केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा बन गई
कहा कि केजरीवाल पिछले छह सालों में एक भी नया अस्पताल बनाने में नाकाम रहे
कहा कि दिल्ली में कोविड के कारण 25 हजार लौगों की मौत हो गई, यहां तक कि अदालत ने भी केजरीवाल को कोविड के इलाज के कुप्रबंधन के लिए फटकार लगाई
चरणजीत सिंह चन्नी उसी व्यवस्था का हिस्सा थे, जो पंजाबियों को हर क्षेत्र में विफल कर चुकी
पूर्व सांसद वरिंदर सिंह बाजवा का शिरोमणी अकाली दल में दोबारा स्वागत किया
‘‘ दिल्ली केजरीवाल के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा बन गई। केजरीवाल के कार्यकाल में स्वास्थ्य ढ़ांचे का पतन हुआ है, और जब वह कुछ भी करने में विफल रहे हैं तो झूठ बोल रहे तथा झूठे वादे करके पंजाबियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं’’।
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शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने पूर्व सांसद वरिंदर सिंह बाजवा का कांग्रेस पार्टी से वापिस आने पर स्वागत किया तथा पत्रकारों कां संबोधित किया। श्री बाजवा और उनकी पूरी टीम का पार्टी में स्वागत करते हुए उन्होने उनकी पार्टी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष की नियुक्ति की भी घोषणा की।
इससे पहले लुधियाना में दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा की गई ‘दूसरी गारंटी ’ के बारे में बोलते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद हैरानी वाली बात है कि श्री केजरीवाल जो अकाली दल द्वारा जिसकी पहले ही तीन अगस्त को घोषणा की जा चुकी है , उसी को हिंदी में दोहरा रहे हैं। सरदार बादल ने कहा कि केजरीवाल द्वारा की गई घोषणाओं और अकाली दल द्वारा की गई घोषणाओं में बहुत अंतर है। ‘‘ हमारा अपने वादे पूरे करने का ट्रैक रिकाॅर्ड है। हमने एम्स, पीजीआईएमएस, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आॅफ हेल्थ साइंसेज की स्थापना की और अपने कार्यकाल के दौरान पंजाब में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए, जबकि केजरीवाल ने एक भी काम नही किया’’।
आरटीआई के तहत मांगी जानकारी का हवाला देते हुए सरदार बादल ने कहा कि दिल्ली की आप सरकार ने 2015-2019 से एक भी नया अस्पताल नही खोला है। उन्होने कहा कि इसी समय सीमा के दौरान मौजूदा अस्पतालों में एक भी नया बेड नही जोडा गया। सरदार बादल ने कहा कि सिर्फ इतना ही नही , ‘‘ दिल्ली सरकार ने 2019 में आधिकारिक तौर पर उच्च न्यायालय में स्वीकार किया कि 35 सरकारी अस्पताल मानवीय शक्ति के साथ जर्जर अवस्था में थे। यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने अस्पतालों की दयनीय स्थिति और कोविड उपचार के कुप्रबधंन के लिए जून 2020 में दिल्ली सरकार पर फटकार लगाई थी। राज्य में 25000 कोविड से मौतें हुई थी। राज्य में महामारी के दौरान 103 से अधिक डाॅक्टरों की मृत्यु हो गई’’।
दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र का इतना खराब ट्रैक रिकाॅर्ड होन पर केजरीवाल पंजाबियों को स्वास्थ्य क्षेत्र की गांरटी कैसे दे सकते हैं। इस पर हैरानी जताते हुए सरदार बादल ने कहा,‘‘ केजरीवाल पंजाब में 16000 गांव मोहल्ला क्लीनिक माॅडल के साथ पंजाबियों को मुर्ख बनाने की कोशिश कर रहे है। मैं बताना चाहता हूं कि केजरीवाल ने दिल्ली में 1000 मोहल्ला क्लीनिक का वादा किया था। लेकिन पिछले छह साल में सिर्फ 480 क्लीनिक ही खोले। इनमें से 270 मार्च 2020 से बंद पड़े हुए हैं’’।
केजरीवाल द्वारा दी गई ‘‘गांरटी ’’ का उपहास करते हुए सरदार बादल ने उनसे पूछा कि क्या आपने कहा है कि अगर आप अपने द्वारा किए जा रहे वादों को पूरा नही करते हैं तो आप राजनीति छोड़ देंगें? उन्होने कहा कि जब केजरीवाल सरकार कोविड मरीजों को आॅक्सीजन मुहैया नही करा पा रही थी तो दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) को लोगों के बचाव के लिए आगे आना पड़ा। ‘‘आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह द्वारा इलाज कराने के लिए विनती जैसी घटनाएं, जिसके कारण उनकी मौत हुई थी, आज भी लोगों के दिमाग में ताजा हैं’’।
पंजाब कांग्रेस में चल रही सर्कस के बारे में पूछे जाने पर अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा। उन्होने कहा कि पार्टी में असली मुददा शीर्ष पद के लिए लड़ाई का है। उन्होने कहा ‘ यह स्पष्ट है कि नवजोत सिद्धू रबड़ के मोहरे के रूप में मुख्यमंत्री चाहते थे और जब श्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ऐसा नही किया तो उन्होने आवेश में आकर इस्तीफा दे दिया’’।
सरदार बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी उसी व्यवस्था का हिस्सा थे, जो समाज के हर वर्ग को विफल कर चुकी है। ‘‘ पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे इसीलिए नाकाम होने के लिए वे भी उतने ही जिम्मेदार हैं। यह भी सही है कि चन्नी ने कभी भी एस.सी छात्रवृत्ति घोटालों के खिलाफ कभी भी आवाज नही उठाई और अब भी पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर रहे , जो अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति न देने के लिए जिम्मेदार थे।
इस अवसर पर सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया और डाॅ. दलजीत सिंह चीमा भी मौजूद थे।