‘रंधावा फोबिया’ का शिकार हुआ मजीठिया – सहकारिता मंत्री

सहकारिता मंत्री रंधावा ने अकाली नेता के दोषों को तथ्यों समेत सिरे से नकारा
एल.आई.सी. द्वारा 10 लाख रुपए के लिए 8000 रुपए और जी.एस.टी. अलग माँगा गया परन्तु मौजूदा समय 1977 रुपए प्रीमियम के साथ 25 लाख रुपए बीमा कवर किया
चार कंपनियों ने तकनीकी बोली में योग्य पाई गई थी
वित्तीय बोली में सिफऱ् एक ही कंपनी योग्य पाई गई
सहकारी अदारों के मुलाजि़म सरकारी मुलाजिमों में कवर नहीं होते
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना सिफऱ् स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए, वह भी तीन महीने के लिए
गो डिजीट आई.आर.डी.ए. द्वारा प्रवानित कम्पनी
चंडीगढ़, 1 जुलाई:
सहकारी अदारों के कर्मचारियों का बीमा करवाने हेतु एक कंपनी को प्राथमिकता देने के पूर्व अकाली मंत्री द्वारा लगाए दोषों को सिरे से नकारते हुये सहकारिता मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा कि इस नेता को ‘रंधावा फोबिया’ हो गया और उसे दिन -रात उसके सपने आते हैं। यहाँ तक कि कोरोना महामारी के आपात के दौरान कर्मचारियों के हित में किये कल्याण के फ़ैसले में भी अकाली अपनी निजी रंजिश निकालने के लिए बेबुनियाद दोष लगा कर राजनीति कर रहे हैं।
सहकारिता मंत्री ने तथ्यों समेत सभी दोषों का जवाब देते हुये सभी आंकड़े पेश करते हुये बताया कि एक ही कंपनी की तरफ से टैंडर देने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि चार कंपनियों ने बोली में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि सी.वी.सी. के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत आपात हालत में वाजिब अथॉरिटी की मंजूरी के साथ एकहरी बोली लग सकती है परन्तु फिर भी उनके विभाग की तरफ से कोरोना महामारी के आपात के बावजूद एकहरी बोली को पहल नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि बीमा कवर देने के केस में सिफऱ् एक ही कंपनी योग्य पाई गई। तकनीकी बोली के लिए चार कंपनियाँ योग्य पायी गई जिन्होंने पाँच कुटेशनें दीं। इनमें एक कंपनी एल.आई.सी. ने दो कुटेशनें दीं। जब वित्तीय बोली खोली गई तो केवल एक ही कंपनी गो डिजीट योग्य पाई गई।
स. रंधावा ने कहा कि बीमा कवर देने के लिए सरकारी बीमा कंपनियों को अनदेखा करने के लगाऐ दोष भी बेबुनियाद है क्योंकि एल.आई.सी. उन चार कंपनियों में से एक था जो कोई तकनीकी बोली के लिए योग्य पायी गई थीं। एल.आई.सी. की तरफ से सिफऱ् 10 लाख रुपए तक बीमा कवर देने का फ़ैसला किया था परंतु विभाग की तरफ से कर्मचारियों का 25 लाख रुपए तक का बीमा किया जाना था। उन्होंने कहा कि एल.आई.सी. ने 10 लाख रुपए बीमा कवर करने के लिए 8000 रुपए और जी.एस.टी. का प्रीमियम माँगा था जबकि जिस गो डिजीट कंपनी को यह बीमा दिया गया, उसकी तरफ से 25 लाख रुपए का बीमा कवर के लिए जी.एस.टी. समेत 1977 रुपए प्रीमियम लिया गया जोकि एल.आई.सी. की पेशकश से बहुत कम है। एल.आई.सी. यदि 10 लाख के अनुपात में ही 25 लाख रुपए का बीमा करती तो प्रीमियम राशि समेत जी.एस.टी. 23000 से कम नहीं होनी थी जोकि मौजूदा प्रीमियम राशि (1977) की अपेक्षा बहुत ज़्यादा बनती है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस समय यह बीमा किया गया उस समय पर कोरोना के मामलों की संख्या कम थी। उसके बाद जिस दर के साथ मामलों की संख्या बढ़ी है, बीमा प्रीमियम की राशि भी बढ़ जानी है। इसलिए सहकारिता विभाग की तरफ से सही समय पर कम प्रीमियम पर बीमा किया गया जिससे मुलाजिमों का जोखिम भी दूर हो गया।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि तीन प्रमुख अखबारों में टैंडर दिया था परन्तु अकाली नेता को इस बात पर ऐतराज़ है कि कोरोना महामारी के कारणलॉकडाऊन के दौरान कोई भी अखबार नहीं पढ़ता है। उन्होंने कहा कि पहली बात तो अखबारों को पढ़ कर ही 10 के करीब कंपनियों ने बोली में हिस्सा लेने के लिए सूचना लेने के लिए विभाग को पहुँच की थी। दूसरी बात है कि लॉकडाऊन के दौरान अखबार निरंतर प्रकाशित होती रही और ज़रूरी सेवाओं के अधीन इनकी बिक्री भी होती रही। इसके अलावा अखबारों के ई-पेपर ऑनलाइन भी पढ़े जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि लॉकडाऊन के दौरान अखबारों को पढ़ा ही नहीं जाता था तो अकाली कौन से मुँह से लॉकडाऊन के दौरान प्रैस कान्फ्ऱेंसों और प्रैस नोट जारी करते रहे।
