अधिक कोयला उत्पादन के लिये प्रयास जारी
फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजना के तहत खानों से गंतव्य तक कोयले की निर्बाध आपूर्ति में सुविधा होती है। कम से कम मानव हस्तक्षेप के साथ कंप्यूटरीकृत तरीके से रेलवे रैक में कोयला लदान होता है, यातायात जाम और सड़क दुर्घटनाओं से निजात मिलती है और साथ ही कोयला खान परियोजनाओं के आसपास स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव में भी कमी आती है।
राजस्थान में किसी भी एफएमसी परियोजना का क्रियान्वयन नहीं किया गया और न ही किया जा रहा है।
अखिल भारतीय स्तर पर 2023-24 के लिये कोयला उत्पादन लक्ष्य 1012.14 मिलियन टन तय किया गया है।
सरकार ने घरेलू कोयला मांग पूरी करने के लिये कोयला उत्पादन बढ़ाने के वास्ते निम्नलिखित कदम उठाये हैं-
(1) नई कोयला खान परियोजनायें शुरू की गईं और मौजूदा परियोजनाओं का विस्तार किया गया।
(2) कोयला ब्लाक विकास कार्य में तेजी लाने को कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित रूप से समीक्षा की जाती है।
(3) खान और खनिज (विकास और नियमन) संशोधन अधिनियम 2021 पारित किया गया। इसमें निजी खान मालिकों को (परमाणु खनिजों को छोड़कर) उनके वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने की अनुमति हैं लेकिन ऐसा वह केन्द्र सरकार द्वारा उल्लिखित तरीके से उस अतिरिक्त राशि का भुगतान करने पर खान से जुड़े अंतिम उपयोग संयंत्र की जरूरत पूरा करने के बाद ही कर सकते हैं।
(4) कोयला खान परिचालन में तेजी लाने को कोयला क्षेत्र के लिये एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल सुविधा।
(5) कोयला खानों में कामकाज जल्द शुरू हो इसके लिये विभिन्न मंजूरियां/अनुमतियां लेने में कोयला ब्लाक आवंटी की मदद को परियोजना निगरानी इकाई शुरू की गई।
(6) राजस्व हिस्सेदारी प्रक्रिया के तहत वाणिज्यिक खनन के लिये कोयला ब्लॉक की नीलामी 18.06.2020 को शुरू की गई। वाणिज्यिक कोयला खनन के लिये नियम शर्तें उदार रखी गईं हैं। इसमें कोयले के इस्तेमाल को लेकर कोई प्रतिबंध नही है, बोली प्रक्रिया में नई कंपनियों को अनुमति, पेशगी राशि कम रखी गई है, मासिक भुगतान में पहले दी गई राशि का समायोजन, कोयला खान परिचालन जल्द शुरू करने के लिये लचीलापन को बढ़ावा देते हुये उदार क्षमता मानदंड, पारदर्शी बोली प्रक्रिया, आटोमेटिक मार्ग के जरिये शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और राष्ट्रीय कोयला सूचकांक पर आधारित राजस्व हिस्सेदारी मॉडल रखा गया है।
(7) वाणिज्यिक खनन योजना के तहत उत्पादन की तय तिथि से पहले उत्पादन किये गये कोयले की मात्रा की अंतिम पेशकश पर 50 प्रतिशत छूट की अनुमति होगी। इसके अलावा कोयले के गैसीकरण अथवा द्रवीकरण मामले में जल्द उत्पादन शुरू करने के लिये (अंतिम पेशकश पर 50 प्रतिशत छूट) प्रोत्साहन दिया जायेगा। ऊपर उल्लिखित उपायों के अलावा कोयला कंपनियों ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिये निम्न कदम भी उठाये हैं।
(1) कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने पर्यावरण मंजूरी/वन मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी)/एसआईएलओ, रेल प्रोजैक्ट आदि यंत्रीकृत लदान जैसी कोयला उठाव सुविधाओं सहित तमाम जरूरी संसाधनों को पूरा करने के लिये उनकी पहचान और कार्रवाई शुरू की है ताकि परियोजनायें उसकी एक बिलियन टन (बीटी) उत्पादन योजना में योगदान करने में सक्षम हो सकें।
(2) सिंगरेनी कोयलरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने 2023-24 में उत्पादन मौजूदा 67 मिलियन टन से बढ़ाकर 70 मिलियन टन करने की योजना बनाई है। नई परियोजनाओं को जमीन पर उतारने और मौजूदा परियोजनाओं में परिचालन शुरू करने के लिये नियमित तौर पर संपर्क किया जा रहा है। कोयले को खान से उसके गंतव्य तक पहुंचाने के लिये सीएचपी, क्रशर्स, मोबाइल क्रशर्स, प्रि-वेग-बिंस आदि बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिये एससीसीएल ने कार्रवाई शुरू की है।
यह जानकारी केन्द्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।