यूसोल द्वारा अपने स्वर्ण-जयन्ती समारोहों की श्रृंखला में आज तिथि 29 मई को ‘कोविड–19 पर लिंग-संवेदी अनुक्रिया : सर्वोत्तम कार्य पद्धतियाँ’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कनाडा और इंडोनेशिया से जुड़े वक्ताओं ने अपने-अपने देशों के सन्दर्भ में सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों को श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत किया। वेबिनार की शुरुआत पंजाब यूनिवर्सिटी के ‘कुलगान’ के साथ हुई।
पंजाब यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार जी ने वक्ताओं का स्वागत करते हुए इस कोरोना-काल में ऐसे वेबिनारों की महत्ता को स्पष्ट किया तथा कहा कि ये वेबिनार तथा ऐसे प्रासंगिक विषय विद्यार्थियों को प्रेरित-प्रोत्साहित करेंगे तथा माहौल में फ़ैली निराशा को दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि आज की बदलती परिस्थितियों में डिजिटल और ऑनलाइन माध्यमों से होने वाले ये वेबिनार दूर-दूर के वक्ताओं के साथ जुड़ने तथा उनके विचारों से लाभ उठाने में बहुत सहायक हैं।
यूसोल की विभागाध्यक्षा प्रो. मधुरिमा वर्मा ने यूसोल के इतिहास का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि यूसोल अपनी स्थापना की स्वर्ण-जयन्ती मना रहा है और इन्ही आयोजनों की कड़ी में आज का यह वेबिनर आयोजित किया जा रहा है। प्रो. मधुरिमा वर्मा ने आमंत्रित वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय दिया तथा सभी प्रतिभागियों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
वेबिनार की पहली वक्ता थीं इंडोनेशिया की एरलंगा यूनिवर्सिटी की क़ानून की प्रोफेसर डॉ अमीरा परिपूर्णा। पावर-पॉइंट प्रस्तुति के द्वारा उन्होंने कोविड के इस संकट-काल में अपने देश की लिंग-संवेदी नीतियों के विषय में बताया तथा स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों में किये जा रहे प्रयासों को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि कोरना-काल में घरेलू हिंसा एक प्रमुख समस्या रही है और इससे निपटने के लिए उनके देश में ‘सामुदायिक सहयोग’ बहुत कारगर सिद्ध हो रहा है।
अगले वक्ता थे – कनाडा के ‘क्राउन प्रोसीक्यूटर काउंसल’ श्री सेबेस्टीन लाफ्रांस। उन्होंने कनाडा के सन्दर्भ में अपनी बात रखी तथा कहा कि घरेलू हिंसा यहाँ की भी समस्या है मगर कनाडा में इस हिंसा से निपटने के लिए जो नीतियां बनायी गयी हैं, उनका अनुपालन एशिया की तुलना में बहुत कारगर ढंग से होता है। लैंगिक सुरक्षा की दृष्टि से कनाडा द्वारा किये जा रहे प्रयासों की उन्होंने सराहना की।
पंजाब यूनिवर्सिटी की क़ानून की प्रोफेसर डॉ श्रुति बेदी ने भारत द्वारा कोविड-काल में किये गए लिंग-संवेदी प्रयासों को बड़े सरल-रोचक ढंग से श्रोताओं के सामने रखा। उन्होंने केरल और उडीसा में किये गए प्रयासों को विशेष रूप से रेखांकित करने के साथ-साथ गुरुद्वारों द्वारा किये गए प्रयासों की भी प्रशंसा की।
वेबिनार का कुशल सञ्चालन इस वेबिनर की ‘आयोजन-सचिव’ प्रोफेसर श्रुति बेदी द्वारा ही किया गया। डॉ. रविंदर कौर द्वारा किये गए धन्यवाद-ज्ञापन के साथ यह वेबिनार संपन्न हुआ।