दिमाग की नस फटना अकाल मृत्यु व विकलांगता का बड़ा कारण: डा. गौरव जैन
भारत में हर वर्ष दिमागी नसों की बीमारी के डेढ़ से दो लाख नए केस सामने आते हैं: डा. अमनदीप सिंह
यदि जल्द पता लग जाए तो दिमागी नसों की बीमारी या स्ट्रोक का इलाज संभव है: डा. मनीष बुद्धिराजा
चंडीगढ़, 7 अक्तूबर 2021
अल्केमिस्ट अस्पताल के दिमाग की नसों, दिमागी नसों में खून का कलॉट आने जैसी बीमारियों से संबंधित डाक्टरों की टीम ने दिमागी नसों के रोगों के बारे जागरूकता पैदा करने के लिए मीडिया को संबोधित किया। अल्केमिस्ट की टीम में इंटरवैंशनल न्यूरोडियोलॉजी के कंस्लटेंट डा. अमनदीप सिंह, न्यूरो सर्जरी के माहिर डा. मनीष बुद्धिराजा तथा न्यूरोलॉजी के कंस्लटेंट डा. गौरव जैन शामिल थे।
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देश में इंटरवैंशनल न्यूरो सर्जरी के 100 से भी कम सर्जन हैं। उत्तरी भारत में अलकैमिस्ट अस्पताल एकमात्र ऐसा अस्पताल है, जहां न्यूरो साइंस के डाक्टरों की पूरी टीम है।
डा. गौरव जैन ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) दो तरह का होता है। इन किस्मों को इशैमिक तथा हिमैरजिक कहा जाता है। इशैमिक दौरे का मतलब है कि जब नसों में खून का कलॉट आने के कारण दिमाग के एक हिस्से को रक्त की सप्लाई बंद हो जाती है। इस वर्ष दिमाग के नाड़ी तंत्र का नुकसान हो जाता है। यह बिल्कुल दिल के दौरे की तरह है। इसको ब्रेन अटैक भी कहा जाता है। दूसरी किस्म हिमैरजिक में नसें फटने से दिमाग में खून बह जाता है। उन्होंने बताया कि अल्केमिस्ट अस्पताल में नई तकनीक थ्रोमबैकटोमी से इसका सफल इलाज किया जाता है।