दिल्ली, 21 मार्च 2025
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम (आईवाईईपी) के तहत 22 से 28 मार्च 2025 तक भारत में तीसरे मध्य एशियाई युवा प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करने जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य भारत और मध्य एशियाई देशों – कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच युवा सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना तथा राजनयिक संबंधों को मज़बूत करना है।
यह कार्यक्रम जनवरी 2022 में आयोजित भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान निर्धारित विज़न के अनुरूप है, जहां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्षेत्र के युवा नेताओं के बीच आपसी समझ बढ़ाने के लिए एक वार्षिक युवा आदान-प्रदान पहल का प्रस्ताव रखा था। 100 सदस्यों वाला यह प्रतिनिधिमंडल विविध गतिविधियों में शामिल होगा और स्थानीय युवा नेताओं तथा प्रमुख हितधारकों के साथ बातचीत करते हुए भारत के ऐतिहासिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों पर विचार-विमर्श करेगा।
यात्रा की मुख्य बातें:
- सांस्कृतिक एवं विरासत विसर्जन: भारत की स्थापत्य कला एवं ऐतिहासिक विरासत का अनुभव करने के लिए ताजमहल, आगरा किला, हुमायूं का मकबरा और गोवा के विरासत स्थलों की यात्रा।
- शैक्षणिक और आर्थिक सहभागिता: आईआईटी दिल्ली में छात्रों और संकाय के साथ बातचीत और प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और उद्यमिता में भारत की प्रगति का पता लगाने के लिए गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई)/गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का दौरा।
- युवा नेटवर्किंग और स्वयंसेवा: युवा सशक्तिकरण, नेतृत्व और नवाचार पर चर्चा करने के लिए माय भाररत स्वयंसेवकों के साथ सहभागिता।
- उच्च स्तरीय राजनयिक संपर्क: विदेश मंत्री, गोवा के मुख्यमंत्री और गोवा के राज्यपाल के साथ मुलाकात का आयोजन किया जाएगा, जिसमें युवा कूटनीति के महत्व पर विचार विमर्श होगा।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं भव्य रात्रिभोज: प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में एक गोलमेज सम्मेलन और भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रतिनिधि अपने देशों के युवाओं के साथ जुड़ने के लिए अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में बताएंगे।
यह यात्रा भविष्य में सहकार्य के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी, जिससे अंतर-सांस्कृतिक समझ, नेतृत्व विकास और प्रमुख क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। यह युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम मध्य एशिया के साथ क्षेत्रीय शांति, मित्रता और आर्थिक साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सद्भावना के बंधन निरंतर बढ़ते रहेंगे।