सुप्रीम कोर्ट जाने की जगह हाइकोर्ट के डबल बैंच में अपील क्यों नहीं करते कैप्टन?
अगर सुरेश कुमार के केस में महंगे वकील लाकर केस जीता जा सकता है तो इस केस में क्यों नहीं?
क्या बादल तय करेंगे कि कोटकपुरा कांड केस की जांच कौन करेगा?
कैप्टन-बादल आपस में मिले हुए है, दोनों की मिलीभगत के कारण एसआइटी रिपोर्ट का ये हाल हुआ है
कैप्टन के महाधिवक्ता अतुल नंदा ने जानबूझ कर केस कमजोर किया, अब तक के सबसे खराब एजी साबित हुए है, पंजाब के एक भी मामले को कोर्ट में जीतने में कामयाब नहीं हो सके
आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सभी मामलों की फिर से होगी जाँच और पंजाब के लोगों को न्याय मिलेगा।
चंडीगढ़, 11 अप्रैल, 2021
हाईकोर्ट द्वारा 2015 के कोटकपूरा गोलीकांड की जांच के लिए पंजाब सरकार द्वारा कुंवर विजय प्रताप के नेतृत्व में बनाई गई एसआईटी की जांच रिपोर्ट खारिज कर एक नयी एसआईटी का गठन करने के आदेश देने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने कहा कि यह हाईकोर्ट का फैसला कम लगता है, यह कैप्टन और बादल के आपसी मेलजोल का फैसला ज्यादा लगता है। रविवार को पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए मान ने बादल और कैप्टन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि बादल ने अपनी सरकार के आखिरी समय में कैप्टन के सारे केस वापस लिए थे। अब कैप्टन अपनी सरकार के अंतिम साल में बादलों के केस वापस ले रहे हैं। दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि कैप्टन के केस में गवाह मुकरा था, बादल के केस में वकील मुकर गया।
मान ने कैप्टन सरकार पर कमजोर वकील रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि इतने बड़े मामले में एक बड़ा वकील नहीं रखना कैप्टन सरकार की सुनियोजित साजिश थी। उन्होंने कहा कि रिटायर्ड आइएस सुरेश कुमार की नियुक्ति के मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तुरंत फ्लाइट से बुलाकर पी चिदंबरम को हाइकोर्ट की डबल बेंच में अपना वकील बनाया था। मुख्तार अंसारी के मामले में भी कैप्टन सरकार ने कई वरिष्ठ और महंगे वकीलों को कोर्ट में खड़ा किया। लेकिन पंजाब का इतना बड़ा मामला होने के बावजूद कैप्टन सरकार ने एक भी बड़ा वकील नहीं रखा। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार को जब कोई केस जीतना होता होता है तो वे बड़े-बड़े वकील रखते हैं, लेकिन जब कोई केस हारना होता है तो वे अतुल नंदा को मामला सौंप देते हैं। अतुल नंदा ने आज तक पंजाब का एक भी मामला नहीं जीता है। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि अगर सरकार सच में इस मामले के पीड़ित लोगों को न्याय दिलाना चाहती है और आरोपियों को सजा दिलाना चाहती है, तो कोर्ट में अच्छे और बड़े वकील को अपनी तरफ से खड़ा करे।
मान ने पंजाब सरकार के महाअधिवक्ता अतुल नंदा पर आरोप लगाते हुए कहा की एजी ने जानबूझ कर इस केस को कोर्ट में कमजोर किया। कैप्टन सरकार के महाधिवक्ता, जिनके पास 150 अधिवक्ताओं की एक बहुत बड़ी टीम है, लेकिन वे आज तक पंजाब सरकार का एक भी केस जीत पाए हैं। उन्होंने कहा कि एसआइटी चीफ कुंवर प्रताप एक अच्छे और इमानदार पुलिस अधिकारी हैं। उन्होंने बहुत इमानदारी से जांच की और रिपोर्ट तैयार की, लेकिन एसआइटी रिपोर्ट में सुखबीर बादल का नाम आ रहा था इसीलिए कैप्टन सरकार के एजी नंदा ने इस मामले को कोर्ट के सामने अच्छी तरह से पेश नहीं किया। क्योंकि कैप्टन बादल को बचाना चाहते हैं। कैप्टन-बादल ने मिलकर रिपोर्ट को खारिज करवाया है।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर बेअदबी मामले और कोटकपुरा मामले के शाजिशकर्ता को बचाने बचाने की कोशिश कर रहे हैं। पूरे पंजाब को पता है कि बेअदबी कांड के पीछे किसका हाथ था। तो फिर कैप्टन सरकार बादल को कयों बचाना चाहती है? उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की जगह हाइकोर्ट की डबल बैंच के पास क्यों नहीं जाती? सरकार सुप्रीम कोर्ट का बहाना लगाकर मामले के आरोपियों को बचाने की नीयत से इसे टालना चाहती है। उन्होंने कहा कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट खारिज होने से कैप्टन की नीयत का पर्दाफाश हुआ है