चंडीगढ़ ३० अगस्त २०२१
गुणवत्ता अनुसंधान (एडवांसड रिसर्च) को बढ़ावा देने के लिए संकाय और छात्रों को उन्नत अनुसंधान कौशल (एडवांसड रिसर्च स्किल) में निपुण करने के उद्देश्य से, मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ की कौशल विकास समिति ने राजीव गांधी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, नवी मुंबई के सहयोग से अनुसंधान कौशल से सम्बंधित सात दिवसीय कोर्स का आयोजन किया। समाजशास्त्र के स्नातकोत्तर विभाग से सहायक प्रोफेसर, डॉ. मीनाक्षी राणा, इस कार्यक्रम के लिए प्रमुख वक्ता थीं। प्रतिभागियों के अनुसंधान कौशल को मजबूत करने के उद्देश्य से सप्ताह भर चलने वाले पाठ्यक्रम में अनुसंधान, विश्लेषण और संबंधित सॉफ्टवेयर के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। शोध समस्या के परिचय से लेकर उपयुक्त माप उपकरणों के चयन, ऑनलाइन उपकरणों की मदद से संबंधित साहित्य की समीक्षा लिखना, डेटा संग्रह, उपयुक्त सांख्यिकीय उपकरणों का चयन, डेटा विश्लेषण और परिणामों की व्याख्या, निष्कर्षों की प्रस्तुति, एसपीएसएस सॉफ्टवेयर का उपयोग और आर सॉफ्टवेयर के परिचय, पर विस्तार से चर्चा की गई ।इस कोर्स के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम ने प्रतिभागियों को अनुसंधान में व्यापक और महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की। दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब के संकाय सदस्यों, शोधार्थियों और छात्रों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने इस कोर्स के लिए पंजीकरण कराया।
प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने आयोजक टीम को पाठ्यक्रम के सफल आयोजन पर बधाई दी। उन्होंने एक संपूर्ण पैकेज के रूप में शोध के सभी आवश्यक तत्वों को शामिल करने के लिए पाठ्यक्रम की सराहना की। गुणवत्ता प्रकाशन के लिए तकनीकी रूप से सुदृढ़ सांख्यिकीय विश्लेषण के महत्व पर जोर देते हुए, डॉ. भार्गव ने कहा कि मुफ्त ऑनलाइन शोध उपकरणों के उपयोग से बिना किसी वित्तीय बाधा के गुणवत्तापूर्ण शोध को आगे बढ़ाने में सुविधा होती है।
प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने आयोजक टीम को पाठ्यक्रम के सफल आयोजन पर बधाई दी। उन्होंने एक संपूर्ण पैकेज के रूप में शोध के सभी आवश्यक तत्वों को शामिल करने के लिए पाठ्यक्रम की सराहना की। गुणवत्ता प्रकाशन के लिए तकनीकी रूप से सुदृढ़ सांख्यिकीय विश्लेषण के महत्व पर जोर देते हुए, डॉ. भार्गव ने कहा कि मुफ्त ऑनलाइन शोध उपकरणों के उपयोग से बिना किसी वित्तीय बाधा के गुणवत्तापूर्ण शोध को आगे बढ़ाने में सुविधा होती है।