार, ये प्रस्तावित दिशानिर्देश ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को रोकने का प्रयास करते हैं, जो उपभोक्ताओं को एक वर्ग के रूप में प्रभावित करते हैं। कोचिंग सेक्टर द्वारा भ्रामक विज्ञापनों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा और ये प्रस्तावित दिशानिर्देश इन हितधारकों में स्पष्टता लाएंगे और उपभोक्ता हितों की रक्षा करेंगे।

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