उद्योगपतियों को बड़ी राहत; पंजाब सरकार की ओर से लंबित मामलों के समाधान के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना पेश

– पंजाब भर के 1145 उद्योगपतियों को मिलेगा लाभ

– उद्योगपति 31 दिसंबर 2025 तक इस योजना का लाभ ले सकेंगे

चंडीगढ़, 3 मार्च 2025

पंजाब के उद्योगपतियों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने सोमवार को उद्योगपतियों की लंबी समय की प्रतीक्षा समाप्त करते हुए चार दशकों से अधिक समय से लंबित मामलों के निपटारे के लिए ऐतिहासिक वन टाइम सेटलमेंट (ओ.टी.एस.) शुरू करने की स्वीकृति दे दी है।

इस संबंध में निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उनके सरकारी आवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

यहां मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि यह ओ.टी.एस. योजना उद्योगपतियों को जमीन की बढ़ी कीमतों और मूल भुगतानों में देरी से संबंधित औद्योगिक विवादों का निपटारा करने में सुविधा देगी, जिससे उद्योगपतियों की लंबी समय से लटकी हुई शिकायतों का निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटारा सुनिश्चित होगा। पंजाब भर के लगभग 1145 उद्योगपतियों को इस योजना का लाभ होगा, जिससे वे अपने बकाये क्लीयर कर सकेंगे और अपने व्यवसायों में पुनर्निवेश कर सकेंगे। इससे आर्थिक विकास और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। ये उद्योगपति सामूहिक रूप से हजारों लोगों को रोजगार देते हैं और योजना के माध्यम से दी गई वित्तीय राहत व्यवसायों को और स्थिरता प्रदान करेगी, बंद होने से रोकेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी।

यह योजना उन डिफाल्टर प्लाट धारकों पर लागू होगी, जिनका मूल आवंटन पहली जनवरी, 2020 को या इससे पहले हुआ था। इससे लटके मामलों का प्रभावशाली ढंग से निपटारा सुनिश्चित होगा। पंजाब भर में पंजाब राज्य औद्योगिक निर्यात निगम (पी.एस.आई.ई.सी.) द्वारा विकसित औद्योगिक फोकल पॉइंट्स में औद्योगिक प्लाटों, शेडों और आवासीय प्लाटों को इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। यह औद्योगिक सृजन के लिए व्यापक पहल होगी। योजना अनुसार सरकार डिफाल्टरों को दंड ब्याज की 100 प्रतिशत छूट के साथ-साथ आठ प्रतिशत की मामूली सरल ब्याज दर के साथ बकाए के भुगतान की अनुमति देकर वित्तीय राहत प्रदान करेगी।

जिन प्लाट धारकों का आवंटन रद्द भी हो गया था, उन्हें भी अपने बकाया के भुगतान के साथ अपना व्यवसाय पुनः शुरू करने और विकास करने का मौका मिलेगा। इस योजना से उद्योगों को स्वयं को बड़े वित्तीय बोझ और कानूनी अड़चनों से निकलने का मौका मिलेगा, जिससे वे अपने विस्तार और आधुनिकीकरण की संभावना तलाश सकेंगे। इस योजना के तहत एकत्रित राशि को औद्योगिक बुनियादी ढांचे में पुनर्निवेश किया जाएगा, जिससे फोकल पॉइंट्स की स्थिति सुधरेगी और नए औद्योगिक पार्कों का विकास करके पंजाब में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आवेदनकर्ताओं की सुविधा और समूची कार्रवाई को सुचारू बनाने और इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए उद्योगपतियों के सहयोग के लिए पी.एस.आई.ई.सी. द्वारा विशेष वर्चुअल हेल्प डेस्क स्थापित किया जाएगा। इस पहल से पंजाब की औद्योगिक पक्षधर राज्य के रूप में छवि और बेहतर होगी, जिससे नया निवेश आएगा और व्यवसाय की वृद्धि के लिए सुखद माहौल बनेगा। इस योजना की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 है ताकि डिफाल्टरों को अपने बकाए के भुगतान के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इस कदम से औद्योगिक विकास में तेजी आने की संभावना है। इससे राज्य सरकार की पंजाब में व्यापार को सहयोग और नौकरी के अवसर सृजित करने की वचनबद्धता की पुनः पुष्टि होगी।

औद्योगिक पार्क परियोजना के ले-आउट योजना को सरेंडर करने की स्वीकृति देने वाली नीति को सहमति

कैबिनेट ने औद्योगिक पार्क परियोजना के ले-आउट योजना को सरेंडर करने की स्वीकृति देने वाली नीति को सहमति दे दी, बशर्ते कि प्रमोटर स्वीकृति समय में सक्षम प्राधिकारी द्वारा लगाए गए विधिक खर्च के बकाया जमा कराएं। यह निर्णय औद्योगिक पार्क नीति तिथि 19-06-2019 अंतर्गत विकसित परियोजनाओं के ले-आउट को सरेंडर करने संबंधी नीति न होने के कारण लिया गया है।

पी.पी.एस.सी. (सेवा नियम) रेगुलेशन एक्ट में संशोधन को स्वीकृति

मंत्रिमंडल ने पंजाब राज्य लोक सेवा आयोग (सेवा नियम) रेगुलेशन एक्ट की धारा 5(1) में संशोधन को भी स्वीकृति दे दी ताकि आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति हो सके।