बिजली संकट के लिए चन्नी और मोदी सरकार बराबर जिम्मेदार:  अमन अरोड़ा

AMAN ARORA
ਸਫਾਈ ਸੇਵਕਾਂ ਅਤੇ ਸੀਵਰਮੈਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੇਵਾਵਾਂ ਪੱਕੀਆਂ (ਰੈਗੂਲਰ) ਕਰਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਚੋਣਾਵੀਂ ਸਟੰਟ : ਅਮਨ ਅਰੋੜਾ

 

कहा, कोयले की पूर्ति करना केंद्र की जिम्मेदारी, निजी थर्मल प्लांटों ने की नियमों की उल्लंघना

चंडीगढ़ , 11 अक्तूबर 2021

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने कोयले की कमी के कारण पंजाब और देश में गहराए बिजली संकट के लिए केंद्र और पंजाब सरकार को बराबर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह सब कॉरपोरेट घरानों के की निजी कंपनियों के लिए देश के बचे-कुचे सरकारी (सार्वजनिक) थर्मल प्लांटों की बली लिए जाने के हथकंडे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली संकट केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा किया गया संकट है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार नीयत और नीति के साथ कोयले का प्रबंध(मैनेजमेंट) करे तो ऐसा संकट पैदा नहीं होता। सरकारों की ऐसी घातक नीति और नीयत के कारण जहां घरेलू बिजली उपभोक्ता अघोषित लंबे बिजली कट के कारण सूली पर चढ़ा दिए गए हैं, वहीं कोरोना काल की मार से उभर रहे व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र को एक बार दोबारा वित्तीय संकट की ओर धकेल रही है।

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सोमवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में आप के वरिष्ठ नेता एवं विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब के सरकारी और निजी थर्मल प्लांटों को कोयले की पूर्ति करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन मोदी सरकार एक साजिश के तहत कोयला सप्लाई करने से पल्ला झाड़ रही है। पंजाब समेत दिल्ली आदि राज्यों के थर्मल प्लांटों को कोयला नहीं दिया जा रहा, इस कारण राज्यों के थर्मल प्लांट बंद और बिजली सप्लाई ठप होने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि एक ओर केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह दावा करते हैं कि कोयले का कोई संकट नहीं, लेकिन दूसरी ओर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ कोयले की पूर्ति के लिए चि_ियां लिख रहे हैं। अमन अरोड़ा ने आशंका प्रकट करते हुए कहा कि क्या कोयले का संकट फर्जी (कृत्रिम) है? ताकि कोयले और बिजली के कारोबार में शामिल बड़ कॉरपोरेट घरानों को मनमाने दाम के साथ अंधाधुंध लूट करने का लाइसेंस मिल जाए या फिर यह फर्जी संकट लखीमपुर खीरी हत्याकांड, शिलोंग में सिखों को बेघर और जम्मू-कश्मीर में हिन्दू-सिखों को निशाना बनाने की आतंकी वारदातों से देश का ध्यान भटकाने की साजिश है?

अमन अरोड़ा ने पंजाब की सत्ता पर अब तक काबिज रही कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि, कैप्टन और बादल सरकारों ने पंजाब के सरकारी थर्मल प्लांटों को बंद करके बिजली की पूर्ति के लिए निजी थर्मल प्लांटों पर निर्भरता बढ़ा दी है, जो आज पंजाबियों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। बादलों द्वारा कॉरपोरेटों से किए गए बिजली समझौते जहां बिजली संकट पैदा कर रहे हैं, वहीं पंजाब के बाशिंदों से लूट कर रहे हैं।
अरोड़ा ने आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा और पंजाब में कांग्रेस की सरकार कॉरपोरेट घरानों के हाथों में खेल रही हैं और देशवासियों को धोखा दे रही हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब कोल इंडिया के पास 400 लाख टन कोयले का भंडार है तो राज्यों को कोयले की सप्लाई क्यों नहीं दी जा रही? अपने स्तर पर विदेशों से कोयला खरीदना बंद करने वाले निजी थर्मल प्लांट मालिकों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? बादलों और कैप्टन की तरह मौजूदा चन्नी सरकार बिजली उत्पादन कम करने वाले निजी थर्मल प्लांटों के साथ किए बिजली खरीद समझौते (पीपीएज) रद्द क्यों नहीं कर रही?

आप नेता ने कहा कि पंजाब के निजी थर्मल प्लांटों के पास एक दिन का कोयला शेष है, जबकि सरकारी प्लांटों के पास चार दिन का कोयला है, इस कारण पंजाब में बिजली संकट पैदा हो गया है। जबकि नियमानुसार थर्मल प्लांटों के पास 22 से 25 दिनों के लिए कोयले का भंडार होना जरूरी है। लेकिन पंजाब के निजी थर्मल प्लांटों ने कोयले का प्रबंध नहीं किया। लेकिन बादलों की तरह कांग्रेस सरकार ने निजी थर्मल प्लांटों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। यदि सरकार चाहे तो सीएए की हिदायतों की उल्लंघना करने वाली निजी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

विधायक अरोड़ा ने कहा कि बिजली संकट के साथ पंजाब में धान की पक रही फसल और झाड़ पर घातक असर पड़ेगा, क्योंकि अब धान की फसल को आखरी बार पानी देने का समय है। लेकिन बिजली सप्लाई नहीं होने के कारण फसल को पानी नहीं दिया जा सकेगा। इसका सीधा असर जहां धान के झाड़ पर पड़ेगा, वहीं गेहूं बिजना, विशेष तौर पर सीधी बिजाई बुरी तरह प्रभावित होगी।