कोयला मंत्री ने राज्यसभा बजट सत्र में लगभग 80 खनन परियोजनाओं में देरी के बारे में बताया

लुधियाना, 15 फरवरी 2025

सरकार का ध्यान कोयले के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और देश में कोयले के अनावश्यक आयात को खत्म करने पर है। वर्ष 2023-2024 में अखिल भारतीय घरेलू कोयला उत्पादन 997.826 मीट्रिक टन था, जबकि वर्ष 2022-2023 में यह 893.191 मीट्रिक टन था, जो लगभग 11.71% की वृद्धि है और अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 की अवधि के दौरान कुल आयात में 5.35% की कमी आई है।

कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा के बजट सत्र में लुधियाना से सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा द्वारा पूछे गए ‘कोयला खनन परियोजनाओं में देरी की जवाबदेही और प्रभाव’ पर एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।

मंत्री ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कैप्टिव/कमर्शियल खदानों की परियोजनाओं में देरी के बारे में भी जवाब दिया। सीआईएल के संबंध में उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 2023-24 में क्रमशः 39 और 40 परियोजनाएं निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं।

एससीसीएल के संबंध में मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 2023-24 में दो-दो परियोजनाएं निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं। कैप्टिव/कमर्शियल खदानों के बारे में मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 2023-24 में क्रमशः 40 और 34 परियोजनाएं निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं।

मंत्री के जवाब में बताया गया कि उत्पादन की समय सीमा चूकने के कारण कोयला कंपनियों के सामने आने वाली प्रमुख बाधाएं इस प्रकार हैं: लैंड एक्वीजीशन एंड रिहैबिलिटेशन एंड रेसेटलमेंट (आरएंडआर) से संबंधित मुद्दे; फॉरेस्ट्री और पर्यावरण मंजूरी में देरी; निकासी और रसद संबंधी बाधाएं; कानून एवं व्यवस्था संबंधी मुद्दे; तथा कुछ भूमिगत खदानों में प्रतिकूल भू-खनन स्थितियां।

इसके अलावा, मंत्री ने उत्तर दिया कि चुनौतियों का समाधान करने तथा परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

जहां तक कोयला मंत्रालय के नॉमिनेटेड अथॉरिटी द्वारा कोयला खदानों के आवंटन का सवाल है, कोयला उत्पादन शुरू करने में देरी तथा लक्ष्य उत्पादन प्राप्त न करने की स्थिति में आवंटियों को कारण बताओ नोटिस दिए जा रहे हैं। मंत्रालय में आवंटियों के उत्तर की जांच की जा रही है तथा जहां भी आवंटियों को जिम्मेदार पाया जाता है, उन्हें कोयला खदान विकास एवं उत्पादन समझौते के प्रावधानों के अनुसार निष्पादन बैंक गारंटी के विनियोजन के रूप में दंडित किया जा रहा है।

भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी/वन मंजूरी के प्रस्तावों की प्रोसेसिंग, आरएंडआर मुद्दों के समाधान आदि से संबंधित मुद्दों में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय के स्तर पर कोयला कंपनियों, हितधारक मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों के साथ समय-समय पर समीक्षा की जाती है।

 

 

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