पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित ने 250 कलाकारों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के योगदान को दर्शाती 450 मीटर स्क्रॉल पेंटिंग बनाई।
राज्यपाल ने छात्रों को डॉ. अब्दुल कलाम को अपना आदर्श बनाने के लिये प्रेरित किया!
राज्यपाल ने कहा कि आजादी के परवानो का भारत अभी हम सबकों मिल कर बनाना है और भारत को विश्व गुरु बनाने का संकल्प पूरा करना है।
राजपुरा, 2 जनवरी 2021
पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित ने मुख्य अतिथि के रूप में आज चितकारा विश्वविद्यालय का दौरा किया और 250 कलाकारों द्वारा तैयार की गई विशाल और शानदार स्क्रॉल पेंटिंग का अवलोकन किया, जिसमें विभिन्न राज्यों के गुमनाम नायकों के जीवन, रेखाचित्र और योगदान को दर्शाया गया है। कार्यशाला- ‘ ‘ कला कुंभ ‘ का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और एनजीएमए (नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट) नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से किया गया ।
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श्री पुरोहित ने सभी कलाकारों से बात की और उनकी कला के काम के बारे में जिज्ञासा प्रकट की जो कि 450 मीटर लंबाई और 3 मीटर ऊंचाई की है । इसमें लद्दाख, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों के स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां हैं। कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात और राजस्थान के महानायकों की गाथाएं भी दर्शाई गईं हैं।। इन राज्यों की कला, संस्कृति, साहित्य, जीवन शैली और लोकप्रिय स्थानों को भी चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है जिसे 26 जनवरी को राजपथ पर प्रदर्शित किया जाएगा और इसका उद्घाटन प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
श्री बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि कलाकारों ने अपने गुरुओं के कुशल मार्गदर्शन में बहुत अच्छा काम किया है और उन स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों के बारे में चित्र बनाएं हैं जो अधिक लोगों को ज्ञात नहीं हैं लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान बहुत बड़ा था। उन्होंने कहा कि आजादी के परवानो का भारत अभी हम सबकों मिल कर बनाना है और भारत को विश्व गुरु बनाने का संकल्प पूरा करना है। उन्होंने कहा कि इस विशाल पेंटिंग का दर्शकों पर लंबे समय तक प्रभाव रहेगा और सभी नागरिकों को हमारे देशभक्तों की जीवनी के बारे में अनोखे और कलात्मक तरीके से पता चलेगा।
9 दिवसीय कार्यशाला- कला कुंभ के समापन दिवस पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए पंजाब के राज्यपाल ने सभी आयोजकों को उनकी पहल के लिए सराहना की और बधाई भी दी और कहा कि यह भारत की विविधता में एकता का एक उदाहरण है जहां हजारों वर्षों से कला के कई रूप प्रचलित हैं और यहां ‘गुरु शिष्य परम्परा’ में सीखने और ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने की एक महान शैली है। श्री पुरोहित ने एनसीसी कैडेटों की भी सराहना की जो इस स्क्रॉल पेंटिंग कार्यशाला का हिस्सा थे और कहा कि राष्ट्र के लिए प्रेम और गौरव सबसे महत्वपूर्ण है और हमें अपने देश के इतिहास को जानना चाहिए कि अंग्रेजों के साथ लंबी लड़ाई के बाद हमने स्वतंत्रता कैसे प्राप्त की। राज्यपाल ने छात्रों को डॉ. अब्दुल कलाम को अपना आदर्श बनाने के लिये प्रेरित किया!
इस अवसर पर चितकारा यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ अशोक चितकारा, प्रो चांसलर डॉ मधु चितकारा भी मौजूद थे.
एनजीएमए के महानिदेशक श्री अद्वैत गरनायक ने कला कुंभ की अवधारणा और परिणाम प्रस्तुत किया और कहा कि 250 कलाकारों द्वारा किया गया अभूतपूर्व काम है जिन्होंने दिन-रात काम किया और 9 दिनों तक इस कार्यशाला में भाग लेकर वे न केवल एक-दूसरे के करीब आए हैं और उन्हें सीखने का अनुभव भी मिला है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के स्वतंत्रता सेनानियों की ताकत को एक कैनवास में दिखाने के मूल विचार से जुड़े रह कर विचारों का आदान-प्रदान किया और पेंटिंग की अपनी शैली का प्रदर्शन किया । उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन के बाद 26 जनवरी को स्क्रॉल पेंटिंग व्यापक दर्शकों के लिए खुली रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।
चितकारा विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अर्चना मंत्री ने कहा कि कला कुंभ ने उत्तर भारत क्षेत्र के लोगों को इतने बड़े पैमाने पर की जा रही विशाल कला को देखने का एक बड़ा अवसर दिया है जहां चित्रकारों ने अपनी रचनात्मक स्वतंत्रता व्यक्त की और कला की विशिष्ट शैलियों का प्रतिनिधित्व भी किया जो कि विशेष रूप से समकालीन और पारंपरिक रूप से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि फड़, भील, मंदाना, कांगड़ा, वोरली, थंगा, पीछवई, कलमकारी सबसे अधिक आकर्षित पारंपरिक रूप थे जबकि ब्रश, स्ट्रोक और रंगों के उपयोग के माध्यम से समकालीन पेंटिंग के जरिए राज्यों को दिखाया है कि कलाकार किस जगह से संबंधित हैं।
चितकारा विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर डॉ मधु चितकारा ने धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए कहा कि स्क्रॉल पेंटिंग की एक विशेषता यह है कि नंद लाल बोस और उनके शिष्यों द्वारा हमारे संविधान में तैयार किए गए चित्रों को भी सभी कैनवास के शीर्ष पर चित्रित किया गया है जो एक सूत्र में पिरोती है और निरंतरता तथा हमारे देश की गणतंत्र प्रकृति को दर्शाती है जो दुनिया में सबसे बड़ी है और जिस पर पूरा देश गर्व करता है।
लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति के साथ ‘कला कुंभ’ का समापन हुआ।