चंडीगढ़ 21 अक्टूबर 2021,
मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ में समाजशास्त्र के स्नातकोत्तर विभाग ने ‘सोशियोलॉजी ऑफ हेल्थ विद स्पेशल रेफरेंस टू वर्क – लाइफ़ बैलेंस चैलेंजेज़ फ़ॉर विमन इन दी एरा ऑफ डिजिटलाइजेशन’ पर ऑनलाइन माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया। ऑबर्न यूनिवर्सिटी, यूएसए, से समाजशास्त्र में प्रोफेसर एमेरिटस, प्रो. एलन फर, इस व्याख्यान के लिए प्रमुख वक्ता थे, जिन्होंने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर डिजिटलीकरण के प्रभाव पर प्रकाश डाला और डिजिटलाइजेशन के युग में महिलाओं के लिए कार्य-जीवन में संतुलन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस कार्यक्रम में देश भर से 595 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रो एलन ने उल्लेख किया कि डिजिटल दुनिया ने कार्यबल पर प्रदर्शन और उपलब्धता का अत्यधिक दबाव डाला है, जिससे कार्य-जीवन का संतुलन बाधित हो गया है।
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उन्होंने कहा कि हमारे समाज में अब तक महिलाओं की पहचान घरेलू काम करने और परिवार के सदस्यों की देखभाल से संबंधित रही है जिसके कारण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम का दबाव महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तनाव, चिंता और अवसाद के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। लोग चिरकाल से तकनीकी तनाव से पीड़ित हैं और अकेले में गैजेट्स पर काम करते समय वह भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करते हैं। प्रतिभागियों ने प्रोफेसर एलन से व्यक्तिगत और सामाजिक क्षेत्र में संतुलन बनाने के बारे में प्रश्न पूछे क्योंकि आज इंटरनेट दैनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। प्रो. एलन ने सुझाव दिया कि कुछ समय के लिए इंटरनेट से अलग रहने का प्रयास करें और मानसिक रूप से स्वस्थ और पेशेवर रूप से अधिक केंद्रित रहने के लिए परिवार और प्रियजनों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताएँ।
प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने समाजशास्त्र विभाग की पहल की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ने सूचना के प्रसार और डेटा के प्रसंस्करण को आसान बना दिया है, लेकिन भावनात्मक शक्ति और पेशेवर उत्कृष्टता के लिए परिवार के साथ प्रत्यक्ष संपर्क और गुणवत्तापूर्ण समय बिताना भी प्रासंगिक है।