ग्रामीण डिस्पेंसरियों में अनैतिक कब्जा क्यों नहीं छोड़ रहा पंचायती विभाग: आप
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर आप ने चौंकाने वाले आंकड़ोंं के साथ सरकार को घेरा
निजी स्वास्थ्य माफिया के लिए बादलों तथा कैप्टन ने तबाह की सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली
चंडीगढ़, 17 सितंबर 2021
आम आदमी पार्टी आप (पंजाब) ने आंकड़ों व तथ्यों के आधार पर दावा किया है कि पिछली बादल सरकार की तरह सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने भी सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली को सोची समझी साजिश के तहत बबार्द कर दिया है। जिसका सबसे बड़ा खामियाजा राज्य के गावों में रहने वाली जनता को भुगतना पड़ रहा है,क्यों कि ग्रामीण क्षेत्रों तथा दूर दराज के इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। पंजाब के जनता को निजी सेहत माफिया के हाथों लूटने के लिए छोड़ दिया है।
और पढ़े :-आम आदमी पार्टी ने आंदोलन के शहीद किसानों के लिए पंजाब भर में निकाला कैंडल मार्च
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आप के वरिष्ठ नेता तथा नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि 1980 तक पंजाब की स्वास्थ्य सेवा पूरे देश में पहले नंबर पर थी लेकिन बदकिस्मती से आज पंजाब कई पैमानों में बिहार से भी पिछड़ चुका है।
चीमा ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के पीछे कांग्रेस कैप्टन तथा बादल भाजपा सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं,क्योंकि इन तीनों पार्टियों ने निजी स्वास्थ्य माफिया को खुश करने के लिए प्रदेश की बेहतरीन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को सोची समझी साजिश के तहत बर्बाद किया है। हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि वर्ष 1980 में डॉक्टरों के 4400 स्वीकृत पद थे और सभी भरे हुए थे, अब 2021 में यह 4400 ही हैं, लेकिन इनमें से 1000 पद खाली हैं। जिनमें स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 516 पद हैं , जिन्हें पिछली अकाली भाजपा सरकार ने बढ़ाने की बजाय पूरी तरह खत्म कर दिया था। इसलिए आज भी किसी सामुदायिक सेहत केंद्र में एक भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है,जबकि नियमों के अनुसार 4 स्पेशलिस्ट डॉक्टर होने चाहिए थे।
उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2006 में कैप्टन सरकार की ओर से 1186 ग्रामीण डिस्पेंसरियों को ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के आधीन करने का निर्णय पंजाब की ग्रामीण आबादी को महंगा पड़ा है। वहीं कैप्टन सरकार के इस घातक फैसले को 2007 से 2017 तक पंजाब में राज करने वाली शिअद-भाजपा की सरकार ने भी इस फैसले को जस का तस रखते हुए ग्रामीण डिस्पेंसरियों को स्वास्थ्य विभाग के अधीन नहीं किया जिस कारण भ्रष्टाचार चरम पर है।
“आप” ने मांग की है कि ग्रामीण डिस्पेंसरियों को तुरंत स्वास्थ्य विभाग के अधीन किया जाए नहीं तो आम आदमी पार्टी लोगों के हितों के लिए आंदोलन करेगी।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के पदों को भरने का ड्रामा तो कर रही है लेकिन उन्हें भरना नहीं चाहती। जो विज्ञापन जारी किया है उसमें कम वेतन के चलते आवेदन नहीं कर रहा,क्योंकि स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनने के लिए करोड़ों रुपए फीस अदा करनी पड़ती है। चीमा ने पूछा कि स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का 1989 में अलग कैडर बनाने संबंधी जारी अधिसूचना आज तक लागू क्यों नहीं की गई?
विधायक चीमा ने बताया कि पंजाब के करीब 125 सरकारी अस्पतालों में इंडोर नर्सों के 3000 स्वीकृत पद हैं, जिनमें 1000 खाली हैं। फार्मासिस्टों के 3000 पदों में 1600 पद खाली हैं। पुरुष वर्करों की 2800 पदों में करीब 2150 पद ही खाली हैं। यही हाल सफाई तथा अन्य स्टाफ का भी है। केवल फील्ड में तैनात एमपीडब्लयू महिला वर्करों की संख्या 4500 संतोषजनक है जो 2900 सब सेंटरों पर तैनात हैं।
चीमा ने कहा कि वर्ष 1980 में प्रति दस हजार लोगों की आबादी के लिए एक ग्रामीण डिस्पेंसरी थी लेकिन आज यह अनुपात 15000 की आबादी तक पहुंच गया है। ग्रामीण 1186 डिस्पेंरसरियों में फार्मासिस्टों और दर्जा चार कर्मचारियों के एक-एक पद स्वीकृत हैं। इनमें डॉक्टरों के सीधा एक तिहाई (400) पद खाली पड़े हैं। जबकि फार्मासिस्ट तो 50 प्रतिशत से भी कम हैं। आम ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप है तथा साधारण दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि 412 प्राइमरी हेल्थ सेंटरों (पीएचसी) की आज गिनती 700 होनी चाहिए थी,जिनमें 2 डॉक्टर, 4 नर्स, चपरासी, सफाई कर्मी और अन्य कर्मचारी होने चाहिए,क्योंकि इन केंद्रों को सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे सेवाएं देनी होती हैं। आज पंजाब में एक भी (पीएचसी) 24 घंटे सेवाएं नहीं दे रहा है। राज्य के पीएचसी केवल 30 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ कागज पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। यह महज रेफरेंस केंद्र बने हुए हैं वो भी दिन के वक्त।
इसी तरह तहसील स्तर के 44 अस्पताल ऐसे हैं जहां 20 फीसदी डॉक्टरों के अलावा दवाओं और अन्य उपकरणों की भारी कमी है। तहसीलों की वर्तमान संख्या के मुताबिक 50 50 बेडों के 90 अस्पताल होने चाहिए थे।
चीमा ने आरोप लगाया कि राज्य भर में सेवाएं दे रही करीब 25000 आशा वर्करों का स्वयं सरकार ही आर्थिक शोषण कर रही है और उन्हें अकुशल कामों (10605 रुपए मासिक) से भी कई गुना मानदेय देती है जो कि शर्म की बात है। चीमा ने दावा किया कि 2022 में आप की सरकार बनने के बाद पंजाब में केजरीवाल सरकार की तर्ज पर सेवाएं दी जाएंगी।