श्री अर्जुन मुंडा ने बी2बी बैठक को संबोधित किया और जमीनी स्तर पर आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया
आदिवासी किसानों और हल्दी आपूर्तिकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन के तहत ट्राइफेड ने आईटीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान और आजीविका में सुधार का भी वादा किया।
केंद्रीय जनजातीय कार्य, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में चल रहे आदि महोत्सव के हिस्से के रूप में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) बैठक की मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की।
बी2बी बैठक ने उद्योग जगत की हस्तियों, स्टार्टअप सीईओ, आदिवासी कारीगरों और उत्पादकों के बीच एक सीधा इंटरफ़ेस प्रदान किया, जिससे कई व्यावसायिक अवसरों की खोज और मुख्यधारा से उन्हें जोड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ। विशेषज्ञों के नेतृत्व वाली कार्यशालाओं और पैनल चर्चाओं में ब्रांडिंग रणनीतियों, पैकेजिंग नवाचारों, फंडिंग जुटाने और बाजार की पहचान सहित उद्यमशीलता की सफलता के लिए आवश्यक विषयों पर चर्चा की गई।
केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम ने जमीनी स्तर पर आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देने की गहरी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है। जनजातीय कार्य सचिव श्री विभु नायर ने विभिन्न क्षेत्रों में जनजातीय उद्यमियों के बीच आर्थिक विकास, सहयोग और सशक्तिकरण के लिए उत्प्रेरक के रूप में बी2बी सत्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व पर जोर दिया।
आयोजन के दौरान, प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) योजना के तहत एक सहयोगी ढांचे की स्थापना करते हुए भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (ट्राइफेड) और कॉर्पोरेट पावरहाउस आईटीसी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ एक अहम उपलब्धि हासिल की गई। इस पहल का उद्देश्य आदिवासी किसानों और आपूर्तिकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए इन दोनों संस्थाओं की ताकत का लाभ उठाना है, खासकर उन राज्यों में जहां हल्दी की खेती प्रचलित है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान और आजीविका में सुधार का वादा किया जा सके। आदिवासी महिला उद्यमियों की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए इस कार्यक्रम में ट्राइफेड की मदद से वैश्विक बाजारों में उनकी उल्लेखनीय यात्रा को प्रदर्शित किया गया, जो उनके उत्पादों को बढ़ावा देने और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एजेंसी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
दिलचस्प चर्चाओं और नेटवर्किंग के अवसरों में 16 निगमों, 4 स्टार्टअप, 3 उद्योग परिसंघों, 1 खाद्य श्रृंखला रेस्तरां, 8 एसआईए/एसएनडी और 5 जैविक खाद्य डीलरों की सक्रिय भागीदारी देखी गई जो सीधे आदिवासी कारीगरों से जुड़े हुए हैं। इनका उद्देश्य उत्पादन क्षमताओं और खरीद संभावनाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए जनजातीय उत्पादों के लिए घरेलू और वैश्विक बाजारों को व्यापक बनाना है।
गुजरात के नर्मदा जिले से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी बीना तड़वी ने मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, नई दिल्ली में चल रहे “आदि महोत्सव” में आयोजित बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) बैठक के अपने अनुभव साझा किये ।
इसके अलावा, इस कार्यक्रम में 90 विक्रेताओं ने नेटवर्किंग प्रतिभागियों के माध्यम से पंजीकरण कराया, जिसमें मेटा प्रतिनिधियों ने व्यापार विस्तार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का लाभ उठाने पर मार्गदर्शन प्रदान किया। इसके अतिरिक्त, 20 विक्रेताओं को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) नेटवर्क पर सफलतापूर्वक शामिल किया गया, जो डिजिटल एकीकरण और बाजार पहुंच की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
लगभग 250 जनजातीय उद्यमियों के स्टालों वाली इस शानदार प्रदर्शनी ने पारंपरिक शिल्प कौशल को समकालीन नवाचार के साथ मिश्रित करते हुए उत्पादों की विविध श्रृंखला से उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बी2बी कार्यक्रम ने नए सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा दिया है, जिससे आदिवासी उत्पादकों और कारीगरों के लिए शुद्ध, प्राकृतिक और जैविक उत्पादों को बाजार में उतारने का मार्ग प्रशस्त हुआ है जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, जीवन शैली को बढ़ाते हैं और टिकाऊ कृषि तरीकों को आगे बढ़ाते हैं।
इस सभा में जनजातीय कार्य मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. नवल जीत कपूर; संयुक्त सचिव श्री बीएन प्रसाद और ट्राइफेड के एमडी श्री टी. रौमुआन पाइते समेत मंत्रालय के कई वरिष्ठ
अधिकारी उपस्थित थे ।