स. रंधावा ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण स्कीम के अंतर्गत सिफऱ् स्वास्थ्य कर्मचारी ही कवर होते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्कीम भी सिफऱ् तीन महीने के लिए थी जिसके अंतर्गत इन कर्मचारियों का बीमा कवर 30 जून को ख़त्म हो गया जबकि सहकारिता विभाग की तरफ से एक साल के लिए बीमा किया गया है। इसके अलावा पंजाब सरकार की तरफ से ड्यूटी के दौरान सरकारी कर्मचारियों की कोविड -19 से मौत होने की सूरत में 50 लाख रुपए का बीमा कवर किया गया है परन्तु सहकारी अदारों के कर्मचारी इस अधीन नहीं आते क्योंकि सिफऱ् सहकारिता विभाग के सरकारी मुलाजि़म ही इसके अंतर्गत कवर होते हैं। सहकारी अदारे जैसे कि मार्कफैड, शूगरफैड, मिल्कफैड, सहकारी बैंक आदि के कर्मचारी सरकारी कर्मचारियों में नहीं आते। उन्होंने कहा कि जेल विभाग के कर्मचारियों को अनदेखा करने के भी दोष गलत हैं क्योंकि जेल विभाग पहले ही सरकारी कर्मचारियों के लिए किये बीमे के अधीन कवर हो गए थे। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग की तरफ से यह फ़ैसला सहकारी अदारों के मुलाजिमों की तरफ से बार -बार की गई माँग को देखते हुये किया गया।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि अकालियों की तरफ से लगाये यह दोष भी बेबुनियाद है कि किसी कोविड -19 पीडि़त कर्मचारी की अन्य बीमारी के कारण मौत की सूरत में बीमा कवर नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि को मौरबिटी के अंतर्गत सब कुछ कवर है। यदि कोरोना पॉजिटिव पाये जाते कर्मचारी की मौत किसी अन्य बीमारी के साथ भी होती है तो उसे बीमा कवर दिया जायेगा। स. रंधावा ने कहा कि बीमा कंपनी संबंधी जो दोष लगाए हैं, वह भी बेबुनियाद है क्योंकि गो डिजीट कंपनी आई.आर.डी.ए. से प्रवानित है और कंपनी की तरफ से यह भी ऐलाननामा दिया गया कि जो बीमा कवर दिया गया है, वह आई.आर.डी.ए. से प्रवानित है। कंपनी ने अपने हलफऩामे में आई.आर.डी.ए. से प्रवानित नंबर भी दिया है। इसके अलावा कंपनी के पंजाब में तीन दफ़्तर हैं और हर जिले में एक व्यक्ति सहकारिता विभाग को समर्पित तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि अकाली नेता की तरफ से आई.सी.आई.सी.आई. लम्बारड को अनदेखा करने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि आई.आर.डी.ए. के साल 2019 -20 के आंकड़ों से अनुसार आई.सी.आई.सी.आई. लम्बारड की विकास दर मनफी(नेगेटिव) 8 प्रतिशत थी जबकि गो डिजीट की विकास दर 145 प्रतिशत थी। इसके अलावा गो डिजीट कंपनी ने पिछले साल सर्वोत्तम जनरल बीमा अवार्ड भी मिला और कंपनी ने अब तक 3519 करोड़ का व्यापार किया।
स. रंधावा ने कहा कि अकाली आज किस मुँह से उन पर एकहरे टैंडर के दोष लगा रहे हैं। अकालियों ने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक मौकों पर नियमों को ताक पर रख कर करोड़ों के काम एकहरे टैंडर के करवाए। उन्होंने सिफऱ् एक ही उदाहरण देते हुये बताया कि अमृतसर, जालंधर, लुधियाना और जालंधर नगर निगमों में 1002 काम 788 करोड़ रुपए के करवाए गए जिनमें से 50 प्रतिशत एकहरे टैंडर वाले थे। 109 काम दोहरी बोली के द्वारा करवाए गए। नगर निगमों की तरफ से 500 करोड़ रुपए के काम एकहरी बोली के द्वारा दिये गए जिस सम्बन्धी एडवोकेट जनरल ने कहा था कि इनको करवाने की वाजिब प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया था।

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