साल 2019 में भारत में जीव जंतुओं की लगभग 368 प्रजातियों की खोज हुई। करीब 116 अज्ञात जीवों को आज तक पहली बार देखा गया है । बीतें 10 सालों में ये दूसरी बड़ी जीत है । इससे पहले 2018 में जंतुओं की 372 नईप्रजातियों की खोज हुई थी। पिछले 10 साल में भारत में कुल 2,444 अज्ञात प्रजातियों की खोज हुई है। करीब 10 वर्ष पहले 2010 में भारत में सबसेकाम जीवों की खोज हुई थी लेकिन इसी वर्ष दुनिया में पहले से पाए जानेवाले लगभग 257 जंतुओं को पहली बार देखा गया था । सभी नए जंतुओं काचित्र व उसकी पूरी जानकारी को जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया(जेडएसआई) ने ‘एनिमल डिस्कवरीज-2019 : न्यू स्पीशिज एंड न्यू रिकॉर्ड‘ मेंप्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट को पर्यावरण मंत्रालय जल्द जारी करेगा।जेडएसआई के निदेशक कैलाश चंद्र ने बताया कि इस बार एनिमलडिस्कवरी-2019 में निमेसपिस जाति की आठ छिपकलियां खोजी गईं।इनके नाम भी भारतीय खोजकर्ता वैज्ञानिकों और उस जगह के नाम पर रखेगए हैं, जहां इन्हें खोजा था। तमिलनाडु के सालेम में मिली छिपकली का नामवैज्ञानिक इशान अग्रवाल के नाम पर ‘अग्रवाली‘ व महाराष्ट्र के अंबा के पासमिली छिपकली का ‘अंबा‘ रखा गया है। तमिलनाडु के नीलगिरी में मिलीछिपकली का नाम विज्ञानी आनंदन सीतारमण के नाम पर ‘आनंदानी‘, सालेममें मिली छिपकली का नाम प्राकृतिक विज्ञान में अहम योगदान देने वालेतेजस ठाकरे के नाम पर ‘ठाकरे‘ रखा गया है। केरल के इडुक्की में मिलीछिपकली का नाम देश में बॉटनी में पहला डॉक्टरेट हासिल करने वालीजानकी अम्माल के सम्मान में ‘जानकी‘ और केरल के पट्टनमिथिट्टा मेंमिली मछली का नाम इलाके के प्रसिद्ध राजा ‘महाबली‘ के नाम पर रखागया। पिछले 10 वर्षो में कीट–पतंगों की सबसे अधिक 1726 किस्में खोजीगई। इसी दौरान कीट–पतंगों की सबसे अधिक 1726 प्रजातियां खोजी गई।कैलाश चंद्र के अनुसार , दुनियाभर में हर साल 15 से 18 हजार नईप्रजातियों की खोज व उनका वर्गीकरण हो पाता है। इन प्रजातियों की खोजव वर्णन के लिए डीएनए बारकोडिंग, जीनोम सीक्वेंसिंग, एक्सरे जैसीआधुनिक तकनीकों को उपयोग किया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभीभी धरती पर मौजूद 10% वर्टिब्रेट्स (मेरुदंड वाले प्राणी), अर्ध आर्थ्रोपोड्स(कीट–पतंगे) और 90% प्रोटोजोअन्स (एक कोशिकीय प्राणी) की खोज वपहचान होना बाकी है।