मनोहर लाल ने अधिकारियों को शिक्षा का एक ऐसा सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए हैं जिसके तहत बच्चों को ‘के.जी. टू पी.जी.’ शिक्षा एक ही संस्थान में मुहैया करवाई जा सके

Educational Institution to be named after late Sh. Satguru Dass Sharma, announces Chief Minister

मनोहर लाल ने अधिकारियों को शिक्षा का एक ऐसा सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए हैं जिसके तहत बच्चों को ‘के.जी. टू पी.जी.’ शिक्षा एक ही संस्थान में मुहैया करवाई जा सके

चण्डीगढ़, 24 फरवरी-हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को शिक्षा का एक ऐसा सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए हैं जिसके तहत बच्चों को ‘के.जी. टू पी.जी.’ शिक्षा एक ही संस्थान में मुहैया करवाई जा सके। उन्होंने दो ऐसे विश्वविद्यालय चिन्हित करने को कहा है जहां शुरू में यह सिस्टम लागू किया जा सके।

मुख्यमंत्री आज यहां राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), जिला शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) और खंड शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थानों (बीआईटीई) की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवरपाल भी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि निजी संस्थानों की एक्रीडिटेशन का सिस्टम बनाया जाए। इनकी निरंतर मॉनिटरिंग की जाए ताकि वे मानकों पर खरा उतरें। साथ ही, सरकारी संस्थानों को फिर से चालू करवाया जाए।

बैठक के दौरान बताया गया कि नई शिक्षा नीति में वर्ष 2030 से अध्यापक के पास बी.ए. बी.एड. इंटिग्रेटेड होना अनिवार्य है। इस पर श्री मनोहर लाल ने कहा कि इसके लिए हमें वर्ष 2030 तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि अगले साल से इस योजना पर काम शुरू किया जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के तीन जिलों- गुरुग्राम, झज्जर और कुरुक्षेत्र में ऐसे 10-10 स्कूल चिन्हित किए जाएं जहां इंटीग्रेटेडेड बी.एड. कोर्स करने वाले विद्यार्थियों की इंटर्नशिप करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि इन-सर्विस टे्रनिंग के अलावा भर्ती होने से पहले भी प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए हरसम्भव प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि विदेशों में ड्राइवर, नर्स और टीचर जैसे पेशेवरों की अच्छी मांग है। ऐसे में इंटीग्रेटेडेड बी.एड. के साथ फॉरेन सर्विस जोडकऱ एक नई परिकल्पना की जा सकती है ताकि विदेशों में मांग के अनुरूप मैनपावर की सप्लाई की जा सके।

बैठक में बताया गया कि इस समय प्रदेश में 21 डीआईईटी और 4 बीआईटीई कार्यरत हैं। इनकी स्थापना केन्द्र और राज्य सरकार के 60:40 के अनुपात में वित्त पोषण के तहत की गई है। इसके अलावा, प्रदेश में 2 राजकीय मौलिक अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान (जीईटीटीआई) भी हैं जो शत-प्रतिशत राज्य वित्त पोषित योजना के तहत चलाए जा रहे हैं। डीआईईटी के टीचिंग फैकल्टी को आंतरिक तौर पर स्कूलों में समायोजित किया गया है। इसके अतिरिक्त, 340 निजी वित्त पोषित संस्थान भी चल रहे हैं जो शिक्षा में डिप्लोमा कोर्स (डी.एल.एड.)करवा रहे हैं।

बैठक में मुख्य सचिव श्री विजय वर्धन, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस. ढेसी, स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री महावीर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, मौलिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक श्री नितिन यादव, माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक श्री जे.गणेशन और एससीईआरटी के निदेशक डॉ. ऋषि गोयल के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

Spread the love